Rahul Gandhi

‘विदेश-यात्रा’ ने फिर किया चमत्कार, इस बार राहुल ताजपोशी को तैयार

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अभी यूरोप में हैं और इधर उनको कांग्रेस की बागडोर सौंपने की तैयारी की जा रही है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार 8 जनवरी के बाद कभी भी उनकी वापसी हो सकती है और आने के साथ उनकी ताजपोशी की ‘औपचारिकता’ पूरी कर दी जाएगी। हाँ औपचारिकता क्योंकि ये तय था कि कांग्रेस के अगले अध्यक्ष वही होंगे। इस ‘सत्य’ को ना केवल कांग्रेस पार्टी बल्कि पूरा देश ‘स्वीकार’ कर चुका है कि कांग्रेस मतलब नेहरू-गांधी परिवार। अब आपको अच्छा लगे या बुरा, आप इसे परिवारवाद का नाम दें या कुछ और कहें लेकिन सच यही है कि कांग्रेस की बात आने पर वर्तमान अध्यक्ष सोनिया और उपाध्यक्ष राहुल के बाद अगर कोई तीसरा नाम जेहन में या जुबान पर आता है तो पार्टी में किसी पद पर ना होने के बावजूद वो नाम भी उसी परिवार के सदस्य का यानि प्रियंका गांधी का होता है।

बहरहाल, पिछले साल भी इस बात की खूब चर्चा रही कि राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान सौंपी जा सकती है लेकिन सितम्बर में वर्किंग कमिटी की बैठक के बाद पार्टी के संगठनात्मक चुनावों को 2016 पर टाल दिया गया था। वैसे भी सोनिया का कार्यकाल इस साल दिसंबर में पूरा हो रहा है लिहाजा इस बात के कयास लगाए जाने लगे थे कि राहुल की ताजपोशी अब साल भर बाद होगी। यह भी कहा गया कि राहुल अभी इसके लिए तैयार नहीं है। लेकिन राहुल के विदेश जाते ही जाने क्या ‘चमत्कार’ हुआ कि वो अध्यक्ष पद संभालने को तैयार बताए जाने लगे।

अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब राहुल इसी तरह विदेश-यात्रा पर गए थे और लौटे तो एकदम नए अवतार के साथ। तब अपने अप्रत्याशित और आक्रामक तेवर से उन्होंने सबको चौंका दिया था और कांग्रेस में नई उम्मीद जग गई थी। कहा जाता है कि राहुल हर साल ‘विपश्यना’ के अभ्यास के लिए 10 दिनों के लिए विदेश जाते हैं। विपश्यना आत्मनिरीक्षण द्वारा आत्मशुद्धि की एक बौद्ध साधना है जिसका राहुल के व्यक्तित्व पर गहरा असर है।

सम्भावना है कि यूरोप दौरे से राहुल के लौटते ही कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक बुलाई जाएगी और संगठनात्मक चुनावों से पहले ही उन्हें अध्यक्ष का पद सौंप दिया जाएगा। पार्टी के एक नेता ने कहा कि इन बातों में कोई सच्चाई नहीं है कि राहुल असम विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की कमान सम्भालना चाहते हैं। वह जिम्मेदारी सम्भालने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। देखा जाय तो कांग्रेस में राहुल की नई भूमिका को लेकर माहौल पहले ही बनाया जा चुका है। कुछ महीने पहले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा था कि जमीनी कार्यकर्ता राहुल को कांग्रेस की कमान सम्भालते देखना चाहते हैं लेकिन इस बारे में कोई भी फैसला अध्यक्ष को ही लेना है। कांग्रेस की स्थापना दिवस पर जब ये सवाल अध्यक्ष सोनिया तक पहुँचा तो उन्होंने कहा कि इसके बारे में खुद उनसे ही पूछें। कहने का अर्थ ये है कि सब कुछ पहले से तय था। बस राहुल के फैसला लेने की देर थी।

बता दें कि सोनिया गांधी ने 1998 में कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला था। 129 साल पुरानी पार्टी की वो सबसे लम्बे समय तक अध्यक्ष रहने वाली नेता हैं। इधर कुछ वर्षों से उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है। अब कांग्रेस की बागडोर सम्भालने जा रहे राहुल ने उपाध्यक्ष के तौर पर अपनी पारी 2013 में शुरू की थी।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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