कोसी के तीनों जिले- मधेपुरा, सुपौल और सहरसा के किसानों को आरंभ में डीएपी की कमी और अब यूरिया की कमी से जूझना पड़ रहा है। लंबी-लंबी कतारों में दिन-दिन भर किसान भूखे-प्यासे यूरिया के लिए खड़े देखे जा रहे हैं।
दिन भर खड़े रहने के बावजूद जिन किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ता है, तब वे दूसरे दिन सम्मिलित होकर किसी पुल की खोज कर उसे जाम करते हैं और तब तक नहीं हटते जब तक उस जिले के आलाधिकारी या जिलाधिकारी वहां आकर उन्हें आश्वासन नहीं देते। बीडीओ या एसडीओ के समझाने बुझाने पर किसान अपनी मांग पर अड़े रहते हैं। जब किसान को तसल्ली हो जाती है कि उनको कल खाद मिलेगा। तभी तीन-चार घंटों का जाम समाप्त होता है और सड़क पर यातायात बहाल हो पाता है।
चलते-चलते यह भी कि खाद की किल्लत कुछ तो है, परंतु विक्रेताओं की मनमानी भी किसानों की परेशानी को ज्यादा बढ़ाती रहती है और किसानों को प्रदर्शन और सड़क जाम करने हेतु विवश कर देती है।