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शहीद चुल्हाय के खून का कुछ कर्ज चुकाया मधेपुरा ने

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के अगस्त क्रांति के अमर शहीद चुल्हाय मंडल की 98वीं जयंती के अवसर पर उनके पैतृक गाँव मनहरा-सुखासन में उनकी प्रतिमा का अनावरण किया- बिहार सरकार के पूर्व आपदा प्रबंधन मंत्री सह वर्तमान लोकप्रिय विधायक प्रो.चन्द्रशेखर ने | इस अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि शहीद चुल्हाय ने आजादी के लिए अपनी जान तक की कुर्बानी दी जिसे हम सबों को मिलकर अक्षुण्ण रखना होगा तथा उनके सपनों का भारत बनाना होगा |

मंचासीन होने के साथ उद्घाटनकर्ता विधायक प्रो.चन्द्रशेखर, मुख्यवक्ता डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी , मुख्य अतिथि पूर्व विधान पार्षद विजय कुमार वर्मा,  विशिष्ट अतिथि डॉ.नरेश कुमार तथा अध्यक्षता कर रहे प्रो.श्यामल किशोर यादव सहित ई.प्रभाष आदि ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का सम्मिलित रूप से उद्घाटन किया |

उद्घाटनकर्ता एवं मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में कहा कि शहीद चुल्हाय वसूल के पक्के आदमी थे, उन्होंने जान गवां दी लेकिन अंग्रेजों से समझौता नहीं किया | उन्होंने यह भी कहा कि गरीबों एवं दलितों की आवाज को उठाने वाले राजद सुप्रीमो लालू यादव एवं मंडल मसीहा का प्रतीक शरद यादव को नीचे दिखाने के लिए एक से बढ़कर एक षड्यंत्र किया जा रहा है | विशिष्ट अतिथि सिनेट सदस्य डॉ.नरेश कुमार ने चुल्हाय मंडल एवं शिक्षा जगत के लोक नायक कीर्ति नारायण मंडल के अवदानों की भूरि-भूरि प्रसंशा की,सराहना की |

समारोह के मुख्यवक्ता डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने अपने विस्तृत संबोधन में यहीं से आरंभ किया कि यूँ तो मधेपुरा सामाजिक परिवर्तन की धरती रही है लेकिन आज से क्रान्तिवीर शहीदों की धरती भी कही जायेगी | उन्होंने कहा कि अगस्त क्रांति में मधेपुरा-सहरसा के कुल 9 शहीदों में केवल दो शहीदों- चुल्हाय मंडल और धीरो राय का शव उनके परिवार को नहीं उपलब्ध कराया गया |

Former Minister Prof.Chandrashekhar, Samajsevi Dr.Bhupendra Madhepuri, Former MLC Vijay Kumar Verma , Prof.S.K.Yadav, Dr.Naresh Kumar , Er.Prabhash & others inaugurating Shahid Chulhai Pratima Anawaran Samaroh.
Former Minister Prof.Chandrashekhar, Samajsevi Dr.Bhupendra Madhepuri, Former MLC Vijay Kumar Verma , Prof.S.K.Yadav, Dr.Naresh Kumar , Er.Prabhash & others inaugurating Shahid Chulhai Pratima Anawaran Samaroh.

आगे डॉ.मधेपुरी ने कहा कि नेपाल के ‘बकरो के टापू’ पर डॉ.लोहिया और जयप्रकाश क्रमशः ट्रांसमीटर ऑपरेटर एवं आजाद दस्ते को ट्रेनिंग देने में लगे थे | इनसे निर्देश प्राप्त कर 25 जनवरी 1943 का मनहरा गांव आये प्रखर सेनानी कमलेश्वरी प्रसाद मंडल | उन्हीं के मशविरानुसार एक धोती ओढ़े-पहने 26 जनवरी को सवेरे मधेपुरा के ट्रेजरी बिल्डिंग परिसर में पहुंच गये क्रांतिवीर शहीद चुल्हाय और ज्योंहि तिरंगा लहराते हुए ‘भारत माता की जय’ बोले कि गोरे सिपाहियों ने उन्हें दबोच लिया | पहले तो रस्सी से पैरों को छान दिया और मार-मारकर लहू-लुहान कर दिया | फिर डाकबंगला रोड होकर घसीटते हुए डाकबंगला परिसर के ऊंचे दरख्त में उन्हें उल्टा लटका दिया गया और दो दिन-दो रात तक उस कड़ाके की ठंड में बिना वस्त्र के लाठियों की वर्षा में नहाता रहा चुल्हाय | उस क्रांतिवीर चुल्हाय की नाक-आँख-कान और मुँह से खून निकलता रहा……. और वह हमेशा बन्दे मातरम……. बोलता ही रह गया | अधमरा हो जाने पर जब चुल्हाय को 29 जनवरी को जेल ले जाया जा रहा था तब रास्ते में तीन जगह उसके मुंह से खून का ‘थक्का’ गिरा……..| 30 जनवरी की रात को कदाचित वह शहीद हो गया था फिर भी इलाज  कराने के बहाने बाहर लेकर चला गया | उसकी लाश भी घरवालों को नहीं मिली | जब देश 16 अगस्त को आजादी का जश्न मना रहा था तब मधेपुरावासियों ने वहाँ-वहाँ शहीद चुल्हाय द्वार बनाकर श्रद्धांजलि निवेदित किया, जहाँ-जहाँ खून का थक्का गिरा था………| और उसके बाद से लगभग चार दशक तक वह शहीद इतिहास के पन्नों से गायब हो गया | मधेपुरा उसकी शहादत को भी भूल गया |

आगे डॉ.मधेपुरी ने इतने लम्बे अंतराल के बाद मधेपुरा जिला उद्घाटन की तिथि 9 मई 1981 को सामाजिक न्याय के पुरोधा बी.पी.मंडल के अध्यक्षीय भाषण में “शहीद चुल्हाय मंडल” का नाम पहली बार सुना और तब से इस शहीद के क्रिया-कलापों को बुद्धिजीवियों तक पहुंचाने हेतु उन्होंने कलम उठाई | भू .ना.मंडल विश्वविद्यालय में “शहीद चुल्हाय उद्यान” बनाकर एवं डाक बंगला रोड का नामकरण “शहीद चुल्हाय मार्ग” कराकर तत्कालीन कुलपति डॉ.आर.के.चौधरी एवं तत्कालीन  जिप अध्यक्षा श्रीमती मंजू देवी से उद्घाटित हो जाने के बाद ही उन्होंने चैन की सांस ली, परन्तु वे संतुष्ट नहीं हुए | डॉ.मधेपुरी की अभी भी बलवती इच्छा यही है कि शहीद चुल्हाय की भव्य प्रतिमा मधेपुरा डाक बंगला परिसर में वहाँ बने जहाँ उसके शरीर का बूंद-बूंद खून गिरा था तथा मकर संक्रांति के अवसर पर भव्य मेला उस मनहरा ग्राम में लगे जहाँ शहीद चुल्हाय ने जन्म ग्रहण किया था |

समारोह को संबोधित करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में प्रमुख रहे हैं- ई.प्रभाष, डॉ.आलोक कुमार, परमेश्वरी प्रसाद यादव, तेज नारायण यादव, आलोक कुमार मुन्ना, राज किशोर यादव, डॉ.रवि शंकर, पंकज कुमार, योगेन्द्र यादव, वीरेंद्र यादव, डॉ.राजेश रतन मुन्ना, लड्डू कुमार एवं ग्रामीण आदि |

अंत में जहाँ अध्यक्षता कर रहे प्रो.श्यामल किशोर यादव ने बच्चों से कहा- सूरज की तरह तभी चमकोगे जब सूरज की तरह जलोगे, वहीं मंच संचालन किया प्रो.जय कृष्ण यादव और डॉ.नरेश कुमार ने अतिथियों एवं गणमान्यों को धन्यवाद ज्ञापित किया |

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