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शिष्टाचार पर राजनीति ना करें तेजस्वी

आज की राजनीति में शिष्टाचार निभाना भी आफत है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अस्वस्थ चल रहे आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से उनकी तबीयत क्या पूछ ली, इस पर भी बयानबाजी शुरू हो गई। शिष्टाचार संस्कार का हिस्सा होता है और पारिवारिक जीवन हो या सार्वजनिक, उसे अनिवार्य रूप से निभाया जाना चाहिए। पर आज के ‘ट्विटरवीर’ इसे समझे तब ना..!

जैसा कि सब जानते हैं रविवार को लालू जी का फिस्टुला का ऑपरेशन हुआ था। इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिष्टाचारवश मंगलवार को लालू जी को फोन कर कुशल उनका क्षेम पूछा था। लेकिन उनके उत्तराधिकारी तेजस्वी इस ‘मर्यादा’ को समझ ही नहीं सके (या समझना नहीं चाहते) और ट्विटर पर तपाक से लिख दिया, देर से ही सही उनको लालू जी की याद तो आई। तेजस्वी ने आगे लिखा, आश्चर्य है कि नीतीश जी ने पिछले चार महीने से बीमार लालू जी का हालचाल नहीं लिया, लेकिन आज फोन कर पूछा। शायद उन्हें पता चला कि भाजपा और एनडीए के लोग अस्पताल जाकर हालचाल ले रहे हैं तो उन्होंने भी फोन कर लिया। यही नहीं, वे इसका विशेषार्थ तक ढूंढ़ने लगे और वे स्वयं और उनकी पार्टी के बाकी धुरंधर इसे महागठबंधन में उनके शामिल होने की ‘तथाकथित इच्छा’ से जोड़ने लगे। बड़बोले शिवानंद तिवारी तो यहां तक कह बैठे कि नीतीश किस मुंह से सोच रहे हैं कि उन्हें महागठबंधन में जगह मिल जाएगी।

उधर जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि शिष्टाचार के तौर पर की गई बातचीत को राजनीति से जोड़ना उचित नहीं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि राजद से नजदीकी बढ़ने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। भाजपा नेता नंदकिशोर यादव ने भी इस मामले में राजनीति करने पर विपक्षी दलों को घेरते हुए कहा कि यह एक सामान्य व्यवहार है, व्यक्तिगत रिश्ता के नाते नीतीश ने पूछा हाल, इसका कोई राजनीतिक मायने नहीं है। जदयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने भी कहा कि नीतीश जी ने शिष्टाचार के नाते लालू जी को फोन किया था और यह भी कि तेजस्वी को बयानबाजी से परहेज करना चाहिए। त्यागी ने स्वाभाविक तल्खी से कहा, राजनीति में शिष्टाचार सीखना भी जरूरी है।

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“भारत के अंदर कोई भी बाबर की औलाद नहीं”: गिरिराज

अपने बयानों के कारण विवादों में, विवादों के कारण चर्चा में और चर्चा के कारण केन्द्र में बड़ा पद पाने और मंत्रिमंडल में फेरबदल के बावजूद उस पद को बनाए रखने में सफल रहने वाले गिरिराज सिंह ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। इस बार उन्होंने कहा है, भारत में सभी राम की संतानें हैं, यहां कोई बाबर की औलाद नहीं है। जी हाँ, राम मंदिर के संदर्भ में सवाल पूछे जाने पर केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, “भारत के अंदर कोई भी बाबर की औलाद नहीं है। यहां सभी राम की संतानें हैं, राम के खानदान से हैं। अगर मैं धर्म परिवर्तन कर लूं तो क्या मेरे बच्चों के, आने वाली पीढ़ियों के पूर्वज बदल जाएंगे। वे तो हिंदू ही रहेंगे।”

गिरिराज ने आगे कहा, “राम मंदिर भारत में नहीं बनेगा तो क्या पाकिस्तान में बनेगा? राम मंदिर का निर्माण अयोध्या में ही होगा और इसके लिए हिंदू-मुस्लिमों को साथ आना होगा।” यही नहीं, इसके बाद उन्होंने कहा, “मुसलमानों में भी शिया समुदाय के लोग तैयार हैं, लेकिन सुन्नी नहीं तैयार हैं। सुन्नियों को भी शिया समुदाय की तरह मान लेना चाहिए।”

गौरतलब है कि बिहार के नवादा से सांसद गिरिराज 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान नरेंद्र मोदी के विरोधियों के पाकिस्तान चले जाने संबंधी बयान के बाद खासतौर से चर्चा में आए थे। इसके बाद तो उनके विवादित बयान का जैसे सिलसिला ही चल पड़ा। कहना गलत ना होगा कि ऐसे बयान या तो वे चर्चा में बने रहने के लिए देते हैं या फिर उनकी वैचारिक प्रतिबद्धता ही कुछ ऐसी है। दोनों ही लिहाज से भारत की ‘सत्याग्रही’ राजनीति और ‘समावेशी’ समाज के लिए ये चिन्ता की बात है।

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लालू को एक और मामले में सजा

आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें कम होने की जगह बढ़ती ही जा रही हैं। बुधवार को चारा घोटाले के एक और मामले में उन्हें सजा सुनाई गई। इस बार सजा पांच साल की है। साथ में 10 लाख का जुर्माना भी। रांची स्थित सीबीआई कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव और राज्य के एक और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र, जगदीश शर्मा, आर के राणा और विद्या सागर निषाद समेत 50 आरोपियों को चाईबासा कोषागार से 35 करोड़ 62 लाख रुपये का गबन करने के मामले में दोषी करार दिया। बता दें कि लालू की तरह ही जगन्नाथ मिश्र को भी पांच साल की कैद की सजा सुनाई गई है।

चारा घोटाले का यह तीसरा मामला है जिसमें लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र को पांच-पांच साल जेल की सजा सुनाई गई है। गौरतलब है कि इस मामले में बहस दस जनवरी को पूरी हो गयी थी। इस ताजा फैसले के बाद चारा घोटाले से ही जुड़े देवघर कोषागार मामले में जेल में बंद लालू प्रसाद यादव के रिहा होने की संभावना अत्यंत धूमिल हो गयी है।

बहरहाल, चारा घोटाले के दो मामलों में लालू को पहले ही सजा हो चुकी है। चाईबासा कोषागार से ही 37.7 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के मामले में सितंबर 2013 में पांच वर्ष की सजा हो चुकी है। जबकि देवघर कोषागार से अवैध निकासी के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने इसी महीने छह तारीख को  उन्हें सजा सुनाई  है। इस मामले में वह अभी रांची स्थित होटवार जेल में हैं।

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पांच करोड़ लोगों ने बनाई 13668 किलोमीटर लंबी मानव-श्रृंखला

मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार का साथ देने एक बार फिर पूरा बिहार उमड़ पड़ा और करोड़ों बिहारवासियों ने दहेज और बालविवाह से मुक्ति का पवित्र संकल्प लिया। रविवार को दोपहर 12 से 12.30 बजे के बीच राज्य के आम हों खास नागरिक, बच्चे हों या बूढ़े, पुरुष हों या महिलाएं, सभी एक समान उत्साह से भरे हुए नजर आए। दैनिक जागरण के मुताबिक श्री नीतीश कुमार के आह्वान पर इस बार 13668 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला में करीब पांच करोड़ लोग शामिल हुए और इस तरह बिहार विश्व की सबसे लंबी मानव श्रृंखला का साक्षी बना। बता दें कि इससे पहले भी यह कीर्तिमान बिहार के ही नाम था। शराबबंदी के लिए बनी मानव-श्रृंखला में 2016 में इसी 21 जनवरी के दिन लगभग 4 करोड़ लोग जुटे थे। ध्यातव्य है कि पिछली बार सड़कों पर ही श्रृंखला बनाई गई थी। इस बार यह लोगों पर छोड़ा गया था। लोगों ने गांव-कस्बे-मोहल्ले में जहां चाहा वहां श्रृंखला बनाई।

मानव-श्रृंखला की शुरुआत श्री नीतीश कुमार ने पटना के गांधी मैदान में गुब्बारा छोड़कर की। श्रृंखला बनाने के बाद मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल विवाह और दहेज के खिलाफ पहले से ही कानून हैं, लेकिन ये कुरीतियां फैलती जा रही हैं। इसलिए हम बापू के जन्मदिवस 2 अक्टबूर से इसके विरोध में अनवरत अभियान चला रहे हैं। आगे भी यह कार्यक्रम जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि लोगों में बाल विवाह व दहेज के खिलाफ जागरुकता आ रही है। उनके संकल्प का प्रकटीकरण सार्वजनिक तौर पर भी होना चाहिए। इसलिए इस मानव-श्रृंखला का आयोजन किया गया।

जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष श्री बशिष्ठ नारायण सिंह ने मानव-श्रृंखला को अभूतपूर्व बताते हुए कहा कि श्री नीतीश कुमार ने राजनीति को जिस तरह समाज से जोड़ा है, वह अनोखा है और उसका असर मानव-श्रृंखला के लिए घर से बाहर निकलने वाली बिहार की करोड़ों जनता की आंखों में देखा जा सकता है। वर्तमान समय में पूरे देश में दूसरा कोई ऐसा राजनेता नहीं, जिसने समाज-सुधार को अपना एजेंडा बनाया हो। बिहार की जनता ने अपने नेता के आह्वान पर एक बार फिर जैसा उत्साह दिखाया है, उससे उनके संकल्प को और बल मिलेगा।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के साथ गांधी मैदान में विधानसभा अध्यक्ष श्री विजय कुमार चौधरी, उपमुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, पथनिर्माण मंत्री श्री नंदकिशोर यादव, कृषिमंत्री श्री प्रेम कुमार समेत कई वरिष्ठ नेता व नागरिक मानव-श्रृंखला का हिस्सा बने। वहीं ईको पार्क के निकट स्ट्रैंड रोड पर बनी मानव-श्रृंखला में जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष श्री बशिष्ठ नारायण सिंह के नेतृत्व में विधान परिषद के पूर्व सभापति श्री अवधेश नारायण सिंह, विधानपार्षद व जेडीयू बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष प्रो. रामवचन राय, विधानपार्षद व पार्टी के मुख्य सचेतक श्री संजय कुमार सिंह (गांधीजी), विधानपार्षद व कोषाध्यक्ष डॉ. रणवीर नंदन, विधानपार्षद व मुख्य प्रवक्ता श्री संजय सिंह, विधानपार्षद श्री ललन सर्राफ एवं जेडीयू मीडिया प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. अमरदीप समेत हजारों कार्यकर्ता व नेता शामिल हुए।

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मकर-संक्रान्ति: कड़ाके की ठंड में भोज की गरमाहट

बिहार की राजनीति में मकर संक्रान्ति खास मायने रखती है। इस दिन आयोजित चूड़ा-दही भोज में कड़ाके की ठंड के बावजूद राजनीतिक तापमान बढ़ा रहता है और आपसी संबधों को एक नया आयाम मिलता है। आप खुद ही देख लें। पिछले साल मकर संक्रान्ति में जेडीयू और आरजेडी महागठबंधन के साथी के तौर पर एक साथ थे। आरजेडी ने लगातार दो दिनों का भोज आयोजित किया था और उस भोज में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को दही का टीका लगाकर ‘राजतिलक’ लगाने की घोषणा की थी। लेकिन, आज के बदले हालात में लालू-नीतीश की राहें जुदा हैं। उधर 2013 के बाद जेडीयू और भाजपा एक बार फिर एक-दूसरे के भोज में मौजूद हैं।

बदले हालात में और अपने नेता के जेल में होने के कारण इस साल आरजेडी की ओर से कोई भोज नहीं था। दूसरी ओर जेडीयू, लोजपा और भाजपा के द्वारा भोज का आयोजन किया गया। 15 जनवरी को रालोसपा ने भी भोज का आयोजन किया है।

जेडीयू की ओर से हमेशा की तरह प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने भोज का आयोजन किया। इस भोज में लगभग 15 हजार लोग जुटे। एनडीए की तमाम बड़ी हस्तियों ने यहां अपनी उपस्थिति दर्ज की। इनमें जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, जेडीयू संसदीय दल के नेता व महासचिव आरसीपी सिंह, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान व उनके पुत्र चिराग पासवान, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय प्रमुख हैं। जेडीयू के भोज में शामिल प्रमुख लोगों में एक चौंकाने वाला नाम महागठबंधन सरकार में शिक्षामंत्री व कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी का है। हालांकि बकौल चौधरी वे बशिष्ठ नारायण सिंह से अपने ‘व्यक्तिगत’ संबंधों के कारण भोज में शामिल हुए, लेकिन ‘कयास’ लगाने वाले इससे सहमत होंगे, ऐसा नहीं लगता।

गौरतलब है कि हमेशा चर्चा में रहने वाले जेडीयू के भोज के लिए भागलपुर से कतरनी व पश्चिमी चंपारण से मर्चा चूड़ा मंगवाया गया था, जबकि तिलकुट की व्यवस्था गया से की गई थी। इनके साथ-साथ भूरा-चीनी तथा आलू-गोभी-मटर की लजीज सब्जी की व्‍यवस्‍था भी थी। दही का इंतजाम ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ सुधा डेयरी से किया गया था।

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन तीनों भोजों में शिरकत की। बशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर आयोजित भोज में शामिल होने के बाद वे लोजपा कार्यालय गए। वहां लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान ने पहली बार मकर संक्रांति भोज का आयोजन किया था। जबकि भाजपा की ओर से एमएलसी रजनीश कुमार के आवास पर भोज का आयोजन था। स्वाभाविक तौर पर इन दोनों जगहों पर भी नेताओं का जुटान हुआ।

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मधेपुरा अब तेजी से आगे बढ़ रहा है

मधेपुरा में जबकि 1992 में ही बी.एन.मंडल विश्वविद्यालय की स्थापना हुई और कुलपति व कुलसचिव सहित केवल 8 पदों पर कार्य करने की अनुमति भी दी गई | तब से हाल तक पद सृजन से संबंधित कोई कार्य न तो सफलतापूर्वक किया गया और न पैतृक विश्वविद्यालय (LNMU) से किसी अधिकारी या कर्मचारी को भेजा या लाया जा सका | यह बी.एन.मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा 25 वर्षों तक फकत कारसेवकों द्वारा ही चलता रहा |

बता दें कि हाल ही में आये 23वाँ कुलपति डॉ.ए.के.राय के कार्यकाल में 86 कारसेवकों की विधिवत स्थायी नियुक्ति की गई और कारसेवक संस्कृति की सदा के लिए समाप्ति हो गई | विश्वविद्यालय अब कुपोषण मुक्त दिखने लगा है तथा शैक्षिक कार्य निरंतर पटरी पर आने लगा है |

दूसरी ओर नई उम्मीद एवं कलेवरों के साथ नये साल में मधेपुरा सँवरने लगा है | रेल इंजन कारखाना एवं मेडिकल कॉलेज ये दोनों मधेपुरा के विकासरथ को रफ्तार देने हेतु दो पहिए का काम करने लगा है | एक बार नव वर्ष के प्रथम माह में विकास की समीक्षा करने सीएम आते हैं तो दूसरे माह फरवरी में दो हजार करोड़ की लागत से बन रहे रेल इंजन कारखाने में बने इलेक्ट्रिक रेल इंजन का उद्घाटन करने प्रधानमंत्री आने वाले हैं |

यही मधेपुरा है जहाँ 800 करोड़ का मेडिकल कॉलेज बन रहा है और लगभग 100 करोड़ का इंजीनियरिंग कॉलेज | एनएच 106 एवं एनएच 107 के साथ-साथ एएनएम ट्रेनिंग सेंटर, जीएनएम स्कूल, पॉलिटेक्निक कॉलेज, आई टी आई कॉलेज आदि जल्द ही बन रहा है | वस्तुतः मधेपुरा तकनीकी शिक्षा का हब बनने जा रहा है |

तो तीसरी ओर राज्य सरकार के सात निश्चयों को अमलीजामा पहनाने हेतु प्रखंड स्तर तक “समाज सुधार वाहिनी रथ” चंद दिनों में चालू होने वाला है जिसके माध्यम से विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में शैक्षणिक जागरूकता हेतु संकल्प दिलाया जायेगा | कर्मकांड एवं धर्मांधता से मुक्ति दिलाने हेतु डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी द्वारा गाँव-गाँव जा-जाकर किये जा रहे प्रयास से सामाजिक अंधविश्वासों में कमी आयेगी | मधेपुरा के डायनेमिक डीएम मो.सोहैल की टीम द्वारा नशाबंदी के तर्ज पर बालविवाह बन्दी व दहेज़ बन्दी हेतु मानव श्रृंखला की करिश्माई तैयारी पुनः मधेपुरा को पुरस्कृत कराने में सफल होगी | मधेपुरा तेजी से आगे बढ़ता नजर आयेगा और यह धरती वन्दनीय होती चली जायेगी |

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बुद्ध की सोच ‘लाइट ऑफ एशिया’: राष्ट्रपति कोविंद

गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एकदिवसीय यात्रा पर बिहार के राजगीर में थे। मौका था अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय व इंडिया फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित चतुर्थ अंतरराष्ट्रीय धर्म धम्म सम्मेलन के उद्घाटन का और उनके साथ मौजूद थे बिहार के राज्यपाल सत्य पाल मलिक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और श्रीलंका के विदेश मंत्री तिलक मारापना सहित कई गणमान्य।

इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि 21वीं सदी में भी भगवान बुद्ध के विचार हमें प्रेरित कर रहे हैं। सही मायने में बुद्ध की सोच ‘लाइट ऑफ एशिया’ है। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक वर्तमान में दुनिया की आधी से अधिक आबादी ऐसी जगहों पर रह रही है जो भगवान बुद्ध के ज्ञान से प्रभावित है और उस ज्ञान से लगातार प्रेरित हो रही है।

राष्ट्रपति ने कहा कि धर्म धम्म परंपरा यह कहती है कि किस तरह निरंतरता से खुद को बेहतर करना है। इसकी क्या जरूरत और महत्ता है। किस तरह से हमें उच्च स्तर का ज्ञान हासिल करना है। यह ज्ञान ही है जिससे राजकुमार सिद्धार्थ भगवान बु्द्ध बने और महान योद्धा अशोक बन गए धम्म अशोका। बुद्ध के विचार हमें जीने के सिद्धांत की ओर प्रेरित करते हैं। ईमानदारी और पारदर्शिता की ओर हमें ले जाकर सह अस्तित्व की भावना को विकसित करते हैं।

इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय का निर्माण पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का सपना था। यह विश्वविद्यालय उनके सपनों का मूर्त रूप है। यह महावीर, बुद्ध तथा गुरुनानक की धरती है, जिन्होंने पूरे विश्व को शांति का संदेश दिया। उन्होंने वैश्विक समस्याओं के निवारण के लिए अंतररराष्ट्रीय रिजोल्यूशन सेंटर खोलने पर भी बल दिया।

चलते-चलते यह कहना बेहद जरूरी प्रतीत होता है कि हाल के दिनों में बिहार की बौद्धिक-सांस्कृतिक सक्रियता जिस तरह बढ़ी है, वह नीतीश कुमार जैसे विचारशील और संस्कारयुक्त अगुआ के बिना मुमकिन ना थी। ऐसी तमाम गतिविधियों के लिए वे और उनकी सरकार साधुवाद के पात्र हैं।

‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप

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नशा मुक्ति दिवस पर जाग उठा जज्बाती जिला मधेपुरा !

मधेपुरा जिला मुख्यालय सहित सभी सदर प्रखंडो एवं उदाकिसुनगंज अनुमंडल के आलमनगर, चौसा, पुरैनी, बिहारीगंज, ग्वालपाड़ा व अन्य प्रखंडों में नशामुक्ति दिवस (26 नवंबर) सर्वाधिक उत्साह एवं संकल्प के साथ सवेरे से देर शाम तक यानि दिनभर संकल्पित भाव के साथ मनाया गया |

शहर के उर्दू मध्य विद्यालय, कन्या मध्य विद्यालय से लेकर टी.पी.कॉलेजिएट, SNPM, रास बिहारी, केशव कन्या उच्च माध्यमिक +2 विद्यालयों सहित अन्य सरकारी व प्राइवेट विद्यालयों- कौनवेटों के छात्र-छात्राओं द्वारा बी.एन.मंडल स्टेडियम से रंगारंग ‘नशा मुक्ति दिवस’ के बैनरों एवं नारों के साथ प्रभात फेरी निकाली गई | स्कूली बच्चों ने ‘नशा मुक्ति अभियान’ में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया तथा शहर के बी.पी.मंडल चौक, भूपेन्द्र चौक, मस्जिद चौक, थाना चौक, शिवनंदन चौक, सुभाष चौक, कर्पूरी चौक का भ्रमण करते हुए नशा के खिलाफ नारे लगा-लगाकर लोगों को जागरुक किया |

बता दें कि समाजसेवी साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी सहित पदाधिकारियों एएसपी राजेश कुमार, एसडीएम संजय कुमार निराला, डीएसपी रहमत अली, शौकत अली, नरेश पासवान, अशोक चौधरी आदि की उपस्थिति में जिले के उच्चाधिकारी द्वय डीएम मो.सोहैल एवं एसपी विकास कुमार ने संयुक्त रुप से हरी झंडी दिखाकर स्कूली बच्चों की प्रभात फेरी को रवाना किया |

DM Md.Sohail showing green flag to the students at B.N. Mandal Stadium Madhepura.
DM Md.Sohail showing green flag to the students at B.N. Mandal Stadium Madhepura.

फिर दिन में जिला उत्पाद विभाग के अधीक्षक शैलेन्द्र मिश्रा एवं उत्पाद निरीक्षक राजू मिश्रा की देख-रेख में स्थानीय भूपेन्द्र कला भवन में ‘नशामुक्ति से संबंधित विषयों’ पर आधारित निबंध एवं चित्रकला प्रतियोगिता में प्रथम-द्वितीय एवं तृतीय आये प्रतियोगियों क्रमशः निशा कुमारी- आनंद कुमार- कुशल आनंद एवं रूमा कुमारी- आनंद कुमार- मो.मौशिम जिया को डीएम मो.सोहैल एवं एसपी विकास कुमार ने पुरस्कृत किया |

यह भी जानिये कि कार्यक्रम के दौरान टीवी के जरिये जिले के वरीय पदाधिकारियों सहित शहर के गणमान्यों ने सीएम, डिप्टी सीएम एवं मुख्यसचिव आदि के सारगर्भित भाषणों को सुना और बाद में मधेपुरा के डायनेमिक डीएम मो.सोहैल (भा.प्र.से.) ने अपने संबोधन में यही कहा-

‘नशामुक्ति से समाज में अमन शांति व स्थिरता कायम होने के साथ-साथ विकास का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है | नशा मुक्ति से बहुत बड़े पैमाने पर सामाजिक बदलाव हुए हैं- शराब में खर्च होने वाली राशि अब घर-परिवार संभालने में और बच्चे-बच्चियों की शिक्षा पर खर्च होने लगे हैं, जो सूबे के लिए सुखद संकेत है…….!’

इसके अलावे एसपी विकास कुमार ने जहां यह कहा कि शराबबंदी सहित अन्य नशा पर अंकुश लगने से अब रोड दुर्घटनाओं के साथ-साथ अपराधों की दर में कमी आई है वहीं एसडीएम संजय कुमार निराला ने अपने संबोधन में यही कहा कि नशामुक्त समाज बनाने में सरकार ही नहीं आम लोगों का सहयोग भी जरूरी है | इस अवसर पर डीडीसी, एएसपी, उत्पाद अधीक्षक, डीपीआरओ सहित अन्य समाजसेवियों ने भी अपने-अपने विचार रखे |

अंत में शाम 5:00 बजे से भूपेन्द्र कला भवन मंच से कला जत्था एवं स्थानीय कलाकारों सहित नवाचार रंगमंडल के अमित अंशु, सुनीत साना सहित सभी कलाकारों द्वारा ‘बदल रहा है बिहार’ पर दी गई प्रस्तुति आरंभ से समापन तक तालियाँ बटोरती रही और डीएम, एसपी सहित सभी उच्चाधिकारियों व गणमान्यों द्वारा अंत तक कलाकारों का उत्साहवर्धन किया जाता रहा |

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तो उपमुख्यमंत्री को घर में घुसकर मारेंगे तेज प्रताप !

आज की राजनीति का स्तर गिर गया है, यह कहने में कोई नई बात नहीं। लेकिन एक युवा नेता अपने पिता की उम्र के नेता के लिए, जो पद और अनुभव में भी अत्यंत वरिष्ठ हों, अपशब्दों का प्रयोग करते हुए उन्हें घर में घुसकर मारने की बात करें तो क्या कहेंगे आप? क्या शर्म से सिर झुक नहीं जाएगा आपका? क्या राजनीतिक विरोध की ऐसी अभिव्यक्ति सभ्य समाज में किसी भी तरह स्वीकार्य हो सकती है? नहीं ना? लेकिन, बिहार की राजनीति में हो कुछ ऐसा ही रहा है।

जी हां, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव ने उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को लेकर अत्यंत आपत्तिजनक बयान दिया है। औरंगाबाद में एक सभा में बोलते हुए तेज प्रताप ने कहा है कि वे सुशील मोदी के घर में घुसकर उन्हें मारेंगे। उन्होंने कहा कि वे अगर सुशील मोदी के बेटे की शादी में जाते हैं तो वहां उनकी पोल खोल देंगे।

जनसभा में तेज प्रताप ने कहा कि सुशील मोदी ने फोन पर बेटे की शादी का निमंत्रण दिया है। बकौल  तेज यह निमंत्रण उऩके परिवार को शादी में बुलाकर बेइज्जत करने के लिए है। उन्होंने आगे कहा कि “हम डरते नहीं हैं। हम वहीं सभा करेंगे और शादी में तोड़फोड़ करेंगे। घर में घुसकर मारेंगे।”

तेज के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सुशील मोदी ने उन्हें कुंठित करार दिया। सुशील मोदी ने कहा, ‘तेज प्रताप कुंठित हैं। वे मेरे बेटे की शादी में बाधा डालना चाहते हैं। मुझे समझ नहीं आ रहा कि इस मामले में वे राजनीति क्यों कर रहे हैं। मैं तो लालू प्रसाद यादव के बच्चों की शादी में सम्मानपूर्वक जाता रहा हूं। मुझे उम्मीद है कि लालू यादव इस मामले में तेज से जरूर बात करेंगे।’

गौरतलब है कि उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के बेटे उत्कर्ष मोदी की शादी तीन दिसंबर को है। मोदी ने बेटे की शादी में कोई भी तामझाम नहीं करने का ऐलान किया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस शादी में ना तो बैंड बजेगा और ना ही मेहमानों और बारातियों का स्वागत किया जाएगा। यही नहीं, खाने और नाश्ते की बजाय भगवान का भोग लगाया हुआ ‘प्रसाद’ दिया जाएगा। विवाह आदि आयोजनों में विरल हो चुकी ऐसी सादगी की घोषणा से यह शादी स्वाभाविक तौर पर पहले से चर्चा में थी। अब अपने विवादित बयान से तेज ने इस आयोजन को और चर्चा में ला दिया है।

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फिर चुनाव आयोग पहुंचा जेडीयू का प्रतिनिधिमंडल

जेडीयू का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को चुनाव आयोग से मिला और शरद खेमे द्वारा दायर याचिका को जल्द खारिज करने का आग्रह किया। राज्यसभा में जेडीयू के नेता आरसीपी सिंह, प्रधान महासचिव केसी त्यागी, महासचिव संजय झा एवं बिहार सरकार में मंत्री ललन सिंह वाले इस प्रतिनिधिमंडल ने गुजरात चुनाव के मद्देनजर शरद खेमे की याचिका पर जल्द फैसला लेकर उसे खारिज करने का चुनाव आयोग से आग्रह किया। गौरतलब है कि शरद खेमे ने जदयू और उसके चुनाव चिह्न पर दावा करते हुए चुनाव आयोग में ज्ञापन सौंप रखा है।

प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि गुजरात में 9 नवंबर से नामांकन शुरू है और उससे पहले हमें पार्टी के प्रत्याशी तय करने हैं और उन्हें पार्टी सिंबल आवंटित करना है। जबकि शरद यादव केवल चुनाव आयोग का समय बर्बाद करना चाहते हैं।

बकौल प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग पहले ही स्पष्ट कर चुका है जेडीयू नीतीश कुमार की है। नीतीश कुमार के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर राजगीर में आयोजित राष्ट्रीय परिषद की बैठक में मुहर लगी थी। उस बैठक में शरद यादव भी मौजूद थे। अब शरद यादव कुछ अलग ही दावा कर रहे हैं।

चलते-चलते बता दें कि इस बीच शरद खेमे द्वारा ज्ञापन के साथ दिए गए तीन सौ से अधिक शपथ पत्रों की जांच चुनाव आयोग ने शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग ने 31 अक्टूबर तक इन शपथ पत्रों की मूल प्रति जमा करने कहा है।

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