विद्यालयों में टैगोर-स्मृति-दिवस आयोजित

गुरुदेव नाम से सुविख्यात तथा नोबेल पुरस्कार प्राप्त रविन्द्र नाथ टैगोर 80 वर्ष की उम्र में 7 अगस्त 1941 को दुनिया को अलविदा कह गये | इसलिए तो भारत सरकार द्वारा 7 अगस्त को इस बार सभी माध्यमिक विद्यालयों में ‘रविन्द्र स्मृति दिवस’ आयोजित करने हेतु निर्देश दिया गया | कुछ स्कूली छात्र-छात्राओं के बीच उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर निबंध प्रतियोगिता आयोजित किया गया तो कुछ में भाषण प्रतियोगिता | कहीं-कहीं तो स्थल चित्रकारी प्रतियोगिता भी आयोजित की गई |

यह भी बता दें कि 1896 में स्थापित वर्तमान शिवनंदन प्रसाद मंडल उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य डॉ.निरंजन कुमार द्वारा इस अवसर पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन कराया गया जिसमें लगभग दो दर्जन छात्र-छात्राओं ने भाग लिया | जहाँ वर्ग 10 की छात्रा पूजा कुमारी प्रथम, निशा कुमारी द्वितीय एवं नवम वर्ग के छात्र नीतान्शु तृतीय स्थान प्राप्त कर पुरस्कृत किए गये, वहीं विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों की उपस्थिति में 10 छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करने हेतु सांत्वना पुरस्कार दिया गया |

इस अवसर पर प्राचार्य डॉ.कुमार ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वकवि रविन्द्रनाथ टैगोर केवल महान साहित्यकार, कवि एवं स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं थे बल्कि ‘एकलाचलो’ का संदेश देकर युवाओं को आंदोलित करने का भी काम करते रहे थे | उन्होंने यह भी कहा कि उनकी अद्वितीय रचनाएं- गीतांजली, गोरा, आमार सोनार बांग्ला एवं रविन्द्र संगीत उन्हें अमरत्व प्रदान करता रहेगा |

रविन्द्र स्मृति दिवस पर शिक्षक विजय कुमार झा, डॉ.संतोष कुमार, रमेश कुमार रमण आदि ने भी अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि टैगोर की रचनाएं युवाओं को समर्पित है, इसलिए सभी छात्र-छात्राएं उनकी रचनाओं को पढें | इस मौके पर गौतम कुमार, राज कुमार, शिव नारायण पंडित, अमरनाथ दास, आनंद रंजन व अरुण कुमार आर्य आदि अंत तक मौजूद रहे |

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आलमनगर में अहर्निश एंबुलेंस सुविधा

जिले के आलमनगर प्रखंड मुख्यालय के पीएचसी परिसर में निर्मित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का बुधवार (10 अगस्त) को शुभारंभ किया गया जिसका उद्घाटन विधायक व पूर्व विधि मंत्री नरेंद्र नारायण यादव, डायनेमिक डीएम मो.सोहैल एवं सीएस डॉ.गदाधर पांडेय ने किया |

यह भी जान लें कि इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चौबीसों घंटे मरीजों को 21 तरह की स्वास्थ सुविधाएं तब तक मिलती रहेंगी जब तक इन त्रि-मूर्तियों की चौकसी बनी रहेंगी और आंखें खुली रहेंगी | विकास पर पैनी नजर रखने वाले जिलाधिकारी मो.सोहैल के रहते हुए इस स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसव सुविधा के अतिरिक्त पैथोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल सुविधाओं के साथ-साथ नि:शुल्क नास्ता-खाना तो मिलेगा ही मिलेगा, इसके अतिरिक्त चौबीसों घंटे आपातकालीन सुविधा के साथ-साथ मरीजों के लिए ओ.पी.डी व आई.पी.डी दवाओं की उपलब्धता भी रहेगी |

यह भी बता दें कि पुरुष व महिलाओं के लिए अलग-अलग स्नानागार व शौचालय की व्यवस्थाएं रहेंगी तथा विकलांग मरीजों के लिए व्हीलचेयर की | सभी प्रकार के प्रमाण-पत्रों यानि जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्रादि के साथ-साथ परिवार कल्याण व विकलांग प्रमाण-पत्र भी दिए जाएंगे |

इस मौके पर सी.एस. की पूरी टीम, प्रखंड प्रमुख वर्षा कुमारी, जिप सदस्य रेखा देवी व समाजसेवी राजेश्वर राय के साथ-साथ थानाध्यक्ष सर्वेश्वर सिंह व पीएचसी प्रभारी डॉ.बी.के.वर्मा और डॉ.एस.एन.यादव आदि अंत तक मौजूद रहे |

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राजकिशोर बने मुखिया संघ के अध्यक्ष

सदर प्रखंड मधेपुरा में कुल सतरह पंचायतों के मुखिया संघ की बैठक सोमवार को प्रखंड मुख्यालय के सभाकक्ष में आयोजित की गयी जिसमें मुखिया संघ का प्रखंड स्तरीय चुनाव बिना किसी प्रकार के चुनाव-प्रक्रिया को अपनाये सर्वसम्मति से किया गया |

यह भी बता दें कि जहां मधेपुरा प्रखंड स्तरीय मुखिया संघ के चुनाव प्रक्रिया की अध्यक्षता की साहुगढ़ पंचायत-टू के मुखिया अरविंद कुमार ने वहीं साहुगढ़ पंचायत-वन के पूर्व मुखिया एवं वर्तमान उप प्रमुख जयकांत यादव द्वारा चुनाव पर्यवेक्षक के रुप में चुनाव प्रक्रिया को संपन्न कराया गया | इस अवसर पर सर्वप्रथम सर्वसम्मति से बराही पंचायत के मुखिया राजकिशोर यादव को मधेपुरा प्रखंड मुखिया संघ का अध्यक्ष चुना गया |

यह भी जानें कि मुखिया संघ में ‘म’ का ही वर्चस्व रहा- जहां महेशुआ मुखिया देवकी देवी को सर्वसम्मति से उपाध्यक्ष चुना गया वहीं मठाही मुखिया परमानंद यादव को सचिव और मधुबन मुखिया पवन को कोषाध्यक्ष | पर्यवेक्षक एवं अध्यक्ष ने अपने संबोधन में कहा कि वार्ड से लेकर प्रखंड स्तर तक की विभिन्न समस्याओं को संगठित होकर निष्पादित करने के लिए ही पदाधिकारियों का सर्वसम्मति से चयन किया गया है |

बैठक में विभिन्न पंचायतों के मुखिया तथा मुखिया पति भी अंत तक उपस्थित रहे | अध्यक्ष चुने जाने के बाद राजकिशोर यादव ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि वे संघ की भावना को कद्र करते हुए प्रखंड में विकास कार्यों को गति प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे |

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आस्था का महाकुंभ है सिंहेश्वर स्थान मंदिर

देवाधिदेव महादेव की नगरी सिंहेश्वर में सावन की तीसरी सोमवारी (8 अगस्त 2016) को डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालु शिवभक्तों के “हर-हर महादेव” की जयघोष से दिन भर गूंजता रहा बाबा भोलेनाथ का मंदिर | सदैव सदाशिव भक्तों का सैलाब उमड़ता रहा और पूजा-अर्चना के साथ सभी श्रद्धालु जलाभिषेक करते रहे |

यह भी बता दें कि सिंहेश्वर की सडकों पर सिर्फ और सिर्फ शिवभक्त ही दिख रहे थे- कुछ दंड प्रणाम देते हुए तो कुछ डाक बम के मनमोहक रूपों में सजे हुए | यूँ सर्वाधिक तादाद में आम श्रद्धालु थे | दण्डप्रणामी भी कम नहीं- कुछ मन्नते मांगने के लिए तो कुछ की मन्नतें पूरी हुई इसलिए | शाम तक श्रद्धालुओं की आवाजाही जारी रही |

Hon'ble Member of Mandir Trust Committee Dr.Bhupendra Madhepuri discussing with Mandir Prabhari for better Comforts and Conveniences to all Shradhalues.
Hon’ble Member of Mandir Trust Committee Dr.Bhupendra Madhepuri discussing with Mandir Prabhari for better Comforts and Conveniences to all Shradhalues.

यह भी जान लें कि सावन के प्रत्येक सोमवार की रात में बाबा का ‘श्रृंगार पूजा” करने के लिए श्रद्धालु भक्तो को साल-दो-साल पूर्व से ही लाइन लगाना पड़ता है, आरक्षण कराना पड़ता है | इस तीसरे सोमवारी को मधेपुरा के वृंदावन नर्सिंग होम के चिकित्सक दंपति डॉ.वरुण कुमार व डॉ.रश्मि भारती द्वारा बाबा का ‘श्रृंगार पूजा’ कराने हेतु एक वर्ष पूर्व ही लाइन लगाया गया था |

यूँ बारह बजे रात तक चली इस ‘श्रृंगार पूजा’ कार्यक्रम में चिकित्सक दंपति द्वारा मंदिर की सजावट व पूजनोत्सव सामग्रियों से लेकर आमंत्रित श्रद्धालुओं सहित साधु-संतों, निर्धन-असहायों को सुरुचि पूर्ण भोजन कराने तक में उत्साह में कोई कमी नहीं देखी गई |

इस श्रृंगार-पूजा कार्यक्रम में मधेपुरा के पूर्व सांसद व संस्थापक कुलपति डॉ.आर.के. यादव रवि, साहित्यकार हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ, पूर्व प्राचार्य श्यामल किशोर यादव, डॉ.हीराकांत मंडल, डॉ.अरविंद श्रीवास्तव व बालकृष्ण यादव के अतिरिक्त न्यासकर्मी व महिलाओं ने देर तक अपनी भागीदारी निभाई | इसके अलावे अंत तक उपस्थित रहे चिकित्सकगण- डॉ.डी.के. सिंह, डॉ.आलोक निरंजन, डॉ.नृपेंद्र नारायण सिंह, डॉ.लक्ष्मण, डॉ.पी.के.  मधुकर आदि मंदिर न्यास समिति के सदस्य धर्मनाथ ठाकुर, सुधीर ठाकुर एवं एस.बी.आई. पदाधिकारी अविनाश, आशीष सहित अशोक आनंद, रामनारायण कौशिक, बैजनाथ रजक, विवेक कुमार आदि जैसे आस्थावान लोगों ने कार्यक्रम के अंत तक उपस्थिति बनाये रखा |

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डॉ.राम नरेश हुए सम्मानित

भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय अंतर्गत स्नातकोत्तर मैथिली विभागाध्यक्ष डॉ.राम नरेश सिंह को भारत सरकार द्वारा भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय का स्वतंत्र निदेशक बनाए जाने पर भारत साहित्य संगम के बैनर तले आयोजित कवि गोष्ठी के अवसर पर मधेपुरा के बुद्धिजीवियों द्वारा सम्मानित किया गया |

इस अवसर पर सम्मान समारोह के अध्यक्ष डॉ.अमोल राय ने डॉ.सिंह की उपलब्धियों एवं व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला एवं अंगवस्त्रम-पग व पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया | प्राचार्य डॉ.श्यामल किशोर यादव, डॉ.आर.के.पी. रमण, डॉ.ललन चौधरी एवं हिन्दी पीजी विभागाध्यक्ष डॉ.नारायण यादव ने अपने उद्गार में कहा कि डॉ.सिंह को भाषा विज्ञान के निदेशक के अतिरिक्त राजभाषा हिन्दी की प्रगति के बाबत भी केंद्र सरकार द्वारा समिति का सदस्य मनोनीत किया गया है |

डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने अपने उद्गार में यही कहा कि डॉ.रामनरेश सिंह के समर्पण और निष्ठा के साथ काम करते रहने के फलस्वरूप भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें बिना मांगे सम्मान दिया- यह उस पार्टी की विशेषता की पहचान है |

इस अवसर पर डॉ.सिद्धेश्वर कश्यप के संयोजक में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें डॉ.मधेपुरी, डॉ.विनय कुमार चौधरी, डॉ.आलोक कुमार, डॉ.अरुण कुमार, सियाराम यादव मयंक आदि ने अपनी प्रतिनिधि कविता का पाठ किया | कार्यक्रम में प्रमुख रुप से उपस्थित रहे- अधिवक्ता मो.अलाउद्दीन, प्रो.राम नारायण साह, भाजपा के जिला अध्यक्ष अनिल कुमार यादव, आनंद मंडल, मुखिया स्वदेश कुमार, पूर्व प्रमुख विकास चंद्र यादव, प्रो.(डॉ.)आर. रहमान, मो.अहद आदि |

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तो क्या गाय सचमुच केवल दूध देती है, वोट नहीं ?

लालू तंज कसने में कभी नहीं चूकते, बस मौका मिलना चाहिए। और जब सामने प्रधानमंत्री मोदी हों तो कहना ही क्या। अब जबकि छोटे भाई नीतीश के लिए उनका सत्रह साल पुराना ‘प्रेम’ फिर से जग गया है, कांग्रेस से भी ‘अपनापा’ है, मांझी पर ‘डोरे’ ही डालने में लगे हैं और रामविलास समेत बाकी लोगों की खास चिन्ता उन्हें है नहीं, तो बचता भी कौन है भाजपा और नरेन्द्र मोदी के सिवा। हाँ, नेता तो प्रदेश भाजपा के भी कई हैं लेकिन उन्हें ना तो लालू और ना नीतीश तंज कसने के ‘लायक’ मानते हैं।

बहरहाल, ताजा मामला प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान से जुड़ा है जिसमें उन्होंने कहा था कि गाय की रक्षा के नाम पर असामाजिक तत्व अपनी दुकान चला रहे हैं। राजद सुप्रीमो ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि आखिरकार मोदीजी को ये बात समझ आ गई कि गाय दूध देती है, वोट नहीं।

बता दें कि कल प्रधानमंत्री ने गोरक्षा के नाम पर गुजरात के ऊना में दलितों की पिटाई के संदर्भ में बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि गोरक्षा के नाम पर असामाजिक तत्व अपनी दुकान चला रहे हैं। ऐसे लोगों पर उन्हें गुस्सा आता है। कुछ लोग पूरी रात एंटी सोशल एक्टिविटी करते हैं लेकिन दिन में गोरक्षक का चोला पहन लेते हैं। उन्होंने राज्य सरकारों कहा कि ऐसे जो स्वयंसेवी निकले हैं उनका जरा डोजियर तैयार करें, इनमें से 70-80 फीसदी एंटी सोशल एलिमेंट निकलेंगे।

इतना सुनना था कि लालू ने बिना देर किए अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा – “नागपुर वालों, यह सत्य की विजय और पाखंड की पराजय है। लगता है मेरे द्वारा दो दिन पहले कही गई बात मोदीजी को अच्छे से समझ में आ गई कि गाय दूध देती है, वोट नहीं।“ लालू ने आगे लिखा – “गौमाता इनकी सरकार बनवाना तो दूर, बनी बनाई सरकारों को हिला रही है। ये हमारी जीत और उनकी हार है।“

लालू आखिर लालू ठहरे। वो इतने पर भी नहीं रुके। उन्होंने ये भी कह डाला कि “गौमाता के नाम पर बेवकूफ बनाने चले थे, अब दाँव उल्टा पड़ गया तो भाषा बदल रही है।… आप लोग बिहार चुनाव में कैसे बड़े-बड़े विज्ञापन निकालते थे। ये उन विज्ञापनों की पराकाष्ठा थी कि चुनाव में दाल नहीं गली। हाँ, अब आपका दल जरूर गल जाएगा।”

बिहार चुनाव में महागठबंधन को और खासकर लालूजी की पार्टी को जैसी सफलता मिली उसे देखते हुए लालू अगर कह रहे हैं कि बिहार चुनाव में भाजपा की दाल नहीं गली तो गलत भी नहीं कह रहे लेकिन फिलहाल दिन-ब-दिन ‘बड़ी’ होती भाजपा के लिए गल जाने की बात हजम नहीं होती। लालूजी और उनके छोटे भाई अक्सर भूल जाते हैं कि बिहार से बाहर जहाँ और भी हैं। और हाँ, लालूजी से ये पूछना भी बनता है कि क्या उनके गठबंधन, उनके दल और खास तौर पर उनके लिए क्या सचमुच ‘गाय’ ने केवल दूध ही दिया है अब तक, कभी वोट नहीं दिलाए..?

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

 

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धाविका गीतांजलि की याद में रोडरेस का आयोजन

अल्पायु में ही मधेपुरा को अलविदा कहने वाली उड़नपरी गीतांजलि के तृतीय पुण्यतिथि के अवसर पर सैकड़ों धावक-धाविकाओं को जिला परिषद की अध्यक्षा श्रीमती मंजू देवी, जिप सदस्य प्रकाश नारायण, डॉ मधेपुरी, डॉ.सच्चिदानंद यादव, डॉ.विनय चौधरी आदि  ने रोड रेस प्रतियोगिता के शुभारंभ में हरी झंडी दिखाई |

पुनः शहर के गणमान्य सहित एएसपी राजेश कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार निराला, मधेपुरा कॉलेज के प्राचार्य डॉ.अशोक कुमार, सिंडिकेट सदस्य डॉ.जवाहर पासवान, साहित्यकार डॉ.काश्यप, डॉ विनय चौधरी, डॉ अरुण कुमार, श्रीसंत कुमार, अरुण कुमार आदि ने पुष्पांजलि करने के बाद अपने-अपने उद्गार व्यक्त किए |

कार्यक्रम का समापन प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय आए धावक एवं धाविकाओं को “रनिंग शूज व जर्सी” देकर किया गया | कार्यक्रम का संचालन पी.यदुवंशी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ.आलोक कुमार ने |

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अलविदा, पारले-जी !

सुबह की चाय अब फीकी लगेगी, पड़ोस की छोटी दूकान से लेकर बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर तक आँखें अनायास ही उसे ढूंढेंगी पर वो नहीं मिलेगी… जी हाँ, बचपन की यादों का एक कोना हमेशा के लिए सूना कर ‘पारले-जी’ बंद हो गया। ‘पारले-जी’, जो कहने को एक बिस्कुट था पर किसी जिगरी दोस्त से कम ना था। ना जाने कितनी एकाकियों और कितनी ही यात्राओं में साथ निभाया था उसने। पर बाज़ार के बदले समीकरणों में वो टिका ना रह पाया। पिछले महीने के आखिर में मुंबई के विले पार्ले स्थित पारले-जी की 87 साल पुरानी फैक्ट्री आखिरकार बंद हो गई। फैक्ट्री बंद होने का कारण इसके प्रोडक्शन का कम होना बताया जा रहा है।

अपने जमाने के इस मशहूर बिस्कुट का ‘पारले-जी’ नामकरण इसकी फैक्ट्री के विले पार्ले में होने के कारण हुआ था, पर ज्यों-ज्यों इसका नाम और स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़ता गया, ये बिस्कुट विले पार्ले का पर्याय होता चला गया। पता नहीं इस इलाके के लोग इसकी फैक्ट्री के बंद होने को कैसे पचा पाएंगे जब सैकड़ों किलोमीटर दूर रहकर हम सब इसके बंद होने पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि कम्पनी प्रबंधन ने फिलहाल 10 एकड़ में फैले और 300 कर्मचारियों वाले विले पार्ले यूनिट को ही बंद करने का फैसला किया है, पर निकट भविष्य में बाकी यूनिटें भी बंद की जा सकती हैं।

बहरहाल, बता दें कि ‘पारले प्रोडक्ट्स प्राईवेट लिमिटेड’ की ओर से इस फैक्ट्री की स्थापना 1929 में हुई थी पर शुरू में यहाँ मिठाईयाँ और टॉफियाँ बनाई जाती थीं। इस बिस्कुट का उत्पादन दस साल बाद यानि 1939 में शुरू किया गया था। अपने उत्पादन के समय से ही ये बिस्कुट ग्लूकोज युक्त एनर्जी बूस्टर के तौर पर पूरे देश में जानी जाने लगी। शुरू में इस बिस्कुट को ‘ग्लूको’ नाम से बाजार में उतारा गया था। लेकिन, बाद में इसका नाम बदलकर ‘पारले-जी’ रख दिया गया। स्मरण करा दें कि पारले-जी का ‘जी’ जीनियस का छोटा संक्षिप्त रूप था।

बता दें कि पारले-जी भारत में बिकने वाला सबसे बड़ा बिस्कुट ब्रांड था। देश में बिस्कुट के 40% बाजार पर इसका कब्जा था। 2009-10 के आंकड़ों के अनुसार ‘पारले-जी’ की बिक्री दुनिया के चौथे सबसे बड़े बिस्कुट उपभोक्ता मुल्क चीन से भी ज्यादा थी। भारत से बाहर ये यूरोप, ब्रिटेन, कनाडा आदि में भी उपलब्ध था। ये अकेला एक ऐसा बिस्कुट था जो शहर और गांव दोनों जगह एक ही मूल्य पर बिकता था और इसकी लोकप्रियता दोनों ही जगह एक समान थी।

इस बिस्कुट की लोकप्रियता का बड़ा कारण इसका विज्ञापन का तरीका था जो 80 के दशक में सबसे अलग था। ये वो दौर था जब आम आदमी के जीवन में टेलीविजन का नया-नया प्रवेश हुआ था। टेलीविजन की चमकदार जीवन शैली जब अपने साथ विज्ञापन को भी लेकर आई तो आम भारतीय उस जादू में खो-सा गया। इसी दौर में ‘पारले-जी’ ने तकनीक के साथ नये प्रयोग किए। साल 1979 में उसने एनिमेशन के द्वारा एक छोटी-सी बच्ची की तस्वीर को अपने पैकेट पर अंकित किया। ये तस्वीर ‘पारले-जी’ की लोकप्रियता का बड़ा आधार साबित हुई। अब भी लोगों के जेहन में वो बच्ची बसी हुई है और इस आधुनिक युग में भी उस तस्वीर के एनिमेटेड होने पर किसी को यकीन नहीं आता। सोचिए इस बिस्कुट का कैसा जादू था लोगों पर।

एक नहीं, दो नहीं बल्कि तकरीबन छह पीढ़ियों को अपने मोहपाश में बांधे रखने वाले ‘पारले-जी’ को चलिए बड़े प्यार से अलविदा कहें।

पुनश्च:

कम्पनी के प्रबंधन का दावा है कि उत्पादन लगातार गिर रहा था। इसका मतलब है कि बाज़ार में कम्पनी की डिमांड गिर रही थी, जिससे उत्पादन कम हो रहा था। लेकिन बिस्कुट बाज़ार में जिस कम्पनी की तूती बोलती हो उसके लिए यह बात पचती नहीं कि बाज़ार में बिस्कुट की डिमांड कम हो रही थी। दूसरी बात ये कि क्या सिर्फ मुंबई यूनिट का उत्पादन गिर रहा था या फिर देश भर में जहाँ पारले का उत्पादन होता है, उन यूनिटों की भी यही स्थिति है? अगर दूसरी जगहों पर इस तरह की बात नहीं थी तो मुंबई में यह कैसे हो सकता है? कहीं फैक्ट्री बंद होने के पीछे रीयल स्टेट बाज़ार का दबाव तो काम नहीं कर रहा? हम इस बात को नज़रअंदाज नहीं कर सकते कि मुंबई के इस उपनगर में जमीन 25 से 30 हज़ार रुपये प्रति स्क्वायर फीट की दर से बिक रही है।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

 

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जीएसटी : अब तक का सबसे ‘बड़ा’ और ‘कड़ा’ आर्थिक सुधार

सालों लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार कल राज्य सभा में जीएसटी बिल पास हो गया। कुछ सुझावों और शंकाओं के बावजूद कांग्रेस समेत अन्य दलों के समर्थन के बाद जीएसटी यानि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (वस्तु एवं सेवा कर) को लागू करने के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक पर संसद की मुहर लग गई। यह अब तक का सबसे बड़ा और कड़ा आर्थिक सुधार है क्योंकि इससे पूरे देश में एक समान कर लगेगा। बता दें कि राज्य सभा से बिल पास हो जाने पर अब केन्द्र सरकार इस पर लोकसभा की सहमति जुटाएगी। इसके बाद कई और विधायी प्रक्रिया प्रक्रिया पूरी करनी होंगी और नियम-कानून को अंतिम रूप देना होगा। तब कहीं जाकर ये बिल अगले साल एक अप्रैल से व्यावहारिक धरातल पर उतर पाएगा।

बहरहाल, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स केन्द्र और राज्यों के 20 से ज्यादा अप्रत्यक्ष करों की जगह लेगा। इसके लागू होने पर एक्साइज, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, वैट, सेल्स टैक्स, मनोरंजन कर, लग्जरी टैक्स और ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स जैसे कई टैक्स खत्म हो जाएंगे। पूरे देश में एक समान टैक्स लागू होने से कीमतों का अंतर घटेगा।

सरकार और उद्योग जगत दोनों का ही मानना है कि जीएसटी लागू होने से पूरे देश में कारोबार करना आसान होगा, जिससे जीडीपी में कम-सेकम दो प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। पर जीएसटी से जुड़ा एक और पहलू महंगाई का है जिसे नज़रअंदाज करना मुश्किल है। सच ये है कि पूरी दुनिया में जब भी किसी क्षेत्र में समान बिक्री कर लागू किया गया वहाँ थोड़े समय के लिए महंगाई बढ़ी। भारत में भी इससे महंगाई बढ़ेगी ये तयप्राय है। हालांकि सरकार ने पेट्रोल-डीजल, बिजली और शराब को फिलहाल जीएसटी से अलग रखकर महंगाई बढ़ने की सम्भावना को यथासंभव कम करने की कोशिश की है। इसलिए शुरुआत में इसका सबसे अधिक असर सेवाओं पर होगा।

देखा जाय तो जीएसटी अभी तक संसद में एक तकनीकी बहस का मुद्दा भर रहा है लेकिन पास होने के बाद ये सड़क पर एक राजनीतिक मुद्दा बनेगा। खास कर तब जब केन्द्र की मोदी सरकार महंगाई को काबू में रखने और राज्यों की अपेक्षा पूरी करने में असफल होगी। कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम पहले ही कह चुके हैं कि अगर टैक्स की दरें 18 प्रतिशत से अधिक रहीं तो सड़क पर विरोध किया जाएगा।

सच तो ये है कि 18 प्रतिशत की दर भी बहुत सारी चीजों को महंगा बना देगी, जैसे बाहर खाना, फोन बिल, सिनेमा और इसी तरह की कई सेवाएं। कहने की जरूरत नहीं कि ये सारी चीजें उच्च मध्यवर्ग को सीधे चुभेंगी और समग्र महंगाई में योगदान करेंगी सो अलग। आने वाले समय में जीएसटी भारत का एक विवादित विषय बन जाए तो भी कोई आश्चर्य की बात नहीं। लेकिन फिलहाल वित्त मंत्री अरुण जेटली और सरकार के मुखिया नरेन्द्र मोदी के लिए इस साहसिक कदम पर बधाई तो बनती ही है।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप  

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इप्टा मधेपुरा द्वारा प्रेमचन्द की जयन्ती मनायी गई

बी.पी.मंडल नगर भवन में मधेपुरा द्वारा महान उपन्यासकार व कथाकार प्रेमचन्द की जयंती इप्टा-अध्यक्ष डॉ.नरेश कुमार की अध्यक्षता में धूमधाम से मनायी गई | इस अवसर पर स्कूली बच्चों द्वारा स्थल-चित्रकारी प्रतियोगिता आयोजित की गई | साथ ही  प्रेमचन्द रचित कहानी ‘सद्गति’ पर आधारित नाटक का सफल मंचन सुभाष चंद्रा की टीम द्वारा प्रस्तुत किया गया |

प्रेमचन्द की 136 वीं जयंती समारोह का शुभारंभ उद्घाटनकर्ता डी.एम. मो.सोहैल, मुख्यअतिथि एस.पी. विकास कुमार, इप्टा के संरक्षक डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी, प्राचार्या चंद्रिका यादव, डॉ.नरेश कुमार आदि ने सम्मिलित रूप से दीप प्रज्वलित कर किया |

इस अवसर पर उद्घाटनकर्ता जिले के डायनेमिक डी.एम. मो.सोहैल ने अपने सारगर्भित संबोधन में कहा कि महान कथाकार प्रेमचन्द ने अपने समस्त साहित्य में सामंतवाद और पूंजीवाद को बेनकाब करने का स्तुत्य प्रयास किया है | साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि प्रेमचन्द ने भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति की गहराई को करीने से उकेरा है |

मुख्य अतिथि जाँवाज एसपी विकास कुमार ने कहा कि न्याय व शांति बनाये रखने में प्रेमचन्द की रचनाएं समाज की हकीकत बयाँ करती रही हैं | उन्होंने कार्यक्रम की हृदय से सराहना की |

समारोह को संबोधित करते हुए जहां इप्टा प्रदेश उपाध्यक्ष प्रो.शचीन्द्र ने प्रेमचन्द के सपनों को साकार करने का व्रत लिया वहीँ इप्टा के संरक्षक डॉ.मधेपुरी ने अपने संबोधन में ‘इप्टा’ नाम देने वाले विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ.होमी जहांगीर भाभा को एटॉमिक एनर्जी के क्षेत्र में भारत को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए ‘भारतरत्न’ से सम्मानित किए जाने की पुरजोर वकालत की  | हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ.इंद्र नारायण यादव एवं माया विद्या निकेतन प्राचार्या चंद्रिका यादव ने भी अपने उद्गार व्यक्त किये |

The youngest kid Aditya from Kid Zee Madhepura receiving medal & certificate at BP Mandal Townhall , Shahid Chulahay Marg Madhepura.
The youngest kid Aditya from Kid Zee Madhepura receiving medal & certificate at BP Mandal Townhall , Shahid Chulahay Marg Madhepura.

चित्रकारी प्रतियोगिता में तीन छात्राएं प्रशहित, रीमा एवं सीमा को तथा सबसे कम उम्र के प्रतिभागी किडजी स्कूल के आदित्य एवं एस.एन.पी.एम. की छात्रा शशि तब्बसुम को प्रो.शचीन्द्र, डॉ.मधेपुरी, प्राचार्या चंद्रिका यादव व निरंजन कुमार आदि ने मेडल एवं प्रमाण-पत्र देकर पुरस्कृत तथा सम्मानित किया | अंत में डॉ.आलोक कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया |

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