छठ महापर्व देता है- ‘स्वच्छता परमोधर्म:’ की सीख- डॉ.मधेपुरी

छठ सूर्योपासना का महापर्व है। इस पर्व की खासियत यह है कि इसमें डूबते सूरज की भी अर्चना की जाती है। शुक्रवार को संध्या 4:30 बजे शाम से ढलते सूर्य को और शनिवार को 6:09 बजे सुबह से उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया…..  श्रद्धालु छठ व्रतियों द्वारा।

इस अवसर पर समाजसेवी- मार्गदर्शक डॉ.भूपेंद्र नारायण यादव मधेपुरी बताते हैं कि सूर्य स्वच्छता का प्रतीक है। इसकी किरणें हवा और पानी को तो साफ करती ही हैं साथ ही शरीर को भी निरोगी बनाती हैं। सूर्योपासना के पर्व छठ में संपूर्ण बिहार ही सात्विकता की चमक से खिल उठता है। राजधानी की गली-गली को भी सभी वर्गों के लोग मिलकर साफ कर लेते हैं। घर से लेकर घाट तक सब कुछ सात्विक नजर आता है। यहां तक कि इस अवधि में अपराध भी घट जाते हैं।

जानिए कि 4 दिनों का यह महापर्व छठ हमें यही सीख देता है कि स्वच्छता सबसे बड़ी सेवा है। देश के युवा वर्ग यदि संकल्प ले लें कि वे 4 दिनों की इस स्वच्छता को जीवन का आंदोलन बना लेंगे तो निश्चय ही छठ जैसी सफाई संपूर्ण देश के गांवों से शहरों तक पूरे वर्ष होती रहेगी और देशवासीगण अनेक रोगों से मुक्त भी रहेंगे।

चलते-चलते यही बता दें कि जापान में सूर्य दर्शन के बाद से नए काम शुरू होते हैं। यहां तक कि राजा भी सूर्य को ही साक्षी मानकर फैसले लेते हैं। ऐसा इसलिए कि भगवान सूर्य आदिदेव हैं और छठ उनकी अनादि काल से हो रही पूजा का एक रूप है। उगते और अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने का महापर्व सूर्य के इन्हीं आदर्शों को समर्पित है।

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