Auranzeb Road change to APJ Abdul Kalam Road

काश गवर्नमेंट भी चलती गूगल की तरह..!

दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार ने हाल ही में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को सम्मान देते हुए नई दिल्ली स्थित औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड करने की घोषणा की। अभी ये घोषणा केवल घोषणा ही है। भारत में सरकारी फाइलें अब भी ‘माउस’ की बजाय ‘हाथी’ की सवारी करती हैं, इसीलिए इस घोषणा को सड़क पर उतरने में वक्त लगे शायद। बहरहाल, सरकार का काम सरकार जाने, गूगल ने अपना काम कर दिया।

जी हाँ, आपको आश्चर्य होगा कि अभी दिल्ली सरकार ने औरंगजेब रोड का बोर्ड भी नहीं हटाया है लेकिन गूगल ने बिना वक्त गंवाये अपने डाटाबेस को संशोधित कर लिया। अब आप गूगल मैप्स पर इस सड़क का नाम एपीजे अब्दुल कलाम रोड पाएंगे। यही नहीं, औरंगजेब रोड सर्च करने पर भी रिजल्ट में एपीजे अब्दुल कलाम रोड ही दिखेगा। विकिपीडिया पर भी इस रोड की मौजूदगी नये नाम के साथ हो गई है।

अरविन्द केजरीवाल की मौजूदगी में नई दिल्ली नगरपालिका (एनडीएमसी) ने ये फैसला 28 अगस्त को लिया था और अभी सप्ताह भर ही बीता है। देखा जाय तो इस फैसले को अमलीजामा पहनाने में दिल्ली सरकार ने इतनी देर नहीं की है कि हम उसे कठघरे में खड़ा कर दें। आज नहीं तो कल इस घोषणा पर अमल हो ही जाएगा। सवाल यहाँ सरकार की नीति और नीयत का नहीं, उस ‘तत्परता’ का है जिससे घोषणाएं जमीन पर उतरती हैं। हम इंडिया को जितना भी ‘डिजिटल’ और सिटी को जितना भी ‘स्मार्ट’ बना दें, फर्क ‘तत्परता’ से ही आना है।

सौ मीटर की दौड़ हो तो जीत-हार तय करने में सेकेंड के दसवें हिस्से की भी भूमिका होती है। देखा जाय तो ग्लोबलाइजोशन के दौर में वही देश दुनिया की अगुआई कर रहे हैं जो ‘मैराथन’ में भी ‘सौ मीटर’ वाली रफ्तार से दौड़ने की ‘क्षमता’ और ‘तत्परता’ रखते हैं। अपने दिल पर हाथ रखिए और बोलिए इस दौड़ में हम कहाँ हैं जबकि सच्चाई ये है कि दिल्ली से जुड़ा जो काम सात समुन्दर पार से संचालित होनेवाला गूगल कर लेता है वो दिल्ली की सरकार अपने समूचे तंत्र के साथ दिल्ली में बैठकर भी नहीं कर पाती है..!

पुनश्च :

औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड करना भी राजनीति का विषय है अपने यहाँ। जी हाँ, आजकल चर्चा में आए ओवैसी और मैडम मायावती ने इसका विरोध किया है। जिस ‘तत्परता’ की बात मैंने ऊपर की है उसकी जरूरत ये तय करने में भी है कि हमें किन ‘प्रतीकों’ के सहारे आगे बढ़ना है और ये भी कि आने वाली पीढ़ियों को हम किस ‘रोड’ पर चलते देखना चाहेंगे – औरंगजेब ‘रोड’ या एपीजे अब्दुल कलाम ‘रोड’..?

  • मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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