ब्रम्हाकुमारी रंजू दीदी ने मधेपुरा के ‘सुख शांति भवन’ में मनाया रक्षाबंधन का पर्व

प्रातः 8:30 बजे समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी, पूर्व प्रमुख विनय वर्धन उर्फ खोखा बाबू, ओम बाबू, बैजनाथ बाबू सहित ब्रम्हाकुमारियों व श्रद्धालुओं के बीच राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी रंजू दीदी ने रक्षाबंधन पर्व का श्रीगणेश करते हुए ये बातें कहीं-

“श्रावणी पूर्णिमा के दिन रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। उन दिनों शिष्य अपने गुरुओं को रक्षा सूत्र बाँधते थे और पुरोहित राजा और समाज के वरिष्ठ जनों को।”

बकौल रंजू दीदी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजसूय यज्ञ के समय भगवान श्री कृष्ण को द्रोपदी ने रक्षा सूत्र के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था। उसी के बाद से बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हो गई। आज के दिन भाई बहन को उपहार देता है और देता है जीवन भर बहन की रक्षा करने का वचन भी।

Shikshavid Dr.Bhupendra Madhepuri addressing devotees on the occasion of Raksha Bandhan celebration at Sukh Shanti Bhawan Madhepura.
Shikshavid Dr.Bhupendra Madhepuri addressing devotees on the occasion of Raksha Bandhan celebration at Sukh Shanti Bhawan Madhepura.

बता दें कि रक्षाबंधन के बाबत अपने संबोधन में शिक्षाविद् डॉ.भूपेंन्द्र नारायण मधेपुरी ने कहा कि बात 1905 की है। लॉर्ड कर्जन ने 16 अक्टूबर 1905 को बंगाल विभाजन की घोषणा कर दी थी। उसके विरोध में रविन्द्र नाथ टैगोर, रास बिहारी लाल मंडल…… आदि द्वारा 2 महीने तक ‘राखी दिवस’ मनाते रहने के चलते अंग्रेजों को बंग विभाजन रोकने पर मजबूर होना पड़ा था। डॉ.मधेपुरी ने कहा कि अंततः ज्ञान ही हमारी रक्षा करता है और ज्ञान से ही पुरुषार्थ का उदय होता है। मौके पर ओम प्रकाश यादव, खोखा यादव एवं ब्रह्मा कुमारी वीणा दीदी आदि ने भी विस्तार से रक्षाबंधन पर्व पर प्रकाश डाला।

अंत में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी रंजू दीदी ने डॉ.मधेपुरी, ओम बाबू, खोखा बाबू, बैजनाथ बाबू सहित अन्य सभी उपस्थित श्रद्धालुओं को राखी बांधकर एवं प्रजापिता ब्रह्मा बाबा का चरणामृत व लड्डू बांटकर लोगों का मुंह मीठा किया।

 

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