यूपीएससी में हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं की शानदार वापसी

देश की सबसे प्रतिष्ठित मानी जाने वाली यूपीएससी की परीक्षा में पिछले साल हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं ने शानदार वापसी की है। पिछले तीस साल में पहली बार आधे से अधिक परीक्षार्थी इन भाषाओं से हैं। जी हाँ, यह बात संघ लोक सेवा आयोग की ओर से जारी सालाना आंकड़ों से सामने आई है। इसे इस परीक्षा में हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं की वापसी का ट्रेंड माना जा रहा है।
गौरतलब है कि हाल के वर्षों में छात्रों के बीच न केवल हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं को माध्यम के रूप में रखने का चलन बढ़ा है बल्कि इन भाषाओं को छात्र वैकल्पिक विषय के रूप में भी रख रहे हैं और अच्छी सफलता हासिल कर रहे हैं। पिछले साल सिविल सेवा परीक्षा में सफल हुए 812 प्रतियोगियों में 485 ने हिन्दी या क्षेत्रीय भाषा के माध्यम से सफलता पाई। यह कुल प्रतियोगियों का लगभग 60 प्रतिशत है। 2017 में 1056 में 533 प्रतियोगियों ने हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं में सफलता पाई थी।
बता दें कि चार साल पहले यूपीएसीसी की तरफ से संचालित सिविल सर्विस परीक्षा की प्रारंभिक परीक्षा में सी-सैट पेपर को लेकर छात्रों का उग्र आंदोलन हुआ था। इसमें आरोप लगा था कि हिंदी या क्षेत्रीय भाषाओं के छात्रों को बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। परिणाम में इस आरोप के संकेत मिलते थे। क्षेत्रीय और हिंदीभाषी छात्र इस पेपर को हटाने की मांग पर दो साल तक आंदोलन करते रहे। संसद तक में यह मामला जोरदार तरीके से उठा था। सरकार लंबे समय तक इस मुद्दे पर उलझन की स्थिति में रही। आखिरकार छात्रों की मांगों के सामने सरकार को झुकना पड़ा। उसके बाद से ही हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं से परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई और परिणाम का नया ट्रेंड शुरू हुआ।

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