मधेपुरा के सर्वाधिक पुराने साहित्यिक संस्थान कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अम्बिका सभागार में स्थानीय कवि-साहित्यकारों एवं बुद्धिजीवियों के बीच भव्यता के साथ गोस्वामी तुलसीदास की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर शहर के शिक्षक-प्रोफेसर, अधिवक्ता-साहित्यकार एवं तुलसी सहित रामचरितमानस पर साधिकार अपने विचारों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाले दो-दो विद्वान वक्ताओं को आमंत्रिक किया गया था- एक तिलका माँझी , भागलपुर वि.वि में प्रतिकुलपति रह चुके डॉ.के.के.मंडल और दूसरे भू.ना.मंडल वि.वि. में स्नातकोत्तर हिन्दी के विभागाध्यक्ष रह चुके डॉ. सिद्धेश्वर काश्यप।
बता दें कि मंच संचालन करते हुए सम्मेलन के सचिव डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कोसी अंचल के वरिष्ठ साहित्यकार-इतिहासकार श्री हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ से कार्यक्रम का शुभारम्भ ‘तुलसी की तस्वीर’ पर पुष्पांजलि के साथ करने का अनुरोध किया। अध्यक्षता कर रहे श्री शलभ ने कहा-
मानव कल्याण, धर्म, नीति और सदाचार का जितना प्रचार तुलसी के ग्रन्थों द्वारा हुआ है उतना किसी अन्य ग्रन्थों द्वारा नहीं। चौतरफे हमले से हमारी धर्म-संस्कृति की रक्षा की तथा पंच मकारी प्रयोग से हमारे समाज को बचाया भी। तुलसी के समग्र काव्य को विश्व-साहित्य की सर्वोत्तम धरोहर तथा म्रियमान समाज के लिए संजीवनी कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी |
यह भी जानिए कि प्रखर वक्ता पूर्व प्रतिकुलपति डॉ.के.के.मंडल द्वारा मानस के सुन्दर कांड की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए यह कहा गया कि सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड ज्ञानगुणसागर हनुमान जी की कृतिगाथा से समन्वित है | बजरंगवली का समुद्र पार करना….माँ जानकी से मिलना…..लंका दहन के बाद विभीषण का राम की शरण में आना….एवं पुल निर्माण के साथ ही यह सुन्दर काण्ड समाप्त होता है ।
दूसरे प्रमुख वक्ता के रूप में BNMU के स्नातकोत्तर हिन्दी के पूर्व विभागाध्यक्ष रहे हिन्दी प्राध्यापक डॉ.सिद्धेश्वर काश्यप ने तुलसी के रामचरितमानस में युगीन सच को उकेरते हुए कहा कि मानस में इस देश की सनातन भाव द्वंदता की अभिव्यक्ति है जो अमरता प्रदान करती है | उन्होंने कहा कि इस युग की सच्चाई को लगभग 5 सौ वर्ष पहले ही तुलसी ने मानस के उत्तरकांड में अभिव्यक्त कर दिया था |
अंत में सम्मलेन के सचिव डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने रामचरितमानस को संदर्भित करते हुए विज्ञान के अनेक-प्रसंगों का उल्लेख किया। इसे विश्व का सर्वश्रेष्ठ काव्य ग्रन्थ कहा और गोस्वामी तुलसीदास को सर्वाधिक समन्यवयकारी महामानव बताया। अन्य वक्ताओं में हिन्दी के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ.इन्द्र नारायण यादव , डॉ.आलोक कुमार, डॉ.सुरेश भूषण, साहित्यकार दशरथ प्रसाद सिंह कुलिश , रघुनाथ प्र. यादव , सुकवि उल्लास मुखर्जी, निदेशक श्यामल कुमार सुमित्र, प्राणमोहन प्रसाद द्विजराज, आनंद आदि। अंत में तुलसी जयंती के अवसर पर कुछ प्रतियोगी छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत भी किया गया। सम्मलेन के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो.श्यामल किशोर यादव ने धन्यवाद ज्ञापित किया और अंत में कवि ह्रदय प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के निधन पर उन्हें दो मिनट का मौन श्रद्धांजलि अर्पित किया गया।