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बाहरी दशानन नहीं, अन्दर के रावण का दहन है जरूरी

प्रत्येक दशहरे में लोग शक्तिशालिनी माता दुर्गा से शक्ति लेकर 10 तरह के अवगुणों से मुक्ति पाने की मन्नतें मांगता है और उस पर विजय पाने की कोशिश करते हुए ‘विजयादशमी’ के रूप में सर्वाधिक उत्साहपूर्वक इस पर्व को मनाता है | तभी तो दशहरे के पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है |

बता दें कि इस बार दशहरे की तिथि 30 सितंबर (शनिवार) को चौबीसो घंटे रहेगी- यानि 29 सितंबर के 12 बजे रात्रि से कुछ मिनट पूर्व से 30 सितंबर के 12:00 बजे रात से 1 घंटे बाद तक रहेगी | रात्रि में रावण-दहन किया जायगा | हालांकि रावण के दशो मुखड़े तो बाहर ही रहते हैं…… अब तो अच्छे लोग अपने अंदर के 10 से अधिक मुखौटों को जलाने में लग गये हैं |

पर्व-त्योहार चाहे किसी भी समुदाय का हो- वह तो आस्था का पर्व होता है, आत्मविश्वास का त्योहार होता है | जिन भक्तों व मुरीदों के अंदर जितनी गहरी आस्था होगी और आत्मविश्वास होगा उनकी मन्नतें उसी अनुरूप पूरी होती रहेंगी | जिस गांव या पंचायत के दोनों समुदाय (हिन्दू-मुस्लिम) के बीच जितनी एकता होगी उस गाँव, प्रखंड या पंचायत में उतनी ही समृद्धि, सद्भाव व शांति विराजमान रहेगी | बच्चे संस्कारवान होंगे | उक्त बातें शहर के प्रसिद्ध समाजसेवी शिक्षाविद डॉ.मधेपुरी ने कही |

यह भी जानिए कि यहाँ दुर्गा-पूजा मुहर्रम को लेकर शांति व सौहार्द जिस तरह कायम रहता रहा है कि आम लोग मधेपुरा जिले के अन्य प्रखंडों के साथ-साथ खासकर गम्हरिया और कुमारखंड प्रखंड के रहटा पंचायत के हिन्दू-मुसलमान एकता का मिसाल पेश करने से बाज नहीं आते | दोनों समुदाय की समितियों में दोनों समुदाय के लोगों का मेंबर होना तथा एक ही मैदान में दुर्गा पूजा का मेला और मुहर्रम का मेला शांतिपूर्वक संपन्न होना मधेपुरा जिले के डायनेमिक डीएम मो.सोहैल एवं उनकी टीम सहित एसपी विकास कुमार की सक्रियता, सदाशयता व सज्जनता को दर्शाता है |

जिले में इसी तरह शांति व सद्भाव बनाये रखने हेतु सभी सोशल एक्टिविस्ट, जनप्रतिनिधि, व्यापारी, पदाधिकारी एवं उच्चाधिकारी को मधेपुरा अबतक की ओर से कोटि-कोटि साधुवाद !!

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