Lalu Prasad Yadav

क्या ये लालू के लिए ‘निर्णायक’ झटका है?

बिहार में सबसे ज्यादा विधायक उनकी पार्टी के, दोनों बेटे सरकार में नंबर दो और तीन की हैसियत में, बेटी राज्यसभा में, पत्नी राजद विधानमंडल दल की नेता और स्वयं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के साथ-साथ सरकार के ‘अभिवावक’ की भूमिका में, फिर भी इन दिनों बेहद परेशान हैं लालू प्रसाद यादव। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने तो पहले ही मोर्चा खोल रखा था उनके और उनके परिवार के ऊपर कि अर्णब गोस्वामी अपना ‘रिपब्लिक टीवी’ शुरू करते ही लालू-शहाबुद्दीन की बातचीत का टेप लेकर आ धमके और अब सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश, जिसमें कहा गया है कि उनके विरुद्ध आपराधिक साजिश का केस चलेगा।

गौरतलब है कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने चारा घोटाले से जुड़े सभी चार मामलों को अलग-अलग चलाने का आदेश दिया। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस अमिताभ रॉय की पीठ ने निचली अदालत को लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्र व अन्य के खिलाफ नौ माह के अंदर सुनवाई पूरी करने के निर्देश दिए। पीठ ने धारा 120 बी के तहत आपराधिक साजिश के आरोप भी बरकरार रखे। इसे झारखंड हाईकोर्ट ने नवंबर 2014 में हटाने का आदेश दिया था।

इस फैसले के आते ही भाजपा ने स्वाभाविक तौर पर दिल खोलकर इसका स्वागत किया। सुशील कुमार मोदी ने तो बिना देर किए नीतीश कुमार के सामने समर्थन का ‘पासा’ तक फेंक दिया। फैसले के बाद एक न्यूज चैनल से बातचीत में मोदी ने कहा कि अगर नीतीश कुमार लालू का साथ छोड़ दें तो भाजपा जेडीयू को समर्थन देने पर विचार करेगी। दूसरी तरफ जेडीयू ने मोदी के इस बयान को गुमराह करने वाला बताया। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि बिहार का जनादेश सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ है और जनता ने पूरे पांच साल के लिए महागठबंधन को चुना है।

हालांकि जेडीयू इस मामले में अभी कुछ भी बोलने में बहुत सावधानी रख रही है और यथासंभव गठबंधन धर्म का पालन कर रही है, लेकिन अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब बेनामी संपत्ति को लेकर मोदी के आरोपों की बाबत पार्टी ने कहा था कि इन आरापों पर सफाई वे लोग दें जिन पर आरोप लगाए जा रहे हैं। इस पर राजद ने खासी नाखुशी जाहिर करते हुए गठबंधन धर्म की दुहाई दी थी।

सच तो यह है कि यूपी विधानसभा के बाद से ही सियासी गलियारों में ऐसी अटकलें लग रही हैं कि नीतीश और लालू का साथ एक बार फिर टूट सकता है। हालांकि जेडीयू ने हर बार इन अटकलों को खारिज किया है। पर इस बार झटका जोर से लगा है, इतनी जोर से कि नीतीश शायद डैमेज कंट्रोल न कर सकें। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर अपनी छवि के प्रति शुरू से सतर्क रहे नीतीश कोई बड़ा और चौंकाने वाला निर्णय ले लें।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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