डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे। तमाम भविष्यवाणियों को गलत साबित करते हुए 70 वर्षीय ट्रंप ने मजबूत मानी जा रही 69 वर्षीया हिलेरी को मात दे दी और सारी दुनिया को हतप्रभ कर दिया। अभी से साल भर पीछे चल कर देखें। बहुत कम लोग मान रहे थे कि वो राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हो पाएंगे, लेकिन वो हुए। इसके बाद फिर से बहुत कम लोग मान रहे थे कि वो रिपब्लिकन नॉमिनेशन तक पहुँचेंगे, लेकिन वो पहुँचे। और उसके बाद एक बार फिर बहुत कम लोग मान रहे थे कि वो अंतिम मुकाबला जीत पाएंगे, लेकिन वो जीते। जीते ही नहीं, बहुत शान से जीते और इतिहास रच दिया। जी हाँ, राजनीति के लिए एक बाहरी व्यक्ति रहे डोनाल्ड जॉन ट्रंप ने महज 18 महीने के राजनीतिक करियर में हाल के अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा उलटफेर कर दिया।
ट्रंप ने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को केवल हराया ही नहीं, बल्कि बड़े अंतर से हराया। अमेरिका के 50 में से 29 राज्य ट्रंप की झोली में आ गिरे, जिनमें पेंसिल्वेनिया, ओहायो, फ्लोरिडा, टेक्सास और नॉर्थ केरोलिना जैसे निर्णायक राज्य शामिल हैं, जबकि हिलेरी को केवल 18 राज्यों में ही कामयाबी मिल पाई। देश की प्रथम महिला और विदेश मंत्री रहीं हिलेरी का अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का सपना इस परिणाम के साथ ही टूट गया। अपनी अभूतपूर्व जीत के बाद सबके लिए अच्छा दिखने की कोशिश कर रहे ट्रंप ने हिलेरी की तारीफ की और कहा कि उन्होंने अच्छी टक्कर दी। साथ में वो यह कहना भी नहीं भूले कि “मेरी जीत उनकी है जो अमेरिका से प्यार करते हैं।”
ट्रंप को 538 इलेक्टोरल वोटों में से 288 और हिलेरी को 215 वोट मिले। गौरतलब है कि राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को 270 इलेक्टोरल वोटों की जरूरत पड़ती है। खास बात यह कि ट्रंप ने उन कुछ राज्यों में भी हिलेरी के मुकाबले बढ़त बनाई, जहाँ पहले डेमोक्रैट उम्मीदवार के जीतने की संभावना जताई जा रही थी। वॉल स्ट्रीट जनरल का कहना है कि पेंसिल्वेनिया में ट्रंप की जीत ने हिलेरी की जीत की संभावनाओं को पूरी तरह धूमिल कर दिया।
अपने बड़बोलेपन, मुस्लिम विरोधी बयान और यौन उत्पीड़न जैसे कई विवादों में घिरे होने के बावजूद ट्रंप की जीत सत्ता विरोधी लहर की ओर संकेत करती है। जिन राज्यों और काउंटियों में चार साल पहले मौजूदा राष्ट्रपति बराक ओबामा को वोट मिले थे वहाँ इस बार ट्रंप के पक्ष में वोट पड़ना साबित करता है कि लोग बदलाव चाहते थे। ट्रंप की इस जीत में अमेरिका के श्वेत लोगों, कामकाजी वर्ग और ग्रामीण आबादी का बड़ा योगदान माना जा रहा है।
ट्रंप की इस ऐतिहासिक जीत के बाद कहा जा रहा कि भारत-अमेरिका रिश्ते आने वाले दिनों में और भी प्रगाढ़ होंगे। पाकिस्तान और चीन जैसे ‘बिगड़ैल’ पड़ोसियों को ध्यान में रखते हुए ये प्रगाढ़ता जितनी भारत के लिए जरूरी है, उससे जरा भी कम जरूरी अमेरिका के लिए नहीं। कारण यह कि वैश्विक आतंकवाद और अमेरिका की अर्थनीति पर ट्रंप जिस बेबाकी से अब तक अपनी राय रखते आ रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि पाकिस्तान और चीन को वे उनकी ‘सीमा’ में रखना चाहेंगे और इसके लिए उन्हें भारत से बेहतर और भरोसेमंद सहयोगी नहीं मिल सकता।
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप