2014 में भाजपा जिस धूम और धमक के साथ केन्द्र की सत्ता में आई थी, इस बार वैसी बात नहीं दिखती। हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अब भी आकर्षण के केन्द्र हैं लेकिन 2019 में उनका आभामंडल 2014 की तरह होगा, इसका दावा शायद उनके कट्टर समर्थक भी ना करें। महागठबंधन की बढ़ती सक्रियता से भी एनडीए को और सतर्क होने की जरूरत आन पड़ी है। ऐसे में भाजपा के चाणक्य अमित शाह कुछ ऐसा फार्मूला बनाना चाह रहे हैं जिससे 2019 में भाजपा की नैया निर्विघ्न पार हो जाए। उनके मिशन 22 करोड़ को ऐसा ही फार्मूला माना जा रहा है। आखिर क्या है ये मिशन 22 करोड़? चलिए, जानते हैं।
दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अमित शाह एक नये डेटा के साथ तैयार बैठे हैं। ये डेटा है 22 करोड़ का, जिससे भाजपा को वोटों की उम्मीद है। आपको बता दें कि ये 22 करोड़ का आंकड़ा देश के उन परिवारों का है जिनके बारे में भाजपा मानती है कि उन्हें नरेन्द्र मोदी सरकार की किसी ना किसी योजना का लाभ मिला है। 2019 में पार्टी इस आंकड़े को वोट में बदलना चाहती है। अमित शाह ने पार्टी को इन 22 करोड़ परिवारों तक पहुँचने का स्पष्ट निर्देश दिया है। यही कारण है कि भाजपा इन सभी 22 करोड़ परिवारों को खंगालने में लग गई है। टेलिग्राफ इंडिया डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर राज्य में एक मॉनिटरिंग सेल बनाया जाएगा। इसके बाद पार्टी कैडर को इन परिवारों से लगातार संपर्क में रहने को कहा जाएगा।
गौरतलब है कि नरेन्द्र मोदी सरकार की योजना के लाभार्थियों तक पहुँचने के लिए भाजपा ने ‘हर बूथ, 20 यूथ’ का नारा तैयार किया है। इसके तहत हर पोलिंग स्टेशन के लिए 20 युवा तैयार किए जाएंगे जिनका काम केन्द्र की योजना के लाभार्थियों से लगातार संपर्क बनाए रखना और अंतत: उन्हें वोट में तब्दील करना होगा। भाजपा का मानना है कि अगर 22 करोड़ परिवारों के लक्ष्य का आधा भी हासिल कर लिया जाए तो भाजपा का काम हो जाएगा। 2019 के चुनाव में 2014 से भी बड़ी जीत के अमित शाह के दावे और आत्मविश्वास के पीछे इन्हीं 22 करोड़ परिवारों का गणित है और साथ में 11 करोड़ कार्यकर्ताओं के समर्थन भरोसा। आपको पता ही होगा कि भाजपा 11 करोड़ सदस्यों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करती है।
चलते-चलते बता दें कि पिछले चुनाव में भाजपा ने अपने दम पर 282 सीट जीते थे। उस चुनाव में उसे कुल 17 करोड़ वोट मिले थे जो कि कुल वोटों का 31 प्रतिशत है। इसमें प्रधानमंत्री मोदी की निजी लोकप्रियता और मिशन 22 करोड़ से बढ़े वोटों को जोड़ कर भाजपा पूरी तरह आश्वस्त दिख रही है।
