Raghuvansh Prasad Singh

74 वर्षीय पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने लोहिया के विचारों एवं कर्पूरी के कर्मों से अपने जीवन को गढ़ा था- डॉ.मधेपुरी

बेदाग  एवं बेबाकी के लिए  प्रसिद्धि प्राप्त बिहार के दिग्गज नेता, तेज तर्रार वक्ता, पाँच बार एमपी रह चुके एवं पूर्व केंद्रीय  ग्रामीण विकास मंत्री  रघुवंश प्रसाद सिंह ने रविवार 13 सितंबर को  सवेरे दिल्ली में  अंतिम सांसे ली।  4 अगस्त से ही वे  सांस लेने की तकलीफ के चलते  दिल्ली के एम्स में  संघर्ष कर रहे थे।  वहां चार डॉक्टर्स  उनकी देख-रेख एवं निगरानी आईसीयू में कर रहे थे। वे विगत 4 दिनों से  वेंटिलेटर पर थे। आज रविवार को सवेरे भी उन्हें वेंटिलेटर पर ही रखा गया था। जब उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा तो संपूर्ण भारत शोकाकुल हो गया।

इलाज के दरमियान ही उन्होंने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को कई पत्र लिखा और एक पत्र लोकतंत्र को जीवित रखने हेतु बिहार के मुख्यमंत्री व जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को भी लिखा। पत्र में उन्होंने यही कहा कि आरंभ में 26 जनवरी को राज्यपाल पटना में झंडोत्तोलन करते तो मुख्यमंत्री रांची में और 15 अगस्त को सीएम पटना में ध्वजारोहण करते तो महामहिम रांची में। अब रांची की जगह प्रथम लोकतंत्र की नगरी वैशाली को चुना जाए और आगे से उसी तर्ज पर तिरंगे को राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री दोनों जगहों पर अदल-बदल कर सलामी दे तो निश्चय ही लोकतंत्र को मजबूती मिलती रहेगी।

ठेठ देहाती लहजे में  सदा सादगी के साथ बातें करने वाले  रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन पर शोक प्रकट करते हुए समाजवादी चिंतक भूपेन्द्र नारायण मंडल के अत्यंत करीबी रहे समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि बिहार की माटी के सपूत रघुवंश बाबू  वंचितों, अछूतों व अल्पसंख्यकों के दूत तो थे ही, साथ ही समाजवादियों के प्रेरणा स्रोत भी थे। वैशाली जिले के शाहपुर गांव में 6 जून 1946 को जन्मे रघुवंश बाबू ने लोहिया के विचार एवं कर्पूरी के संघर्ष को जीवन का संबल बनाया था। ग्रामीण भारत ने अपना सच्चा सपूत खो दिया है जिन्होंने मनरेगा में गरीबों को 100 दिनों के रोजगार की गारंटी दिया था।

डॉ.मधेपुरी ने यह भी कहा कि ग्रामीण समस्याओं को गहराई से समझने वाला बिहार का वह शेर रघुवंश प्रसाद सिंह ताजिंदगी अविचलित रहकर बेकसों के संसार को सजाते रहे। वे चौकी पर सोते थे और खुद अपने कपड़े धोते थे। वे निर्धनों के सखा और सहयोगी थे। वे ग्रामीण भारत की असाधारण समझ रखने वाले जमीन से जुड़े हुए नेता थे। तभी तो आज बिहार के निर्धनों के बीच सबसे अधिक मातम छाया हुआ है। आज गरीबों के रहनुमा तथा समाजवादी विचारधारा के एक नायक का अंत हो गया। वर्तमान राजनीति में भी अंतिम व्यक्ति के हित में बेबाकी से उठने वाली दुर्लभ आवाज आज खामोश हो गई। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे एवं उनके शोकाकुल परिवार के शोक संतप्त जनों को यह अपार कष्ट सहन करने की शक्ति दे।

चलते-चलते यह भी कि डॉ.मधेपुरी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की है कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहते हुए रघुवंश बाबू ने गरीबों के लिए मनरेगा योजना चलाकर संपूर्ण देश के गरीबों के लिए साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी की थी…… वैसे सरजमीनी नेता, समाजवादी विचारधारा के नायक एवं गरीबों के मसीहा रघुवंश प्रसाद सिंह की आदम कद प्रतिमा राजधानी पटना के किसी उपयुक्त चौराहे पर स्थापित किए जाने हेतु शीघ्रतिशीघ्र घोषणा करने की महती कृपा की जाए।

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