और मोदी ने जीत लिया गुजरात

जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भविष्यवाणी सही साबित हुई। भाजपा ने एक बार फिर गुजरात जीत लिया। हिमाचल प्रदेश भी भगवा रंग में रंगा। नीतीश ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष को जीत की बधाई देते हुए ट्वीट किया –  गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश विधान सभा चुनाव में जीत के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी एवं भारतीय जनता पार्टी को बधाई। गुजरात में जीत का दावा करने वाली कांग्रेस हिमांचल भी हार गयी!

उधर जेडीयू के प्रदेश अध्‍यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा, गुजरात में लोगों की आस्था भाजपा और इसके नेतृत्व में बनी हुई है। इतने लंबे समय तक सत्ता में रहने के बावजूद लोगों का भाजपा के खिलाफ नहीं होना इस बात का संकेत है कि लोगों की इस पार्टी में आस्था बरकरार है। वहां लोगों ने महसूस किया है कि शासन का तौर-तरीका ठीक है। इस कारण भाजपा के लिए यह बड़ी जीत है।

सचमुच यह भाजपा के लिए बड़ी जीत है। गुजरात के परिणाम ने एक बार फिर साबित किया कि नरेन्द्र मोदी चुनाव जीतना जानते हैं। सच तो यह है कि ये चुनाव भाजपा नहीं लड़ी, देश के प्रधानमंत्री लड़े और देश की संसद का सत्र रोक कर लड़े। भाजपा की सीटें कम जरूर हुईं लेकिन आखिरकार मोदी की सियासी शैली काम कर ही गई। 2012 में जब नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते चुनाव हुए थे तब उसमें भाजपा ने 115 सीटें जीती थीं। अब जबकि गुजरात में भाजपा के पास मुख्यमंत्री पद के लिए एक भी कद्दावर नेता नहीं है, उसका करीब 100 सीटें जीतना खराब प्रदर्शन नहीं कहा जाएगा। खास तौर पर तब जबकि ये उसकी लगातार छठी जीत है।

गुजरात चुनाव की एक अहम बात यह रही कि पाटीदार आरक्षण, नोटबंदी, जीएसटी, विकास समेत तमाम बड़े मुद्दे हवा हो गए। मोदी की ये कहानी लोगों ने सुनी और मानी कि उनकी हार गुजरात की, गुजरातियों की और हिन्दुओं की हार है, जबकि कांग्रेस की जीत पाकिस्तानियों की और गुजरात से नफरत करने वालों की जीत होगी। चुनाव के आखिरी दिनों में ‘नीच आदमी’, ‘पाकिस्तानी साजिश’ और ‘मुख्यमंत्री अहमद मियां पटेल’ जैसे जुमलों का गूंजना अकारण नहीं था। हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश ने प्रभाव तो छोड़ा लेकिन वे निर्णायक फैक्टर साबित नहीं हुए।

कांग्रेस के लिहाज से देखें तो इसमें कोई दो राय नहीं कि राहुल की ताजपोशी के बाद गुजरात जीतना उसके लिए देश जीतने से कम नहीं होता। फिर भी उसे पिछली बार से 20 सीटें अधिक मिलीं, ये उसके लिए संतोष की बात है। इससे पार्टी के मनोबल में जरूर वृद्धि होगी। एक बात और, कांग्रेस के लिए सांत्वना की एक बात यह भी है कि उसके नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी के घर में कड़ा और काफी नजदीक का मुकाबला कर विपक्ष का नेता होने का हक हासिल कर लिया है। अब शायद यह सवाल ना उठे कि 2019 में विपक्ष का नेतृत्व कौन करेगा।

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