स्थानीय डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम पार्क में संपूर्ण भारतीय गांधीयन मिसाइल मैन भारतरत्न डॉ.कलाम की 11वीं पुण्यतिथि उनके अत्यंत करीबी रहे शिक्षाविद डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी की अध्यक्षता में बुद्धिजीवियों एवं बच्चों द्वारा मनाई गई। इस अवसर पर डॉ.मधेपुरी द्वारा वर्षों से चलाए जा रहे कार्यक्रम “जो करेंगे मधेपुरा को गौरवान्वित, डॉ.मधेपुरी करेंगे उन्हें सम्मानित” के तहत सेवानिवृत लोकप्रिय एसबीआई बैंक ऑफिसर श्री संतोष कुमार झा को अंगवस्त्रम, पाग, पुष्पगुच्छ एवं मोमेंटो आदि से सम्मानित किया गया।
डॉ.मधेपुरी ने कहा कि यह सम्मान श्री संतोष झा को इसलिए दिया गया कि श्री झा ने भगवान श्री कृष्ण के जीवन दर्शन को व्यावहारिक रूप में आत्मसात किया है। यह मधेपुरा वासियों को गौरवान्वित करने एवं गहराई में उतरकर समझने वाली बात है। इसके अतिरिक्त श्री संतोष झा ने बैंक अधिकारी एवं बिहार एसबीआई टेबल टेनिस कैप्टन के रूप में अमिट छाप छोड़ी है। जिसकी गूंज आज भी पूरे बिहार के बैंकों के गलियारों में सुनाई देती है। सेवा निवृत होने के बावजूद श्री झा एक्टिव जिंदगी जीकर एक मिसाल पेश कर रहे हैं।
कर्पूरी मेडिकल कॉलेज के सेवानिवृत प्राचार्य डॉ.भूपेंद्र प्रसाद सहित अन्य मौजूद सदस्यों- सीनियर इंस्पेक्टर सत्येंद्र कुमार मिश्र, व्यवस्थापक सरोज कुमार सिंह, एसबीआई पदाधिकारी नवीन कुमार, पूर्व विधायक भूपेंद्र ऋषिदेव, सेवानिवृत प्रधानाध्यापक रमेश कुमार, नेता कमल दास, अमरेंद्र कुमार, भूषण कुमार सरोज, गजेन्द्र चंद्र मधुबाला, दिवाकर कुमार, चंदन सिंह, विकास सिंह, यशवंत कुमार, चंद्रकांत, हरिश्चंद्र साह, विधान चंद्र, सिंहेश्वर प्रसाद, नंदन कुमार, प्रमोद कुमार, राजनंदन यादव एवं दिनेश कुमार आदि ने उद्गार व्यक्त करते हुए कलाम के संपूर्ण भारतीय होने वाले संकल्पों को आत्मसात करने की शपथ ली। डॉ. शैलबाला, कविता कुमारी, पूनम कुमारी एवं अर्चना कुमारी आदि सहित सभी बच्चों ने डॉ.कलाम के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।
अंत में अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ.मधेपुरी ने देर तक विस्तार से डॉ. कलाम के रामेश्वरम से राष्ट्रपति भवन तक की यात्रा का वर्णन सुनाया। संदेश के रूप में उन्होंने यही कहा कि हम सब के भीतर ईश्वर का तेज छिपा है। हमारी कोशिश हो इस तेज पुंज को पंख देते रहने की। हमारा जन्म जीत के लिए हुआ है। हार जाना जीवन का अंत नहीं, हार मान लेना जीवन का अंत होता है। डॉ.कलाम हमारी धरोहर है, उसे सहेजने की जरूरत है।