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जॉर्ज सिडनी अरुंडेल का जन्म 1 दिसंबर 1878 को हुआ था इंग्लैंड में

आजादी की लड़ाई में भारतीयों का साथ देने वाले अंग्रेज शिक्षक जॉर्ज सिडनी अरुंडेल का जन्म आज ही के दिन यूनाइटेड किंगडम में हुआ था। वे भारतीय नृत्यांगना रुक्मिणी देवी अरुंडेल के पति थे। उनका नाम भारत के लिए अपना जीवन समर्पित कर देने वाले अंग्रेज व्यक्तियों में गिना जाता है।

बता दें कि एनी बेसेंट ने युवाओं की समुचित शिक्षा के लिए वाराणसी में जो “सेंट्रल हिंदू स्कूल” की स्थापना की थी, उसी स्कूल की में जॉर्ज अरुंडेल अध्यापक बन गए थे और बाद में प्रधानाचार्य भी बने। वे बड़े लोकप्रिय शिक्षक थे। वे ताजिंदगी भारत की स्वतंत्रता की भावना का पूरा सम्मान करते रहे थे। क्रांतिकारी छात्रों को गिरफ्तार होने से बचाते रहे। इसके चलते उन्हें नजरबंद कर दिया गया। वे जेल में डाल दिए गए।

चलते-चलते यह भी बता दें कि लंदन में एनी बेसेंट का भाषण सुनकर 25 वर्षीय जॉर्ज अरुंडेल इस कदर प्रभावित हुए कि वे भारत चले आए और फिर यहीं के होकर रह गए। उनकी मृत्यु 12 अगस्त 1945 को चेन्नई में हो गई।

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आॅमिक्राॅन को लेकर पूरी दुनिया परेशान है

कोरोना  के नए वेरिएंट आॅमिक्राॅन से पूरी दुनिया दहशत में आ गई है। फिलहाल आॅमिक्राॅन 16 देशों में फैल गया है।

बता दें कि भारत सरकार द्वारा पूर्व में यह निर्णय लिया गया था कि 15 दिसंबर से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भरी जाएंगी। परंतु, केंद्र सरकार द्वारा पुनः समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अब बाहर से आने वाले यात्रियों की विगत 14 दिनों की यात्रा की जानकारी ली जाए। जांच के दौरान आवश्यक होने पर 7 दिनों का होम क्वारनटीन अनिवार्य किया जाए।

जानिए कि कोरोना के डेल्टा वेरियन्ट का नया स्वरूप है यह “आॅमिक्राॅन” जो पहली बार साउथ अफ्रीका में मिला। यह आॅमिक्राॅन डेल्टा से 7 गुना अधिक घातक है। मात्र 9 दिनों में ही 16 देशों में फैल गया है। यह आॅमिक्राॅन पुराने वेरियंट से ज्यादा तेजी से फैल रहा है। यही कारण है कि साउथ अफ्रीका से भारत आ रहे यात्रियों की जांच अनिवार्य कर दी गई है। मथुरा में 4 विदेशी नागरिक कोरोना पॉजिटिव पाये गए हैं। आॅमिक्राॅन को लेकर दुनिया परेशान है।

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अब नए पाठ्यक्रमानुसार ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यक्रम होंगे मजबूत

भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग जल्द ही पोस्ट ग्रेजुएट चिकित्सा पाठ्यक्रम के नए स्वरूप को मंजूरी प्रदान करने जा रहा है। इस पाठ्यक्रम के अनुसार पीजी करने वाले सभी डॉक्टरों (एमएस/एमडी) को 3 महीने जिले के अस्पतालों में कार्य करना अनिवार्य होगा।

बता दें कि पीजी कोर्स के अंतर्गत 3 महीने का डिस्ट्रिक्ट रेजिडेंसी प्रोग्राम (डीआरपी) शुरू किया जा रहा है। इससे नए डॉक्टर जिला स्तरीय स्वास्थ्य संरचना को समझ सकेंगे। उन्हें राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के क्रियान्वयन को लेकर समझ बढ़ेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी को दूर करना भी संभव होगा।

चलते-चलते यह भी कि प्रतिवर्ष भारत में 40,000 से अधिक डॉक्टर्स पीजी कोर्स करेंगे। नए कोर्स लागू होने पर कम से कम 10000 पीजी डॉक्टर्स हर समय जिलों के अस्पताल के जरिए अपनी सेवाएं ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में दे रहे होंगे। प्रस्तावित कोर्स के अनुसार एमडी या एमएस कर रहे सभी डॉक्टरों के लिए तीसरे, चौथे या पांचवें सेमेस्टर की पढ़ाई के दौरान 3 महीने के लिए जिला अस्पताल या जिले के ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र में कार्य करना अनिवार्य होगा।

 

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कोरोना वायरस दुनिया से गया नहीं है, अभी भी मास्क और बूस्टर डोज के सहारे लड़ रहा है यूरोप

यूरोप इस वक्त कोरोना वायरस का केंद्र बना हुआ है। भारत से भी कोरोना गया नहीं है। ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने तो दुनिया को यह कह कर आगाह किया है कि कोरोना के डेल्टा वेरियेंट से भी अधिक खतरनाक स्वरूप मिला है, जो 3 देशों में फैल चुका है। वे देश हैं- वोत्सवाना, दक्षिण अफ्रीका और हांगकांग। इस वेरिएंट में अब तक 32 उत्परिवर्तन देखने को मिले हैं जिन्हें टीका प्रतिरोधी भी बताया जा रहा है।

अभी भी यूरोप के कई देश मास्क एवं बूस्टर डोज के सहारे कोरोना की पांचवी लहर को रोकने में लगे हैं।  कोरोना वायरस के बढ़ते मामले को देखते हुए ब्रिटेन, डेनमार्क सहित कई देशों ने एक बार फिर से मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया है।

चलते-चलते यह भी कि वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि यदि मास्क का उपयोग बढ़ा दिया जाए तो दुनिया में यूरोप सहित हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती है। दुनिया के ताकतवर देशों ब्रिटेन, अमेरिका, इजरायल समेत कई देशों में जिन लोगों को टीके के दोनों खुराक लिए हुए छह माह हो गए हैं उनके बीच बूस्टर डोज भी रफ्तार पकड़ ली है।

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नई सोच के साथ बढ़ रहे भारत में अब 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1020 हो गई

हमारा भारत तो आज भी गांवों का देश है। जानिए कि भारत के गांव में आज की तारीख में 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1037 हो गई है, जबकि बाकी शहरों का औसत 1000 पुरुषों पर 985 महिलाओं का है। इस तरह देश में महिलाओं की संख्या पुरुषों की संख्या से बढ़ जाना एक बहुत बड़ा बदलाव है।

जानिए कि वर्ष 2015-16 में इसी भारत में 1000 पुरुषों पर 991 महिलाओं की संख्या थी। यह बदलाव हो कैसे गया? इस बदलाव में विशेष रूप से इन पांच राज्यों का योगदान है-

1. केरल में 1000 पुरुषों पर 1021 महिलाएं हैं।

2. बिहार में 1000 पुरुषों पर 1090 महिलाएं हैं।

3. तमिलनाडु में 1000 पुरुषों पर 1088 महिलाएं हैं।

4. मणिपुर में 1000 पुरुषों पर 1066 महिलाएं हैं।

5. पश्चिम बंगाल में 1000 पुरुषों पर 1049 महिलाएं हैं।

महिलाओं की संख्या सामाजिक संतुलन के लिए जरूरी है। कई राज्यों की स्थिति तो ऐसी हो गई है कि बहुएं नहीं मिलने के कारण एक ही लड़की से कई भाइयों को शादी करनी पड़ती थी।

महिलाओं में शिक्षा के प्रसार होने से महिलाएं अपनी सेहत पर ज्यादा ध्यान देने लगी हैं। वे पुरुषों की तुलना में ज्यादा लंबा जीने लगी हैं।

चलते-चलते यह भी कि विश्व के कई देशों में महिला की संख्या पुरुषों से बहुत अधिक है। यूक्रेन, बेलारूस, हांगकांग जैसे देशों में कुल आबादी के 53.5% महिलाएं हैं।

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देश में पूर्ण टीकाकरण वाले घरों पर कोरोना स्टीकर लगेगा

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार जिस घर में लोगों को कोरोना प्रोटोकॉल के नियमों के तहत दोनों डोज लग चुके हैं उस घर पर पूर्ण टीकाकरण वाला कोरोना स्टीकर साटा जाएगा। क्योंकि भारत सरकार सुनिश्चित करना चाहती है कि देश के हर व्यक्ति का पूर्ण टीकाकरण हो।

बता दें कि अब तक सिंगल या डबल डोज मिलाकर देश ने तेजी से 100 करोड़ कोरोना टीकाकरण का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। परंतु, कोरोना अभी भी समाप्त नहीं हुआ है।

जानिए कि बीते चौबीस घंटों में कोरोना वायरस ने देश में 197 लोगों की जान ले ली है जिसमें 127 मौतें केवल केरल राज्य में दर्ज की गई है। चतुर्दिक चर्चा हो रही है कि हर व्यक्ति के पूर्ण टीकाकरण के लिए जन भागीदारी आवश्यक है।

चलते-चलते यह भी कि भारत सरकार ने घोषणा की है कि दोनों खुराक 100% लोगों को देना कोविड-19 टीकाकरण अभियान को पूरा करने और भारत में वैश्विक महामारी समाप्त करने के लिए जरूरी है। मौके पर समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने कहा कि इस व्यापक अभियान को हम सभी भारतीय का समर्थन मिले तभी सरकार का “हर घर दस्तक” अभियान सफल हो पाएगा और हर घर पर पूर्ण टीकाकरण वाला कोरोना स्टीकर दूर से ही अपनी चमक बिखेड़ता हुआ दिखेगा।

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उपन्यासकार मन्नू भंडारी के निधन से साहित्य जगत मर्माहत

प्रख्यात उपन्यासकार मन्नू भंडारी के निधन का समाचार सुनते ही संपूर्ण साहित्य जगत मर्माहत हो गया। चारों ओर शोक की लहर दौड़ गई।

बता दें कि मध्य प्रदेश में जन्मी लेखिका मन्नू भंडारी ने साहित्य के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई थी। अपने कालजई रचनाओं “आपका बंटी”, “महाभोज” आदि के लिए मशहूर मन्नू भंडारी का सोमवार को गुरुग्राम के एक अस्पताल में निधन हो गया।

जानिए कि मन्नू भंडारी को हिन्दी में उनकी उत्कृष्ट साहित्यिक उपलब्धियों के लिए “दिल्ली शिखर सम्मान” एवं केके बिरला फाउंडेशन के “व्यास सम्मान” सहित कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उनके प्रसिद्ध उपन्यास “यही सच है” को 1974 में ‘रजनीगंधा’ नाम से फिल्माया गया था। यह फिल्म एक साल बाद कई फिल्म फेयर पुरस्कार भी जीते।

मौके पर समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने कहा कि साहित्य को समृद्ध करने वाली मन्नू भंडारी द्वारा महिलाओं के अलावा कई विषयों पर लेखन की जा चुकी है। 90 की उम्र तक बदलते सामाजिक यथार्थ की कहानीकार बनी रही मन्नू भंडारी…… ताजिंदगी हिन्दी की अग्रणी लेखिका बनी रही। तभी तो मन्नू जी का लिखा आज भी समस्त साहित्यानुरागियों की नसें चटका देता है। उनकी कहानी कभी पुरानी नहीं पड़ सकती…।

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मधेपुरा से मंगल सानिध्य रखने वाले गणितज्ञ डॉ.वशिष्ठ नारायण सिंह को मरणोपरांत मिला पद्मश्री सम्मान

गणितज्ञ प्रो.(डॉ.)वशिष्ठ नारायण सिंह का मंगल सानिध्य मधेपुरा से रहा है। जहां उन्होंने मधेपुरा के भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में योगदान दिया था, वहीं पटना के साइंस कॉलेज में मधेपुरा निवासी समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी से एक क्लास आगे पढ़ते थे।

जानिए कि वर्ष 1962 में जब डॉ.वशिष्ठ नारायण नेतरहाट से हायर सेकेंडरी उत्तीर्ण होकर बी.एस-सी पार्ट वन के छात्र हुआ करते थे तब डॉ.मधेपुरी पटना साइंस कॉलेज में प्री-साइंस के छात्र हुआ करते थे।

बता दें कि गणितज्ञ रामानुजन कहलाने वाले एकमात्र छात्र वशिष्ठ के लिए कुलपति डॉ.जॉर्ज जैकब एवं पटना साइंस कॉलेज के प्राचार्य डॉ.नासु नागेंद्र नाथ ने बी.एस-सी गणित की परीक्षा लेकर उन्हें कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी भेज दिया, जहां उन्होंने गणितज्ञ डॉ.केली के सानिध्य में रहकर काम किया।

यह भी कि जब 1973 में वैवाहिक बंधन में बंधे तो अचानक दुनिया भैंचक हो गई यह जानकर कि गणितज्ञ वशिष्ठ रांची मेंटल हॉस्पिटल में इलाजरत हैं। जब गणित की दुनिया का वह चमकता सितारा गुमनामी की जिंदगी जीने को विवश हो गया तब मधेपुरा वकालत खाना में डॉ.मधेपुरी ने लोक अभियोजक शिवनेश्वरी प्रसाद की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाकर उस महान गणितज्ञ को आर्थिक मदद करने का निर्णय लिया। परंतु, एक दिन बाद कर्पूरी सरकार ने घोषणा कर दी कि डाॅ.वशिष्ठ नारायण का सारा खर्च सरकार वहन करेगी।

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बिहार के प्रमोद को ‘खेलरत्न’ से सम्मानित किया राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने

महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खेल जगत में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को राष्ट्रपति भवन के ‘दरबार हाल’ में समारोह पूर्वक सम्मानित किया। इस कार्यक्रम में टोक्यो पैरालंपिक में बिहार के वैशाली निवासी प्रमोद भगत को भी बैडमिंटन के स्वर्ण पदक विजेता होने पर मेजर ध्यान चंद खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा गया। राष्ट्रपति द्वारा जैवलिन थ्रो के विश्व चैंपियन नीरज चोपड़ा सहित भारत 12 खिलाड़ियों को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

बता दें कि इसी कार्यक्रम में पैरालंपिक के ऊंची कूद में टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी शरद कुमार सहित 35 खिलाड़ियों को राष्ट्रपति द्वारा ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।

चलते-चलते यह भी बता दें कि जहां खेलरत्न पुरस्कार में पुरस्कार राशि 25 लाख दी गई… वहीं अर्जुन पुरस्कार में 15 लाख रूपये की पुरस्कार राशि दी गई है। इसके अलावे सम्मान पत्र आदि देकर भी सम्मानित किया गया। यूं तो यह सम्मान हर साल 29 अगस्त को मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन पर आयोजित किया जाता है, परंतु उस समय टोक्यो ओलंपिक एवं पैरालंपिक खेल होने के कारण यह समारोह विलंब से आयोजित किया गया।

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अब शरीर के किसी भाग पर मौजूद हुआ कोरोना वायरस तो नैनो तकनीक वाले रिस्ट बैंड का बजने लगेगा अलार्म

कोरोना की तीसरी लहर की आशंका से भयभीत भारतीय युवा विज्ञानी डॉ.रेनु चोइथरानी का दावा है कि देश में इस तरह का पहला नम्नोमेष है जिसे भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय ने प्रमाणित किया है। इस बैंड को तैयार करने में करीब डेढ़ वर्ष का समय और लगभग ढाई हजार रुपये का खर्च आया है।

बता दें कि इस रिस्ट बैंड में बायो सेंसर लगे हैं, जो कि कोरोना वायरस के सभी वेरिएंट की पहचान कर लेते हैं। बैंड में लगी लाल एलईडी जलने के साथ-साथ अलार्म भी बजने लगता है।

चलते-चलते यह भी जान लीजिए कि शरीर का तापमान मापने हेतु इस बैंड में थर्मल सेंसर भी लगाए गए हैं, जिसे जिसमें मोबाइल नंबर फिट करने पर शरीर का तापमान सामान्य से अधिक होते ही आपातकालीन नंबर पर मैसेज आ जाता है।

 

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