मेरे सीने में नहीं, तेरे ही सीने में सही |
हो जहाँ भी आग लेकिन, आग जलनी चाहिए ||
– दुष्यन्त कुमार
हिन्दी फन के मशहूर शायर दुष्यन्त कुमार (त्यागी) जीवन के 45वें वसंत पूरा करने से पहले ही (31 दिसम्बर 1975) दुनिया को यही कहकर अलविदा कह दिया- “कुछ भी बन बस कायर मत बन……!”
दो दशकों से साहित्यिक गतिविधियों को जारी रखने वाले मधेपुरा नागरिक संसद के सचिव शम्भु शरण भारतीय सदा दुष्यन्त कुमार को ओढ़ते-बिछाते रहे और उनकी स्मृति को तरोताजा बनाये रखने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के आधे दर्जन वैज्ञानिकों सर्वश्री डॉ.मिथिलेश कुमार राय, डॉ.सुनील कुमार सिंह, डॉ.आर.पी.शर्मा, डॉ.सुनील कुमार, डॉ.शशिप्रकाश विश्वकर्मा, (सभी कृषि अनुसंधान केंद्र में कार्यरत) एवं राजन बालन आत्मा के परियोजना निदेशक सहित प्रगतिशील कृषक राधेश्याम प्रसाद व आयुर्वेदिक महिला वैज्ञानिक सलाहकार श्रीमती मधुमाला कुमारी के साथ-साथ स्थानीय अखबारों के चार व्यूरो चीफ सर्वश्री अमिताभ (हिन्दुस्तान), धर्मेन्द्र भारद्वाज(जागरण), डॉ.रुपेश रूपक (प्रभात खबर) एवं राकेश सिंह(मधेपुरा टाइम्स) और अवकाशप्राप्त शिक्षक रमेश चन्द्र यादव को सम्मान समारोह के उद्घाटनकर्ता- पूर्व सांसद व मंडल वि.वि. के संस्थापक कुलपति एवं प्रखर साहित्यकार डॉ.रमेंद्र कुमार यादव रवि द्वारा अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया |
उद्घाटनकर्ता डॉ.रवि ने दुष्यन्त-साहित्य को संवेदना की कोख से जन्म ग्रहण करने के कई माकूल व मानक उदाहरण पेश कर दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया | उन्होंने विस्तार में जाकर कभी प्रेमचन्द की होरी की विकलता में काव्यत्व की गरिमा छिपे रहने की चर्चा की तो कभी आदि कवि वाल्मिकी के कामरत क्रोंच पंक्षियों का बिम्ब सामने खड़ाकर खूब तालियाँ बटोरी |
समारोह की अध्यक्षता कर रहे जनकवि शंभुनाथ अरुणाभ ने अपनी मिटटी की सौंधी महक से चतुर्दिक खुशबू फैला दी | वहीं मुख्यअतिथि के रूप में बी.एन.एम्.यू. के स्नातकोत्तर हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ.इन्द्र नारायण यादव ने दुष्यन्त के जीवनवृत्त पर प्रकाश डाला |
काव्य गोष्ठी में अनेक कवियों ने अपनी प्रतिनिधि रचना पढ़कर साहित्यानुरागियों के हृदय में जगह बना ली | अवकाशप्राप्त शिक्षक सियाराम यादव ‘मयंक’ की गजल की ये पंक्तियाँ-
जिंदगी को हवा दीजिये, बेहया को हया दीजिये
छा रहा है अँधेरा मयंक, रौशनी तो जला दीजिये
खूब तालियाँ बटोरी |
कृषि पर आधारित गीत गाने वाले राजन बालन उससे इतर गीत गाकर लोगों को खूब गुदगुदाया | नागरिक संसद के स्थायी अद्यक्ष आध्यानंद यादव की ‘सड़क से सड़क पर’ लोगों को खूब भाया | सचिव शम्भु शरण भारतीय एवं सुकवि हरेराम भगत श्रोताओं के हृदय को छूने की भरपूर कोशिश की |
अन्त में शम्भु शरण भारतीय ने धन्यवाद ज्ञापित किया |