सूचना तकनीक के फायदे हैं तो नुकसान भी। व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्वीटर जैसी तकनीक ने जहाँ हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी को आसान किया है वहीं दूसरी ओर इसे जटिलताओं से भी भर दिया है। तीर कमान से निकला नहीं कि उस पर आपका कोई वश नहीं रह जाता, ये बात तो बचपन से सुनने को मिलती रही है लेकिन यहाँ तो बात कई कदम नहीं, कोसों आगे की है। अब इंटरनेट से जुड़े इन माध्यमों पर आपने मैसेज सेंड किया नहीं कि उसे वायरल होते देर नहीं लगती। तीर के कमान से निकलने पर किसी एक आदमी को नुकसान हो सकता है, यहां तो पल भर में हजारों प्रभावित हो जाते हैं और हजारों के लाखों और करोड़ों होने में भी देर नहीं लगती। यहां यह चर्चा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस ट्वीट के संदर्भ में है जिसने बिहार के राजनीतिक गलियारे में तूफान ला दिया।
बात आगे करें उससे पहले ये जान लें कि वो ट्वीट क्या था। दरअसल, नीतीश ने ट्वीटर पर ‘आस्क नीतीश’ नाम का प्लेटफॉर्म तैयार किया है जिस पर वो सप्ताह में दो दिन लोगों के सवाल का जवाब देते हैं। इसी के तहत सुनील चांडक नाम के व्यक्ति ने उनसे सवाल किया कि अगर चुनाव में लालू उनसे अधिक सीट जीत जाते हैं तो उनका मुख्यमंत्री बनना मुश्किल हो सकता है और अगर बन भी गए तो लालू चाहेंगे कि उनके अनुसार काम करें। इसके जवाब में मंगलवार को नीतीश ने लिखा कि बिहार का विकास मेरी प्राथमिकता है। इसके बाद उन्होंने रहीम का ये प्रसिद्ध दोहा उद्धृत कर दिया – जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग। चंदन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग। बस फिर क्या था इस दोहे ने ट्वीट को वायरल कर दिया। लोगों ने और खासकर भाजपा ने तुरंत लालू और उनके साथ जदयू के गठबंधन से इसे जोड़ दिया। लालू आनन-फानन में इस दोहे के ‘भुजंग’ बना दिए गए। उधर मीडिया भी बड़े चाव से तिल का ताड़ करता रहा। खबर को मसालेदार बनाने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी।
जब ट्वीट शोर में तब्दील होने लगा तब नीतीश और उनकी पार्टी ने अपनी ओर से स्पष्ट किया कि ट्वीट लालू नहीं भाजपा को लेकर है। यानी भुजंग अर्थात् सांप लालू नहीं भाजपा है। लालू प्रसाद ने कहा कि ट्वीट तो भाजपा को लेकर है ही, ये सवाल पूछने वाला भी भाजपाई ही होगा। जदयू प्रवक्ता केसी त्यागा ने नीतीश कुमार को चंदन बताते हुए कहा कि 15 साल साथ रहने के बावजूद भाजपा के दर्गुण नीतीश कुमार में नहीं आए हैं। उधर सुशील मोदी की अपनी व्याख्या है। उनके अनुसार, सही कह रहे हैं नीतीश कुमार। संगत से ही सब कुछ होता है। जब तक बिहार में नीतीश कुमार भाजपा के साथ थे, बिहार में सुशासन कायम हो सका। अब जब उन्होंने लालू प्रसाद के साथ संगत की है तो सूबे में आतंकराज-2 का माहौल बन गया है।
कौन चंदन है और कौन सांप, इस पर विवाद शायद ही कभी थमे लेकिन ट्वीटर से निकले ‘सांप’ ने राजनीति का ‘जहर’ तो सामने ला ही दिया।