चाहे जिले के किसी कोने का प्राईवेट चिल्ड्रेन स्कूल हो या सरकारी प्राथमिक – मध्य विद्यालय, या फिर उत्क्रमित +2 विद्यालय ही क्यों ना हो…… भारतीय संस्कृति के संवाहक व सर्वोत्कृष्ट दार्शनिक भारतरत्न डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन 5 सितंबर की अनुगूंज तीन सितंबर की शाम से ही गूंजने लगी |
यह बता दें कि 3 सितंबर की शाम को ही प्राइवेट स्कूल्स एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष सह दार्जिलिंग पब्लिक स्कूल, डॉ.मधेपुरी मार्ग, मधेपुरा के निदेशक किशोर कुमार एवं एसोसिएशन के सचिव सह माया विद्या निकेतन, शहीद चुल्हाय मार्ग, मधेपुरा की निदेशिका चंद्रिका यादव ने जिले के लगभग 100 शिक्षकों को हरी झंडी दिखाकर ‘अमन रथ’ से पटना एस.के.मेमोरियल हॉल में 4 सितंबर को नीतीश सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ.अशोक चौधरी के द्वारा सम्मानित होने हेतु रवाना किया |
सम्मान समारोह की अध्यक्षता कर रहे संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद एवं मुख्य अतिथि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री प्रो.डॉ.अब्दुल गफूर की उपस्थिति में सभी जिले के शिक्षकों को मोमेंटो आदि देकर सम्मानित किया शिक्षा मंत्री डॉ.अशोक चौधरी ने | राज्य के डायनेमिक शिक्षा मंत्री डॉ.चौधरी इस परंपरा को और अधिक मजबूती प्रदान करने जा रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि दक्षिण कोरिया में शिक्षकों को वे सारे अधिकार प्राप्त हैं जो अधिकार भारत में मंत्रियों को है | और फ्रांस के न्यायालयों में केवल शिक्षकों को ही कुर्सी पर बैठने का अधिकार दिया गया है |
जहाँ मधेपुरा के सभी शिक्षण संस्थानों में राधाकृष्णन जयंती पर दिनभर उत्सवी माहौल के बीच शिक्षकों को सम्मानित किया जाता रहा वहीं शाम में डॉ.अमोल राय की अध्यक्षता में भारत साहित्य संगम के बैनर तले वयोवृध्द शिक्षक, सिंडिकेट सदस्य विद्यानंद यादव को अंगवस्त्रम व पाग तथा प्रशस्ति-पत्र देकर शिक्षकों व साहित्यकारों द्वारा सम्मानित किया गया |
इस अवसर पर डॉ.विनय कुमार चौधरी के एकल काव्यपाठ का उद्घाटन डॉ.मधेपुरी, डॉ.अमोल राय, डॉ.अशोक कुमार, डॉ.इंद्र नारायण यादव, प्रो.श्यामल किशोर, डॉ.सुरेश प्रसाद यादव, डॉ.रामनरेश सिंह, डॉ.आर.के.पी.रमण, डॉ.अरुण कुमार, डॉ.आलोक कुमार, विकास, सुभाष आदि ने सम्मिलित रूप से दीप प्रज्वलित कर किया |
कॉलेज, कौशल्या ग्राम के विशाल सभा भवन में डॉ. राधाकृष्णन के जन्मदिन ( 5 सितंबर ) पर प्रधानाचार्य डॉ.अशोक कुमार की अध्यक्षता में “शिक्षक दिवस सह शिक्षक सम्मान दिवस” समारोह का भव्य आयोजन किया गया | समारोह के उद्घाटनकर्ता थे भौतिकी के विद्वान, साहित्यकार व समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी, मुख्य अतिथि टी.पी. कॉलेज में राजनीति शास्त्र के विभागाध्यक्ष रहे डॉ.के.एन.ठाकुर, विशिष्ट अतिथि पूर्व प्राचार्य डॉ.सुरेश प्रसाद यादव, पीजी मैथिली के विभागाध्यक्ष सह भारत सरकार के हैवी इंडस्ट्री के निदेशक डॉ.राम नरेश सिंह सहित पूर्व सीसीडीसी डॉ.अमोल राय, डॉ. विनय कुमार चौधरी, डॉ. उदयकृष्ण, डॉ. विज्ञानानन्द सिंह आदि |
समारोह के प्रथम चरण में छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किए गए स्वागत गान के बाद पुष्पगुच्छ देकर अतिथियों का स्वागत किया गया | इस अवसर पर डॉ.के.एन.ठाकुर, डॉ.रामनरेश सिंह एवं डॉ.सुरेश प्रसाद यादव को पाग व अंगवस्त्रम के साथ सम्मानित किया गया |
डॉ. राधाकृष्णन की जयन्ती ‘शिक्षक दिवस’ का उद्घाटन डॉ. मधेपुरी सहित अन्य अतिथिगण द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया तथा उनके तैल चित्र पर सबों ने पुष्पांजलि किया |
उद्घाटनकर्ता डॉ. मधेपुरी ने सर्वप्रथम अपने उद्घाटन भाषण में डॉ.एस.राधाकृष्णन के साथ बिताए लम्हों की विस्तारपूर्वक चर्चाएं की | अपने संबोधन में डॉ. मधेपुरी ने कहा कि वे सर्वाधिक सौभाग्यशाली रहे हैं जिन्हें भारत के उन महामहिम राष्ट्रपति त्रय- डॉ.राधाकृष्णन, डॉ.जाकिर हुसैन एवं डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम के दिव्य दर्शन, अमरवाणी श्रवण एवं श्री गुरु चरण सरोज रज के स्पर्शन का अवसर भी परमपिता परमेश्वर ने दिया जिन्हें महामहिम राष्ट्रपति बनने से पूर्व महान शिक्षक होने के चलते ही ‘भारत रत्न’ जैसे सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया | यूं प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ.राजेंद्र प्रसाद के दर्शन-स्पर्शन के अतिरिक्त राजधानी पटना के सदाकत आश्रम से मुख्य सड़कों पर निकाली गई उनकी अंतिम यात्रा बांस घाट तक जाने और पंचतत्व में विलीन होते देखने का अवसर भी प्राप्त हुआ था |
डॉ.मधेपुरी ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात दार्शनिक, महान शिक्षाविद, उत्कृष्ट वक्ता एवं आस्थावान विचारक डॉ.राधाकृष्णन का नाम लेते ही प्रत्येक शिक्षक का सिर श्रद्धा से झुक जाता है | उन्होंने कहा कि डॉ.राधाकृष्णन दर्शनशास्त्र जैसे गंभीर विषय को भी अपनी शैली की नवीनता से इस कदर सरल और रोचक बना देते थे जिस कारण वे अपने छात्रों का स्नेह और आदर सदेव अर्जित करते रहे |
मुख्य अतिथिगण डॉ.के.एन.ठाकुर, विशिष्ट अतिथि गण डॉ.रामनरेश सिंह, डॉ.सुरेश प्र.यादव, डॉ.अमोल राय, डॉ.उदयकृष्ण, डॉ.विनय कुमार चौधरी, डॉ.आलोक कुमार, डॉ.विज्ञानानंद सिंह आदि ने अपने-अपने संबोधन में विस्तार से शिक्षकों की महत्ता पर प्रकाश डाला, डॉ.राधाकृष्णन के विभिन्न आयामों की चर्चाएं की तथा राष्ट्रवादी सोच की आवश्यकता पर बल दिया | साथ ही वक्ताओं ने जहाँ शिक्षक दिवस की महत्ता की चर्चाएं की वहीं कालेज के बेहतरीन प्रबंधन के लिए प्राचार्य डॉ.अशोक कुमार सहित कॉलेज कर्मियों की भूरि-भूरि प्रशंसा भी की | मौके पर डॉ.मुस्ताक मोहम्मद, डॉ.अभय कुमार, सोनम कुमारी, डॉ.भगवान कुमार, किरण कुमारी, डॉ.सिद्देश्वर काश्यप, सचिव सच्चीदानंद, ब्रजेश मंडल आदि मौजूद थे |
अंत में अध्यक्षता कर रहे प्रधानाचार्य डॉ.अशोक कुमार ने विनम्रतापूर्वक कहा कि जो कुछ सर जमीन पर देखा जा रहा है वह उनके और महाविद्यालय परिवार के समर्पण एवं प्रतिबद्धता का फल है | मंच संचालन गौतम कुमार ने किया और धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अध्यक्ष के निदेशानुसार समापन की घोषणा की गई |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चुनाव आयोग के बाद देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी सहमति जताई है। शिक्षक दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में एक छात्र के सवाल के जवाब में राष्ट्रपति ने कहा कि सभी पार्टियों को इस मुद्दे पर एक साथ आना चाहिए।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस साल मार्च में भाजपा नेताओं की बैठक के दौरान यह विचार सबसे पहले सामने रखा था। उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव होने से आचार संहिता लग जाती है, जिसके चलते विकास के काम रुक जाते हैं। इसलिए पंचायत, विधानसभा और संसद के चुनाव एक साथ होने चाहिएं जिससे कि समय और पैसा बचाया जा सके।
देश के प्रथम नागरिक ने आज इस विचार को आगे बढ़ाते हुए कहा कि लगातार चुनाव होते रहने और इस दौरान आचार संहिता लागू होने से सरकार का सामान्य कामकाज रुक जाता है। इस समस्या का समाधान करने के लिए राजनीतिक दलों को विचार करना होगा। लोग और राजनीतिक दल सामूहिक रूप से इस पर विचार करें तो हम आचार संहिता पर चर्चा करेंगे कि यह किस तरह की होनी चाहिए। इसमें चुनाव आयोग को भी शामिल किया जाना चाहिए।
इस संदर्भ में महामहिम ने आगे कहा कि संसदीय लोकतंत्र में अनिश्चितता रहती है। भारत में चार बार विभिन्न प्रधानमंत्रियों ने संसद को भंग करने की सिफारिश की और इसे स्वीकार किया गया। इस समस्या का समाधान करने को सभी को मिलकर विचार करना होगा।
बता दें कि चुनाव आयोग भी विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने पर सहमति दे चुका है। आयोग ने कहा था कि वह दोनों चुनाव एक साथ कराने में सक्षम है। हालांकि राजनीतिक दलों का मानना है कि यह प्रस्ताव व्यावहारिक नहीं है। उनका तर्क है कि राज्यों मे अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं तो उन्हें एक साथ कैसे किया जा सकता है? साथ में यह भी कि बीच में सरकार गिरने पर क्या किया जाएगा?
जाहिर है कि प्रधानमंत्री, चुनाव आयोग और अब राष्ट्रपति ने जो प्रश्न उठाया है वो कतई साधारण नहीं। राष्ट्रहित में हमें इसके लिए तैयार होना ही चाहिए, छोटी-मोटी कठिनाईयों की परवाह किए बिना।
भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय परिसर स्थित पी.जी. हिन्दी विभाग में शुक्रवार को प्रधानमंत्री के ‘एक कदम स्वच्छता की ओर’ कार्यक्रम के तहत विभागाध्यक्ष डॉ. इन्द्र नारायण यादव के नेतृत्व में विभागीय छात्र-छात्राओं द्वारा स्वच्छता अभियान चलाया गया | स्वच्छता कार्यक्रम में मुख्य रुप से विभागीय प्राध्यापक-आचार्य-प्राचार्य डॉ. विनय कुमार चौधरी, डॉ. सिद्धेश्वर काश्यप सहित युवा रंगकर्मी विकास कुमार, कृष्ण मुरारी, अशोक, राजेश, सियाराम, राजकिशोर, सुनीला आदि दर्जनों छात्र-छात्राएं सम्मिलित होती गयीं |
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ. यादव ने कहा कि परिसर को स्वच्छ रखना हम सब की जिम्मेदारी है | उन्होंने कहा कि स्वच्छ शरीर में ही स्वच्छ मानसिकता का विकास होता है | इस प्रकार का स्वच्छता अभियान सभी विभागों में चलाते रहना चाहिए तथा आगे बढ़-चढ़ कर सभी लोगों को सहयोग करना चाहिए | इससे पर्यावरण की स्वच्छता कायम रखी जा सकेगी तथा हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा | डी.डी.टी. का छिड़काव तो सावन-भादव में सोने पे सुहागा ही माना जाएगा | सफाई के बाद डी.डी.टी. का छिड़काव भी किया गया |
चलते चलते यह भी बता दें कि विभागीय प्राध्यापक डॉ. सिद्धेश्वर काश्यप को ‘आदमखोर’ कविता संग्रह के लिए हाल ही में आरसी रजत स्मृति सम्मान से उनके रचनाशील कर्म के लिए सम्मानित किया गया है | डॉ.काश्यप ने पत्रकारिता पर भी कई पुस्तकों की रचना की है | कर्मनिष्ठ प्राध्यापक डॉ. काश्यप एवं पूर्व विभागाध्यक्ष रह चुके डॉ. विनय कुमार चौधरी डी.लीट. सरीके रचनाकारों की अपनी पहचान के कारण बी.एन.एम.यू का हिन्दी विभाग अन्य स्नातकोत्तर विभागों में सर्वाधिक जीवंत माना जाने लगा है |
कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन संस्थान के अम्बिका सभागार में कोसी के वरिष्ठ साहित्यकार-इतिहासकार हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ की अध्यक्षता में तुलसी जयन्ती का भव्य आयोजन किया गया | इस अवसर पर मुख्य अतिथि रहे पूर्व सांसद, साहित्यकार एवं संस्थापक कुलपति डॉ. रमेंद्र कुमार यादव रवि, मुख्य वक्ता योगेंद्र प्राणसुखका, नगर व्यापार मंडल के अध्यक्ष तथा विशिष्ट अतिथि डॉ.के.के.मंडल प्रतिकुलपति |
आरम्भ में गोस्वामी तुलसीदास के तैल चित्र पर गणमान्यों के द्वारा पुष्पांजलि की गई | श्रद्धांजलि के चन्द शब्दों के साथ अध्यक्ष श्री शलभ ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास के रामचरितमानस से जो शील, शक्ति और भक्ति की पवित्र धारा निकलती है उसके सभी प्रसंगों में राम के आदर्श और मर्यादा का प्रतिबिंब दृष्टिगोचर होता है |
संरक्षक एवं मुख्य अतिथि डॉ.रवि के शिष्य योगेन्द्र प्राणसुखका ने इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रुप में विस्तार से अनेक प्रमुख प्रसंगों के बाबत उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि तुलसीदास तो युगद्रष्टा थे ही, साथ ही उन्होंने रामचरित मानस में सभी सम्प्रदायों के प्रति समन्वयकारी दृष्टिकोण अपनाकर समाज को एकता के सूत्र में बांधने का अद्भुत प्रयास किया | उन्होंने तुलसी के मानस में ज्ञान और भक्ति, शील और सौंदर्य, सगुण और निर्गुण आदि के अद्भुत समन्वय की तथा अद्वितीय व्यक्तित्व एवं कृतित्व के प्रसंगानुसार भूरि-भूरि प्रशंसा की | प्रतिकुलपति रह चुके श्री मंडल ने सुन्दर कांड को रामचरितमानस का सर्वश्रेष्ठ कांड साबित किया तथा मणि भूषण वर्मा ने चन्द पंक्तियों का बेजोड़ विश्लेषण किया |
अंत में संस्थान के संरक्षक डॉ.रवि ने अपने शिष्य योगेन्द्र को आशीर्वचन देते हुए यही कहा कि तुलसी ने अपने साम्यवादी दृष्टिकोण तथा विराट व्यक्तित्व के कारण धर्म, दर्शन,समाज, साहित्य के साथ-साथ लोकनीति एवं राजनीति आदि में इतनी ऊँचाई को पा लिया जिन्हें शब्दों में बांध पाना असंभव नहीं तो कठिन जरुर है | उन्होंने यह भी कहा कि तुलसी के रामचरितमानस को समाज एवं मानवता की व्याख्या कहना सर्वाधिक उचित है |
यह भी बता दें कि सम्मेलन के सचिव डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने इस अवसर पर मुख्यवक्ता सह अध्यक्ष नगर व्यापार मंडल योगेंद्र प्राणसुखका उर्फ लड्डू बाबू को कलम, अंगवस्त्रम एवं पाग देकर सम्मानित किया और कहा कि तुलसी विश्व साहित्य का अमूल्य धरोहर है | डॉ.मधेपुरी ने यह भी कहा कि तुलसी मर रही मानवता व टूट रहे समाज के लिए संजीवनी है |
समारोह के दूसरे सत्र में डॉ.सिद्धेश्वर काश्यप के संयोजकत्व में तथा सुकवि परमेश्वरी प्रसाद मंडल दिवाकर, सत्यनारायण पोद्दार सत्य एवं भगवान चन्द्र विनोद की पुण्य स्मृति में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें सुकवि राकेश द्विजराज, कुमारी विजयालक्ष्मी, डॉ.आलोक डॉ.अरविंद, उल्लास मुखर्जी, संतोष सिन्हा, राजू भैया,डॉ. इन्द्र नारायण यादव, प्रो.मणिभूषण वर्मा, प्रो.ऐन.के. निराला, डॉ.अरुण कुमार फर्जी कवि, विकास कुमार, दशरथ प्रसाद सिंह आदि ने अपनी प्रतिनिधि कविताओं से दर्शकों को देर तक बांधे रखा | हास्य कवियों ने खूब हंसाया भी |
समारोह में साहित्यनुरागी रघुनाथ यादव, शिवजी साह, डॉ.हरिनंदन यादव, प्राण मोहन, उपेन्द्र प्रसाद यादव, पारो बाबू, वरुण कुमार वर्मा, मंजू कुमार सोरेन, आनंद कुमार आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे | तुलसी पब्लिक स्कूल के निदेशक एवं कौशिकी के उपसचिव श्यामल कुमार सुमित्र के स्वागत सत्कार एवं आतिथ्य के बाबत किसी तरह की कमी नहीं रहने दी गई | अन्त में सचिव ने धन्यवाद ज्ञापित किया |
रासबिहारी उच्च माध्यमिक विद्यालय के बैनर तले उसी के सभागार में राष्ट्रभक्त रासबिहारी जैसी शख्सियत की 98वी पुण्यतिथि समारोह पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनायी गयी जिसमें ‘आवाज़’ की भूमिका प्रशंसनीय रही |
समारोह के उदघाटनकर्ता बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन मंत्री प्रो.चन्द्रशेखर ने इस अवसर पर कहा कि रासबिहारी बाबू अपनी मिट्टी के लिए सदा संघर्ष करते रहे, शिक्षा के लिए आजीवन अलख जगाते रहे तथा स्वाधीनता आंदोलन में रवीन्द्र नाथ टैगोर, मो.मजहरुल हक एवं गोखले के साथ कार्य करते रहें | मंत्री ने कहा कि ऐसी शख्सियत की जीवनी को बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए |
यह भी बता दें कि जहां पुण्यतिथि समारोह को संबोधित करते हुए जिला परिषद अध्यक्षा मंजू देवी एवं विद्यालय की प्रधानाचार्या रंजना कुमारी ने कहा कि रासबिहारी बाबू शिक्षा के उन्नयन हेतु किये गये कार्यों के लिए सदा याद किये जाते रहेंगे वहीं विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष वह समारोह की अध्यक्षता कर रहे डॉ.सुलेंद्र कुमार एवं विद्यालय के सदस्य रह चुके प्रो.प्रभाष चंद्र एवं डॉ.ए.के.मंडल ने पारिवारिक सदस्य होने के कारण कुछ रोचक पारिवारिक चर्चाएं की |
जहां एस.डी.एम. संजय कुमार निराला ने अपने संबोधन में कहा कि मधेपुरा की धरती ने समय-समय पर ऐसी विभूतियों को जन्म दिया जिन्होंने अपने समय का इतिहास रच डाला- जिनमें अव्वल थे रासबिहारी बाबू, वहीं प्राचार्य प्रो.श्यामल किशोर यादव, अवकाश प्राप्त शिक्षक राजेंद्र प्रसाद यादव एवं प्रभारी प्राचार्य डॉ.सुरेश भूषण ने उनके सामाजिक परिवर्तन की दिशा में किये गये कार्यो की चर्चाएं की |
अंतिम वक्ता के रूप में समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने संबोधित करते हुए कहा कि रासबिहारी बाबू ने अपने ननिहाल “रानीपट्टी” में नानाश्री के घर जन्म लिया था और काशी-वाराणसी की पुण्य भूमि पर अंतिम सांस ली थी | जनजीवन के कल्याण हेतु उन्होंने सारा जीवन लगा दिया | लोगों को दहेज नहीं लेने, फिजूलखर्ची पर रोक लगाने तथा केश-मुकदमों की जगह पंचायत के जरिये न्याय हासिल करने की सीख देते रहे | अंग्रेजों के दांत खट्टे करते रहे | “भारत माता का संदेश” पुस्तक लिखकर उन्होंने आजादी का बिगुल फूंका | वे आजीवन औरों के लिए जीते रहे | जो औरों के लिए जीता है वह कभी नहीं मरता | रासबिहारी बाबू भी कभी नहीं मरेंगे | डॉ.मधेपुरी ने सबों से आग्रह किया कि वे आज से कभी उनके नाम के आगे स्वर्गीय नहीं लिखेंगे और ना बोलेंगे |
यह भी बता दें कि समारोह का श्रीगणेश मंत्री प्रो.चन्द्रशेखर, जिप अध्यक्षा, विद्यालय प्राचार्या तथा विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष आदि ने दीप प्रज्वलित कर किया | स्वागत गान संगीत शिक्षक उपेन्द्र प्रसाद यादव की टीम द्वारा प्रस्तुत किया गया | कबड्डी संघ के जिला सचिव अरुण कुमार की टीम को मेडल देकर तथा शहर में शांति व्यवस्था कायम रखने वाले विपीन कमांडो मोबाइल टीम के सदस्यों सहित जिला खेल प्रशिक्षक संत कुमार को मंत्री प्रो.चन्द्रशेखर ने मोमेंटो-प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया |
इस अवसर पर रमेशचंद्र यादव, उपेंद्र प्रसाद यादव, चंद्रशेखर कुमार, मनमोहन यादव, बीरबल प्रसाद, रघुनाथ प्रसाद यादव, परमेश्वरी प्रसाद यादव आदि शहर के गणमान्य सहित छात्रों की अच्छी खासी उपस्थिति अंत तक रही | समापन भाषण के साथ प्राचार्या रंजना कुमारी ने सबों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया |
समाजसुधारक व राष्ट्रभक्त रासबिहारी लाल मंडल के नाम वाले स्थानीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक रह चुके रमेश चन्द्र यादव उर्फ नागेन्द्र बाबू ने रासबिहारी बाबू के जीवन से सामाजिक सेवा की प्रेरणा पाकर एवं बंगाल के मुख्यमंत्री रहे ज्योति बसु के पदचिन्हों पर चलने का निर्णय लेकर ही मृत्यु के बाद अपना शव मधेपुरा के कर्पूरी मेडिकल कॉलेज अथवा भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान देने का संकल्प लिया है |
ऐसा निर्णय लेने के पीछे रमेश बाबू की सोच से आम लोगों को अवगत कराने के लिए मधेपुरा अबतक को उन्होंने कहा कि चिकित्सा जगत के लिए मृत देह अमूल्य है | सिर्फ जनरल पढ़ाई लिखाई ही नहीं, आगे के शोध एवं जटिल ऑपरेशन में दिग्गज सर्जन्स के लिए भी यह देह रोशनी का काम कर कई जिन्दगियाँ बचाती हैं | भविष्य में भी देहदान ही बनाता रहेगा बेहतर डॉक्टर |
यह भी जानें कि उनके बड़े बेटे शिक्षक अशोक कुमार ने बताया कि उनका संपूर्ण परिवार पिताश्री के इस संकल्प को सम्मान के साथ सहमति प्रदान किया है | पुत्र अशोक ने यह भी कहा कि पिताश्री की मृत्यु के बाद या तो मधेपुरा के मेडिकल कालेज या भागलपुर मेडिकल कालेज के छात्र-छात्राओं की पढ़ाई के लिए पिताश्री के शव को हस्तगत कराने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी |
बहरहाल शिक्षक रमेश चन्द्र यादव मधेपुरा नगर परिषद के वार्ड नंबर 14 के स्थाई निवासी हैं | हमेशा छात्रों के बीच लोकप्रिय रहे हैं तथा अंतर्कोष लुटाते रहे हैं | यूँ 2005 में ही सेवानिवृत्त होने के बावजूद आज भी छात्रों से घिरे रहते हैं |
यह भी जान लेना जरुरी है कि इस देह दान की बाबत रमेश बाबू ने बिहार के मुख्य सचिव, डीएम मधेपुरा तथा सिविल सर्जन मधेपुरा को कानूनी प्रक्रिया पूरी करने हेतु आवेदन भी दिया है जिसमें उन्होंने यही भाव भरा है कि यदि उनकी मृत्यु के बाद मेडिकल छात्र-छात्राओं एवं शोधार्थियों के लिए उनकी देह का उपयोग हो तो सदैव उनकी आत्मा को महान दानवीर होने की अनुभूति होती रहेगी |
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू के बैनर तले भारतीय संस्कृति एवं मानवीय मूल्यों को उजागर करने वाले तथा अनेक आध्यात्मिक रहस्यों को प्रकाश में लानेवाले इस कृष्णाष्टमी के दिन पुण्यात्मा दादी प्रकाशमणि की 9वीं स्मृति-दिवस को राजयोग प्रशिक्षण केंद्र, मधेपुरा द्वारा समारोह पूर्वक राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी रंजू दीदी की अध्यक्षता में मनाया गया |
इस अवसर पर मुख्य अतिथि समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने विशिष्ट अतिथियों- चैतन्य कुमार वर्मा, डॉ.गदाधर पांडेय. डॉ.अजय, अविनाश आशीष, डॉ.अभय कुमार, डॉ.एन.के.निराला, ओमप्रकाश सहित श्रेष्ठ व्यापारी दिनेश सर्राफ आदि की उपस्थिति में दीप प्रज्वलित कर दादी प्रकाशमणि की 9वी पुण्य-तिथि समारोह का उद्घाटन किया |
मौके पर श्रद्धा सिक्त भावनाओं के साथ श्रद्धालु नर-नारियों ने पुण्यात्मा दादी प्रकाशमणि के तैल-चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया और उनके आदर्शों को जीवन में शामिल करने का दृढ़ संकल्प भी लिया |
यह भी बता दें कि इस उष्मीय संध्या में पसीने से भीगने के बावजूद भी आस्था एवं विश्वास से लबालब भरी आत्माएं सेवा केंद्र की संचालिका राजयोगिनी रंजू दीदी की निर्मल वाणी को ग्रहण करती रही | उन्होंने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि त्याग और तपस्या की मूरत बनी दादी प्रकाशमणि द्वारा प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय को संसार के पाचों महाद्वीपों में प्रकाशमय बनाकर पहुंचाने का काम किया गया | ऐसी अटूट, अटल एवं अथक सेवा के यू.एन.ओ. द्वारा उन्हें 1985 में ही शांतिदूत पदक से सम्मानित किया गया |
इस अवसर पर मुख्यअतिथि डॉ.मधेपुरी ने अपने संबोधन में कहा कि दादी प्रकाशमणि ममता, करुणा एवं मातृत्व शक्ति से इस कदर ओत-पोत रही कि हर श्रद्धालु नर-नारी द्वारा उन्हें स्मरण करते ही अपने अंदर नारी शक्ति की अनुभूति होने लगती है | डॉ.मधेपुरी ने कहा कि दुनिया में लोगों की चाहत क्या होती है ? प्रायः लोग यही चाहते हैं कि उन्हें शक्ति हो, विद्या हो और धन हो- जो आदिकाल से मातृशक्ति को ही उपलब्ध है | तभी तो दुर्गा-सरस्वती-लक्ष्मी की स्तुति…… या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रुपेण संसृता…… या फिर विद्या रूपेण संसृता…… अथवा लक्ष्मी रूपेण संसृता……. युग युग से चला आ रहा है | आपके सामने ताजा उदाहरण है- रियो ओलंपिक जहां भारत की दो बेटियों सिंधु एवं साक्षी ने हीं 125 करोड़ भारतवासियों की इज्जत बचाई जबकि हम सब मिलकर भी बेटियों की इज्जत नहीं बचा पाते हैं | आज बेटियों को बाजार से सब्जी भी लानी पड़ती है और ओलंपिक से मेडल भी | भारत की बेटी संतोष यादव को एवरेस्ट की चोटी पर भारतीय तिरंगा फहराने के लिए सारी शक्ति लगानी पड़ती है | कितनी विडंबना है कि तब भी समाज बेटियों को बोझ ही मानता आ रहा है |
अंत में सबों ने राधा-कृष्ण की जोड़ियों को मक्खन खिलाया और राजयोगिनी दीदी रंजू ने सबों को टीका लगाया | प्रसाद ग्रहण करने से पूर्व प्रजापिता को समर्पित किशोर ने सभी श्रद्धालुओं को धन्यवाद ज्ञापित किया |
25 अगस्त भारतीय इतिहास की महत्वपूर्ण तारीखों में शुमार होने लगा है | आज ही के दिन सोशल इंजीनियरिंग के वैज्ञानिक बी.पी.मंडल का जन्म काशी (उत्तर प्रदेश) की पवित्र धरती पर हुआ था | तब कौन जानता था कि यही बालक आगे चलकर मुरहो गांव के समाजसुधारक-क्रांतिवीर रासबिहारी लाल मंडल सरीखे योग्य पिता के योग्यतम पुत्र बनकर दुनिया में मुरहो-मधेपुरा को हर पल गौरवान्वित करता रहेगा |
मुरहो में आयोजित राजकीय जयंती समारोह-2016 के अवसर पर सर्वप्रथम समाधि स्थल पर माल्यार्पण के बाद बिहार सरकार के प्रतिनिधि मंत्री प्रो.चन्द्रशेखर सहित उपस्थित जन प्रतिनिधियों पूर्व मंत्री व विधायक नरेंद्र नारायण यादव, विधायक प्रो.रमेश ऋषिदेव, विधायक निरंजन मेहता, पूर्व विधायक ओम बाबू, विजय कुमार वर्मा, जिप अध्यक्ष मंजू देवी सहित अन्य उपस्थित मान्यजनों का अभिनंदन करते हुए अध्यक्षता कर रहे जिलाधिकारी मो.सोहैल ने कहा कि पिछड़ों के लिए मक्का और मंदिर है मुरहो | साथ ही यह भी घोषणा की डायनेमिक डी.एम. मो.सोहैल ने कि मधेपुरा के निर्माणाधीन इंडोर स्टेडियम का नाम- बी.पी. मंडल इंडोर स्टेडियम होगा तथा मुरहो में बी.पी. मंडल संग्रहालय बनेगा |
यह भी बता दें कि राजकीय जयंती समारोह की अध्यक्षता कर रहे डी.एम. मो.सोहैल ने मुरहो एवं आस-पास के गांव से आये हुए नर-नारियों का गर्मजोशी से अभिनंदन करते हुए समारोह में उपस्थित समाजसेवी डॉ.मधेपुरी को बी.पी. मंडल साहब के संबंध में विस्तार से बोलने के लिए आमंत्रित किया-
और हुआ भी वैसा ही…. डॉ.मधेपुरी ने तमाम अनछुए पहलुओं को विस्तार से उजागर करते हुए उपस्थित बच्चों से बस यही कहा- इस संसार में प्रतिदिन अनगिनत बच्चे जन्म लेते हैं, लेकिन कुछ ही बच्चे ऐसे होते हैं जो अपने साहस भरे सतकर्मों के चलते दुनियावालों को मजबूर करते हैं कि वे उसे याद करें कि वह बच्चा किस दिन जन्म ग्रहण किया था ? कहां जन्मा था ? और देश व समाज के लिए क्या-क्या किया था उसने ? और अंत में अपने संबोधन में डॉ.मधेपुरी ने उपस्थित जनसमूह से यही कहा कि अगडे-पिछडे के भेद को मिटाने वाले मंडल एवं मंडेला का नाम विश्व में सदैव गूंजता रहेगा |
आगे राजकीय जयंती समारोह के अध्यक्ष के निर्देशानुसार मंच संचालन किया स्काउट एंड गाइड के आयुक्त जयकृष्ण यादव ने | श्री यादव ने आरंभ में सर्वधर्म प्रार्थना के बाद बिहार सरकार के प्रतिनिधि मंत्री प्रो.चंद्रशेखर सहित उपस्थित सभी जनप्रतिनिधियों, पार्टी अध्यक्षों एवं मान्यजनों को उद्गार व्यक्त करने हेतु आमंत्रित किया | माननीय मंत्री प्रो.चंद्रशेखर सहित सभी मान्यजनों ने लगभग-लगभग यही भावनाएं व्यक्त की कि युवाओं को बी.पी. मंडल के पदचिंहों पर चलने की जरुरत है | साथ चलने पर ही वे सारे सपने साकार होंगे जिसे मंडल साहब ने देखा था, फिलहाल मंडल पूरी तरह लागू होना बाकी है |
यह भी जानें कि समारोह को डॉ.शांति यादव, प्रो.श्यामल किशोर यादव, डॉ.अरुण कुमार मंडल, प्रमोद प्रभाकर, सियाराम यादव, देव किशोर यादव आदि ने भी संबोधित किया तथा मंडल आयोग की रिपोर्ट हु-ब-हु लागू करने पर ही विकास को गति मिलने की बातें कही | मौके पर एस.पी. विकास कुमार, डी.डी.सी. मिथलेश कुमार, एसडीएम संजय कुमार निराला, सी.एस. डॉ.गदाधर पांडे, डी.आई.ओ. बद्री नारायण मंडल, डी.पी.आर.ओ.कयूम अंसारी, बी.डी.ओ. दिवाकर कुमार सहित प्रो.विजेंद्र नारायण यादव, तेज नारायण यादव, अशोक चौधरी, मो.शौकत अली, राजीव जोशी, डॉ.आलोक कुमार, कामरेड रमण आदि प्रमुख रूप से समारोह में शामिल थे | सवेरे जिले के सभी स्कूली बच्चों द्वारा प्रभात फेरी निकाली गई | फिर मेराथन रेस मधेपुरा बी.पी. मंडल चौक से मुरहो बी.पी.मंडल स्मारक तक | सभी प्रतिभागी को समारोह की ओर से गंजी पर “बी.पी.मंडल राजकीय जयंती समारोह 2016” अंकित करा कर दिया गया था | चतुर्दिक बी.पी. मंडल साहब का कटआउट लगाया गया था | मुरहो पीएचसी शिविर में 400 मरीजों की जाँच हुई |
अंत में धन्यवाद ज्ञापन जिला परिषद उपाध्यक्ष रघुनंदन दास ने किया | स्वागत-सत्कार डॉ.अरुण कुमार मंडल द्वारा किया गया |
शाम में मधेपुरा के बी.पी.मंडल नगर भवन में स्कूली बच्चों एवं स्थानीय कलाकारों द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम का उद्घाटन मंत्री प्रो.चन्द्रशेखर, विधायक प्रो.रमेश ऋषिदेव, डॉ.मधेपुरी, जिलाधिकारी मो.सोहैल, एस.पी.विकास कुमार एवं एएसपी राजेश कुमार आदि द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया | साथ ही मंत्री महोदय द्वारा मैराथन विजेताओं को ट्रकसूट देकर पुरस्कृत किया गया |
कृष्ण को सभी जानते हैं, पर महत्वपूर्ण यह है कि कितना जानते हैं। आप ही बताएं कि क्या हैं कृष्ण? देवकीसुत, यशोदानंदन या राधाकांत? सुदामा के सखा, अर्जुन के सारथि या द्वारका के अधिपति? महाभारत की धुरी, गीता के उपदेशक या विष्णु के अवतार? कृष्ण के अनंत रूप हैं और हर रूप की अनगिनत छवियां हैं। हम अपने मिथक से लेकर इतिहास तक खंगाल लें, कृष्ण से अधिक पूर्ण, कृष्ण से अधिक जीवंत, कृष्ण से अधिक विराट व्यक्तित्व ना तो हुआ है, ना होगा।
कृष्ण को जानने के लिए हमें श्रीमद्भागवत का ये प्रसंग जरूर जानना चाहिए। कृष्ण की इच्छा थी कि उनके देह-विसर्जन के पश्चात् द्वारकावासी अर्जुन की सुरक्षा में हस्तिनापुर चले जाएं। सो अर्जुन अन्त:पुर की स्त्रियों और प्रजा को लेकर जा रहे थे। रास्ते में डाकुओं ने लूटमार शुरू कर दी। यह देख अर्जुन ने तत्काल गाण्डीव के लिए हाथ बढ़ाया। पर यह क्या! गाण्डीव तो इतना भारी हो गया था कि प्रत्यंचा खींचना तो दूर, धनुष को उठाना तक संभव नहीं हो पा रहा था। महाभारत के विजेता, सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी विवश होकर अपनी आँखों के सामने अपना काफिला लुटता देख रहे थे। विश्वास कर पाना मुश्किल था कि ये वही अर्जुन हैं जिन्होंने अजेय योद्धाओं को मार गिराया था। अर्जुन अचरज में डूबे थे कि तभी कृष्ण के शब्द बिजली की कौंध की तरह उनके कानों में गूंजे – “तुम तो निमित्त मात्र हो पार्थ।”
श्रीमद्भागवत का ये प्रसंग अकारण नहीं है। यहाँ अर्जुन को माध्यम बना हमें इस अखंड सत्य से अवगत कराया गया है कि जीवन में जब-जब ‘कृष्ण तत्व’ अनुपस्थित होता है, तब-तब मनुष्य इसी तरह ऊर्जारहित हो जाता है। कृष्ण के ना रहने का अर्थ है – जीवन में शाश्वत मूल्यों का ह्रास। प्राणी हो या प्रकृति, ‘प्राणवायु’ कृष्ण ही थे, कृष्ण ही हैं, कृष्ण ही रहेंगे।
कृष्ण का अवतरण मानवता के लिए एक क्रान्तिकारी घटना थी। वे हुए तो अतीत में लेकिन हैं भविष्य के। इतना अनूठा था उनका व्यक्तित्व कि हम आज भी उनके समसामयिक नहीं बन सके हैं। मनुष्य अभी भी इस योग्य नहीं कि उसकी सोच और समझ में कृष्ण अंट जाएं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि कृष्ण अकेले ऐसे व्यक्ति हैं जो धर्म की परम गहराइयों और ऊंचाइयों पर होकर भी गंभीर नहीं हैं। किसी भी बिन्दु पर रत्ती भर भी और पल भर के लिए भी उदास नहीं होते कृष्ण। उन्हें आप हमेशा हंसते हुए, नाचते हुए, जीवन का गीत गाते हुए पाएंगे। कृष्ण को छोड़ दें तो अतीत का सारा धर्म दुखवादी था। उदास और आँसुओं से भरा था। हंसता हुआ धर्म, जीवन को समग्र रूप से स्वीकार करने वाला धर्म अभी पैदा होने को है। जाहिर है कि वैसा जीवंत धर्म कृष्ण-तत्व से ही संभव है।
कृष्ण अकेले हैं जो समग्र जीवन को पूरा ही स्वीकार कर लेते हैं। जीवन की समग्रता की स्वीकृति उन्हीं के व्यक्तित्व में फलित हुई है। इसीलिए इस देश ने सभी अवतारों को आंशिक अवतार कहा है और कृष्ण को पूर्ण अवतार। राम भी अंश ही हैं परमात्मा के लेकिन कृष्ण पूरे ही परमात्मा हैं। पुरानी मनुष्य-जाति के इतिहास में वे अकेले हैं जो दमनवादी नहीं हैं। उन्होंने जीवन के सब रंगों को स्वीकार कर लिया है। वे प्रेम से भागते नहीं। वे पुरुष होकर स्त्री से पलायन नहीं करते। वे करुणा और प्रेम से भरे होकर भी युद्ध में लड़ने की सामर्थ्य रखते हैं। अमृत की स्वीकृति है उन्हें लेकिन विष से कोई भय भी नहीं है।
हम जब-जब ‘पूर्णता’ की बात करेंगे, हमारे सामने ‘कृष्ण’ ही होंगे, क्योंकि पूर्णता के पूर्ण प्रतिमान केवल वही हैं, और जिसे हम ‘जन्माष्टमी’ कहते हैं, वो वास्तव में उसी पूर्णता का प्रतीक पर्व है। वर्ष में एक बार ये दिन आता है तो हमें ये एहसास दिलाने कि ‘अधूरेपन’ से लड़ने की ताकत हममें से हर किसी में है और जब तक कृष्ण हैं ‘पूर्णता’ की हर संभावना शेष है। मजे की बात तो यह कि पूर्णता की ये यात्रा ‘कृष्ण’ के साथ है और ‘कृष्ण’ तक ही पहुँचने के लिए है।