साल 2018 में बेरोजगार हुए 1.10 करोड़ भारतीय !

भारत की 65 प्रतिशत आबादी युवाओं की है। कहने की जरूरत नहीं कि देश का भविष्य तय करने में इस आबादी की सबसे अहम भूमिका है। ऐसे में सोच कर देखिए कि अगर यही आबादी बेरोजगारी से बेहाल हो तो हमारी दशा और दिशा क्या होगी? विडंबना तो यह है कि इधर हाल के वर्षों में जबकि अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार मिलने की उम्मीद थी, साल 2018 में करीब 1.10 करोड़ भारतीयों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा, जिनमें से अधिकांश की उम्र 40 साल से नीचे थी।
जी हाँ, रोजगार के मामले में युवाओं के लिए पिछला साल खासा बुरा रहा। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इकोनॉमी (CMIE) की रिपोर्ट के अनुसार कमजोर समूहों से संबंधित व्यक्तियों को 2018 में नौकरी के नुकसान से सबसे ज्यादा प्रभावित होना पड़ा। इस रिपोर्ट की मानें तो देश में बेरोजगारों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। बकौल CMIE दिसंबर 2017 में जहां नौकरी कर रहे लोगों की संख्या 4.79 करोड़ थी वो दिंसबर 2018 में घटकर 3.97 करोड़ रह गई।
उपर्युक्त रिपोर्ट से पता चलता है कि शहरी और ग्रामीण दोनों तरह के तबके को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है पर ग्रामीण क्षेत्र और खासकर कृषि से जुड़े लोगों की स्थिति अधिक बुरी रही। रिपोर्ट की मानें तो ग्रामीण भारत में 91 लाख लोगों की नौकरी गई जबकि शहरी भारत में 18 लाख लोगों की नौकरी चली गई। इस रिपोर्ट की एक बेहद चौंकाने वाली बात यह भी रही कि नौकरी से हाथ धोने वाले 1.10 करोड़ लोगों में महिलाओं की संख्या 88 लाख रही और पुरुषों की 22 लाख।
इस रिपोर्ट के हवाले से चलते-चलते यह भी बता दें कि भारत में साल 2018 में बेरोजगारी की दर 7.4 प्रतिशत थी। अगर भयावह तरीके से बढ़ रही इस बेरोजगारी पर समय रहते काबू ना पाया गया तो महाशक्ति बनने का भारत का सपना पूरा होना नामुमकिन होगा।

सम्बंधित खबरें