कौशिकी क्षेत्र हिंदी साहित्य सम्मेलन के अंबिका सभागार में प्रखर साहित्यकार, कुशल राजनेता एवं सामाजिक संबंधों को सदैव तरजीह देने वाले बीएनएमयू के संस्थापक कुलपति डॉ.रमेन्द्र कुमार यादव रवि की चौथी पुण्यतिथि पूर्व प्रतिकुलपति डॉ.केके मंडल की अध्यक्षता में मनाई गई। उन्होंने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि शिक्षा एवं राजनीति के क्षेत्र में डॉ.रवि की विशिष्ट पहचान रही है। साहित्यिक क्षेत्र में भी डॉ रवि का अविस्मरणीय योगदान रहा है। उन्होंने एक दर्जन से अधिक पुस्तकों की रचना की है। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी व महान शिक्षाविद रहे हैं। ऐसे लोग युगों में पैदा होते हैं। डॉ.रवि के सत्कर्मों की गाथा युगों तक गूंजेगी।
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ.सीताराम शर्मा ने कहा कि डॉ.रवि ने शैक्षणिक व राजनीतिक क्षेत्र के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों में भी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया है। साहित्यकार प्रो.मणि भूषण वर्मा ने कहा कि मेरे गुरु रहे डॉ.रवि हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध विद्वान, स्वाभिमानी शिक्षक के साथ-साथ प्राचार्य के रूप में कुशल प्रशासक एवं सांसद के रूप में लोकप्रिय राजनेता थे।
सम्मेलन के सचिव डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा कि कोसी, मिथिलांचल एवं सीमांचल के शिक्षा-साहित्य एवं राजनीतिक जगत में अविस्मरणीय योगदान के लिए डॉ.रवि सदैव याद किए जाएंगे। प्रो.अरुण ने कहा कि डॉ.रवि हरदिल अजीज इंसान एवं लोकप्रिय जननेता थे। शिक्षा शास्त्री डॉ.आलोक कुमार एवं प्रखर गजलकार सियाराम यादव मयंक ने कहा कि उन्होंने संसदीय क्षेत्र के लोगों से जो अटूट संबंध बनाया है वे कभी डॉ.रवि को नहीं भुला पाएंगे। आदित्य कुमार नवनीत कुमार रोशन कुमार साजन गोलू पियूष आदि भी मौजूद रहे। आरंभ में दीप प्रज्वलित कर तमसो मा ज्योतिर्गमय का आह्वान किया गया। और फिर डॉ.रवि के तैल चित्र पर सबों ने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। अंत में डॉ. श्यामल कुमार सुमित्र ने धन्यवाद ज्ञापन किया।