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पहले स्वयं को फिर समय को जीतें

विश्व विख्यात प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू के बैनर तले स्थानीय राजयोग सेवा केंद्र जयपालपट्टी, मधेपुरा में नववर्ष के उपलब्ध में आयोजित स्नेही श्रद्धालुओं के “स्नेह मिलन समारोह” का उद्घाटन प्रखर शिक्षाविद व समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने किया और ब्रह्माकुमारी राजयोगिनी तपस्विनी रंजू दीदी ने अध्यक्षता की |

बता दें कि कार्यक्रम का श्री गणेश ॐ शांति गीत से किया गया | गीत समापन के साथ ही उपस्थित जनों ने दीदी के साथ विश्व शांति के लिए ध्यान किया एवं तत्पश्चात सम्मिलित रुप से दीप प्रज्वलित कर पूर्व प्रमुख विनय वर्धन उर्फ खोखा बाबू, विनोद कुमार, विजय वर्धन आदि द्वारा “तमसो माज्योतिर्गमय” का उद्घोष किया गया | सबों को टीका लगाकर अपने संक्षिप्त संबोधन में ब्रम्हा कुमारी रंजू दीदी ने यही कहा- बीते वर्ष में सभी प्रकार के नेकी-बदी किए गये कार्यों की विदाई करें तथा अपने अंतर्मन की स्वच्छता के लिए अपने अंदर में बच रही बुराई को भी विदा कर दें | उन्होंने नये वर्ष में बुरा काम नहीं करने का सबों को संकल्प दिलाया |

यह भी बता दें कि उद्घाटनकर्ता डॉ.मधेपुरी में पुराने और नये वर्ष के सन्धिकाल की विस्तृत चर्चा करते हुए एवं ‘समय’ के संबंध में चेतावनी देते हुए अपनी ही पंक्तियों को यूँ गुनगुनाया-

न आदि न अंत, न टूट कहीं ! न रुके न झुके, शाश्वत है गमय है !!

तेज धार बख्शे न किसी को ! सुनो बंधुओ, वही समय है !!

डॉ.मधेपुरी ने जहाँ समय को विजय कहा वहीं इसे पराजय भी बताया | समय को मित्र कहा तो उसे शत्रु भी कह सुनाया | उन्होंने कहा- “बच्चो ! जीवन-सरिता में सुख-शांति व सद्भाव का सुन्दर कमल खिलाना चाहते हो तो समय के पल-पल को सकारात्मक कर्मों से बांधो | भूल करनेवालों को समय कभी नहीं बख्शेगा |”

मौके पर ओमशांति संस्थान के उन्नयन में लगे पूर्व प्रमुख विनय वर्धन उर्फ खोखा यादव, सिल्लीगुड़ी से पधारी कुसुम मातेश्वरी, ओम प्रकाश यादव, विजय वर्धन, संजय वर्धन, बैजनाथ यादव एवं अयोध्या बाबू सहित अन्य गणमान्यों ने अपने संबोधन के दरमियान सार रूप में यही कहा कि हीरा-मोती देकर भी कोई बीता हुआ समय वापस नहीं ला सकता !

अंत में नव वर्ष पर आयोजित स्नेह-मिलन-समागम का समापन स्नेहिल सहभोज के साथ संपन्न हुआ |

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मधेपुरा में ब्रह्माकुमारी दादी प्रकाशमणि की 11वीं पुण्यतिथि मनी

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका रही बाल ब्रह्मचारिणी राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि के नेतृत्व में यह संस्था सघन वटवृक्ष का स्वरुप ग्रहण कर विश्व के 137 देशों के लगभग नौ हज़ार सेवा केंद्रों के माध्यम से आध्यात्मिक एवं नैतिक मूल्यों के संवर्धन में लगी हुई है……. और चलते-चलते एक दिन 87 वर्षीया दादी का देहावसान आबू में ही दिनांक 24 अगस्त, 2007 को हो जाता है |

बता दें कि दादी प्रकाशमणि की 11वीं पुण्यतिथि बाढ़ की विभीषिका के मद्देनजर सादगीपूर्ण तरीके से ब्रह्माकुमारी रंजु दीदी की अध्यक्षता में मधेपुरा के गणमान्यों, समाजसेवियों एवं श्रद्धालु शिष्य-शिष्याओं की अच्छी खासी उपस्थिति में मनाई गई जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में समाजसेवी डॉ.भूपेंन्द्र मधेपुरी, एसडीएम संजय कुमार निराला, सिविल सर्जन डॉ.गदाधर पाण्डेय तथा विशिष्ट अतिथि के रुप में डॉ.गणेश कुमार, उपेन्द्र रजक, प्राणमोहन आदि ने श्रद्धांजलि स्वरुप पुष्पांजलि अर्पित की | आरम्भ में समारोह का श्रीगणेश संयुक्तरुप से दीप प्रज्वलित कर किया गया |

यह भी जानिए कि सर्वप्रथम समारोह की अध्यक्षता ब्रह्माकुमारी राजयोगिनी रंजु दीदी ने दादी प्रकाशमणि के जीवनवृत्त पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके ही कार्यकाल में संस्था के प्रयासों को सराहते हुए संयुक्त राष्ट्र द्वारा उन्हें “विश्व शांति दूत” पुरस्कार से नवाजा गया | 38 वर्षों तक संस्था को नेतृत्व देने वाली दादी प्रकाशमणि को विदेश यात्राओं के दौरान अनेक देशों में उन्हें राजकीय अतिथि का दर्जा दिया जाता रहा | भला क्यों नहीं, दादीजी में स्नेह-प्रेम और शक्ति का अद्भुत संतुलन जो था | जहां प्रेम होता है, वहां व्यक्ति सब कुछ न्योछावर करने को तैयार हो जाता है……|

Samajsevi Dr.Bhupendra Madhepuri addressing the devotees attending the 11th Punya Tithi Samaroh of Dadi Prakashmani at Madhepura .
Samajsevi Dr.Bhupendra Madhepuri addressing the devotees attending the 11th Punya Tithi Samaroh of Dadi Prakashmani at Madhepura .

अन्त में उपस्थित गणमान्यों, पदाधिकारियों एवं श्रद्धालुओं की ओर से प्रतिनिधि वक्ता के रूप में समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने दादी प्रकाशमणि के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए यही कहा कि राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजी गई दादीमाँ प्रकाशमणि की आत्मा आने वाली पीढ़ी को सदैव प्रकाशित करती रहेंगी | डॉ.मधेपुरी ने अपने संबोधन में ईश्वरीय वि.वि. द्वारा श्रद्धालुओं के मन को नियंत्रित करने हेतु विभिन्न प्रयोगों के साथ विस्तार से चर्चा की और गीता के उद्धरणों को शामिल करते हुए मन-बुद्धि को स्थिर करने के उपायों की व्याख्या की | उन्होंने यह भी कहा कि दादी प्रकाशमणि अपने माता-पिता के घर प्रतिदिन नये आभूषण पहनते रही और ईश्वरीय विश्वविद्यालय को जीवनदान देने के साथ ही सबकुछ लुटाकर मसीहा बन गई | उस दादी प्रकाशमणि के लिए डॉ.मधेपुरी ने अपनी चंद पंक्तियां श्रद्धांजलि स्वरुप अर्पित की-

धन आदमी की नींद को हर पल हराम करता

जो बांटता दिल खोल उसे युग सलाम करता !

मरने के बाद मसीहा बनता वही मधेपुरी

जो जिंदगी में अपना सब कुछ नीलाम करता !!

अंत में राजयोगिनी रंजु दीदी ने सभी श्रद्धालुओं, गणमान्यों एवं कार्यक्रम को सफल बनाने वाले ब्रह्माकुमारियों सहित डॉ.एन.के.निराला, बीके किशोर, प्रो.अजय आदि को धन्यवाद देकर ‘प्रसाद’ पाने के अनुरोध के साथ ही समारोह समाप्ति की घोषणा की |

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मधेपुरा में ब्रह्माकुमारी रंजू दीदी ने सैनिकों की कलाई पर बाँधी राखी

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मधेपुरा सहित विभिन्न केंद्रों पर अलौकिक रक्षाबंधन कार्यक्रम का आयोजन भाई-बहन के अटूट प्रेम, श्रद्धा एवं विश्वास के पर्व के रूप में किया गया । जबकि कलियुग के इस दौर में पत्थर बनते जा रहे अधिकांश इंसानों का ‘दिल’ अब रिश्तों के लिए धड़कना छोड़ता जा रहा है….।

फिर भी….. धरती पर आज भी भाई-बहन के बीच का अलौकिक रिश्ता जिन्दा है । तभी तो ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मधेपुरा शाखा की लोकप्रिय ब्रह्माकुमारी राजयोगिनी रंजू दीदी  ने राष्ट्र की सुरक्षा में लगे सैनिक भाइयों या फिर समाज की रक्षा करने वाले समाजसेवियों को रक्षासूत्र (राखी) बांधने के बाद यही कहा-

‘भारत की संस्कृति व मानवीय मूल्यों को प्रत्यक्ष करनेवाला, अनेक आध्यात्मिक रहस्यों को प्रकाशित करने वाला एवं भाई-बहन के वैश्विक रिश्तों को याद दिलाने वाला परमात्मा का अमूल्य उपहार है- यह रक्षाबंधन….!’  

रंजू दीदी ने इस अवसर पर सैनिकों-समाजसेवियों को रक्षा सूत्र बांधने से पूर्व यही कहा कि सर्वप्रथम बहन भाई के मस्तिष्क पर तिलक लगाती है- जो शुद्ध, शीतल एवं सुगन्धित जीवन जीने की प्रेरणा देती है ।

Samajsevi Dr.Bhupendra Madhepuri is being tied Rakhi by Rajyogini Ranju Didi & others at Prajapita Brahmakumari Vishwavidyalaya Branch at Madhepura .
Samajsevi Dr.Bhupendra Madhepuri is being tied Rakhi by Rajyogini Ranju Didi & others at Prajapita Brahmakumari Vishwavidyalaya Branch at Madhepura .

आगे ब्रह्माकुमारी रंजू दीदी ने यह भी कहा कि भाई को मिठाई खिलाने के पीछे यह राज भरा है कि निरन्तर मन और सम्बन्धों का मिठास मिलता रहे….!

इस अवसर पर समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा- इस बार का यह ‘रक्षाबंधन’ पावन सावन के पाँचवें सोमवार को पड़ने के कारण यह मास और यह दिन भी आशुतोष भगवान शिव को सर्वाधिक प्रिय है । साथ ही डॉ.मधेपुरी ने यह भी कहा कि देवाधिदेव महादेव शिव की प्रतिमा पर महामृत्युंजय मंत्र के साथ अर्पित किये गये ये रक्षासूत्र सैनिकों, समाजसेवियों एवं गणमान्यों की कलाइयों पर बांधती हुई ब्रह्माकुमारी रंजू दीदी अंतर्मन से सदैव यही गुनगुनाती रही-

मेरी राखी की डोर, कभी हो ना कमजोर !
भैया ! दे दो……  कलाई बहन आई  है !!

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