Lalu Prasad Yadav

लालू ने अटल को ‘अच्छा’ कह ‘प्रणाम’ किया और ‘साम्प्रदायिक’ मोदी को कहा ‘घटिया’

महागठबंधन के नेता और राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव मधेपुरा विधान सभा क्षेत्र के महागठबंधन के प्रत्याशी प्रो. चन्द्रशेखर के प्रचार के लिए स्थानीय शिवनंदन प्रसाद मंडल उच्च विद्यालय परिसर में 12.55 बजे अपराह्न में मंच पर आए और अपने 20 मिनट के भाषण में पाँच बार नरेन्द्र मोदी का नाम लेते हुए कहा कि आज तक ऐसा ‘घटिया’ प्रधानमंत्री नहीं देखा। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को बहुत अच्छा कहते हुए उन्होंने मंच से ही प्रणाम निवेदित किया। अपने भाषण में मोदी को ‘साम्पदायिक’ कहने के साथ-साथ लालू ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को एक बार फिर ‘नरभक्षी’ कहा और संघ प्रमुख मोहन भागवत की ‘धुनाई’ में भी कोई कसर नहीं छोड़ी।

उपस्थित युवाओं एवं मतदाताओं से लालू ने अपने खास अंदाज में (और आवाज मोटी कर) कहा कि नरेन्द्र मोदी के सामने कोई झूठ बोलने और ‘जुमला’ पढ़ने में टिक नहीं सकता। उन्होंने मोदी की नकल भी उतारी और लोगों से पूछा कि क्या विदेश से काला धन आया..? क्या एक-एक आदमी के खाते में पन्द्रह-पन्द्रह लाख रुपये आए..? लालू ने चुटकी लेते हुए कहा कि यह सुनकर तो हम भी हिसाब करने लगे और जोड़ कर देखा तो परिवार में ‘एक करोड़ पचहत्तर लाख’ का हिस्सा पड़ा।

इसी तरह हँसाते हुए लालू ने लोगों से महागठबंधन को ‘हरपेट’ कर वोट देने की अपील की और विश्वास दिलाया कि ‘नरेन्दर’ मोदी को दिल्ली से भी भगा देंगे। और हाँ, लालू ने पूरे भाषण के दौरान दो बार कहा कि नीतीश महागठबंधन के नेता हैं और हमारे मुख्यमंत्री वही बनेंगे।

उधर मधेपुरा में डेरा डाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आलमनगर, बिहारीगंज, धमदाहा आदि विधान सभा क्षेत्रों में चुनावी सभाएं कीं। वो अपने भाषणों में सरकार बनने पर महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण देने पर जोर देते हैं और याद दिलाते हैं कि पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देकर ‘शुरुआत’ हमने ही की थी। नीतीश कहते हैं कि मेरी घोषणाएं स्थायी होती हैं… प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह ‘हवा-हवाई’ नहीं।

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव भी मधेपुरा सहित कोसी के विभिन्न क्षेत्रों में ताबड़तोड़ सभाएं कर रहे हैं। वो अपनी सभाओं में कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश में ‘अघोषित इमरजेंसी’ का माहौल पैदा कर दिया है। यही कारण है कि सम्पूर्ण देश के कवि, लेखक, इतिहासकार, वैज्ञानिक और कलाकार अपने-अपने सम्मान को वापस कर रहे हैं। शरद साम्प्रदायिक ताकतों को कमजोर करने तथा नीतीश कुमार के विकास के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में सहयोग करने की अपील करते हैं।

कुल मिलाकर यही कि मोदी ने मधेपुरा में रैली कर वहाँ के माहौल पर जो असर डाला है उसे बेअसर करने में ये तीनों कोई कसर नहीं छोड़ रहे। अब जनता क्या करती है, जनता जाने।

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