अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस

‘मधेपुरा अबतक’ की ओर से 12 अगस्त यानि अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। ये संयोग है कि हमारे राष्ट्रीय युवा दिवस की तिथि भी 12 ही है, लेकिन महीना जनवरी है। 12 जनवरी स्वामी विवेकानंद, जिन्हें विश्व-इतिहास में युवा-शक्ति का सबसे बड़ा प्रतीक कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी, का जन्मदिवस है। स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को राष्ट्र-निर्माण की धुरी माना था और जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 17 दिसंबर 1999 को प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने की घोषणा की थी, तब भी उसका उद्देश्य यही बताना था कि युवाओं के बिना कोई भी राष्ट्र अपने विकास का लक्ष्य हासिल नहीं कर सकता।

गौरतलब है कि पिछले साल मनाए गए विश्व युवा दिवस का विषय था – “लक्ष्य 2030: गरीबी उन्मूलन और सतत खपत और उत्पादन हासिल करना।” कहने की जरूरत नहीं कि 2030 तक इस लक्ष्य को तभी हासिल किया जा सकता है जब युवा इसके लिए अग्रणी भूमिका निभाएं। ये अत्यंत दुख व आश्चर्य का विषय है कि आज एक ओर हम मंगल तक पहुंच गए हैं, दूसरी ओर आज भी गरीबी और भूख भारत समेत पूरे विश्व की, खासकर तीसरी दुनिया कहे जाने वाले देशों की, सबसे बड़ी समस्या है। एक अर्थ में यह समस्या वैश्विक आतंकवाद से भी बड़ी है। भूख से लड़े और उससे जीते बिना हम आतंकवाद से क्या पड़ पाएंगे? सच तो यह है कि जिस दिन सबके पेट में रोटी बराबर पहुंचने लग जाएगी उस दिन आतंकवाद की समस्या ही मिट जाएगी।

जिस तरह स्वस्थ शरीर में स्वस्थ आत्मा का निवास होता है, उसी तरह स्वस्थ युवाओं में ही स्वस्थ राष्ट्र और विश्व का बीज पनप सकता है। चाहे स्वास्थ्य शरीर का हो, मन और मस्तिष्क का हो, विचार और संस्कार का हो, या फिर विकास के किसी भी क्षेत्र और दुनिया के किसी भी कार्य-व्यापार का हो। भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस सत्य तो भलीभांति जानते हैं। उनका शायद ही कोई भाषण हो, जिसमें वे युवाओं का आह्वान न करते हों और देश के सर्वांगीण विकास के लिए उनकी सहभागिता को अनिवार्य न बताते हों।

‘मधेपुरा अबतक’ सभी युवाओं का आह्वान करता है और कहना चाहता है कि वे जहां हैं, जिस क्षेत्र में हैं, वहां से इस देश के निमित्त अपना योगदान दे सकते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे खेतों में काम कर रहे हैं या विज्ञान की प्रयोगशाला में बैठे हैं, देश की सीमा की रखवाली कर रहे हैं या खेल के मैदान में पसीना बहा रहा रहे हैं, कोई साहित्य, चित्र या प्रतिमा गढ़ रहे हैं या आने वाले चुनावों में खड़े होने की तैयारी कर रहे हैं। वे जहां हैं, वहां अपना सर्वोत्तम दें।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप’

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