वर्ष 2008 के 18 अगस्त को कुसहा में कोसी का बांध टूटा। जन जीवन तबाह हो गया। कितने गाँव और घर सहित गृहपति जल समाधि ले लिए। 11 वर्ष गुजर गये। कुसहा त्रासदी के जख्म आज तक भरे नहीं, बल्कि आज भी हरे हैं।
बता दें कि न तो कुसहा के दोषियों को सजा मिली और ना कोसी की समस्याओं का निराकरण के कोई ठोस उपाय ढूंढें गये। तब के राहत से लेकर अब तक के पुनर्वास का लाभ सभी पीड़ितों को नहीं मिल पाया है। जिसके लिए आज तक कोसी नवनिर्माण मंच के संचालक महेन्द्र यादव एड़ी चोटी एक कर रहे हैं…… वे 50% पीड़ितों को ही पुनर्वास का लाभ दिलाने में सफल हुए हैं। आज भी कितनी टूटी हुई सड़कें और टूटे हुए पुल निर्माण कार्य की बाट जोह रहे हैं।
इस अवसर पर मयंक सभागार में मुख्य अतिथि के रूप में मधेपुरा के भीष्म पितामह कहे जाने वाले समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने अपने संबोधन में मधेपुरा-सहरसा-सुपौल तीनों जिले से आए मंच के कार्यकर्ताओं से कहा कि कुसहा त्रासदी से पूर्णरूपेण निपटने के लिए आज की तारीख में मजबूत जन संगठन निर्माण करने के साथ-साथ जन आंदोलन खड़ा करना भी मौजूदा समय की मुकम्मल जरूरत है। आगे उन्होंने कहा कि यह कैसे होगा जबकि यहाँ के लोग वृक्ष के हरे पत्ते भी खाकर गुजारा करना पसंद करते रहेंगे ?
डॉ.मधेपुरी ने यह भी कहा कि सरकारी महकमे में एमएलए, एमपी-लोकसभा, राज्यसभा सबका पेंशन अलग-अलग भुगतान हो वह सही…… परंतु 35 वर्षों तक नौकरी करने वाले बिना पेंशन के ही रिटायर करें…… यह कैसा न्याय है ? उन्होंने कहा कि समान काम के लिए समान वेतन जैसे प्राकृतिक न्याय को सम्मान नहीं देना कितना बड़ा अन्याय है- पाप है। देश की जनता जिस मिठाई को बाजार में ₹10 में प्राप्त करे वही विधानसभा व लोकसभा के कैंटीन में आठ आने में रहनुमाओं को मिले……. यही हमारी न्याय व्यवस्था है। अंत में डॉ.मधेपुरी ने 2008 की आपबीती मर्मस्पर्शी घटनाएं सुनाते हुए विस्तार से वर्तमान सन्दर्भों को जोड़ा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रखर वक्ता आकाश यदुवंशी, मुन्ना पासवान, माधव प्रसाद, दुनियादत्त सहित शंभू यादव, पिरबत पासवान, एसके सुमन, रमन कुमार, सतीश कुमार, संदीप कुमार आदि ने पुनर्वास की हकीकत बयां करते हुए पर्यावरण के सवालों और इस त्रासदी से जुड़े सवालों व बाढ़ के संभावित खतरों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए यही कहा कि महात्मा गांधी के जन्म के 150 वर्षों को यादगार बनाने हेतु कोसी क्षेत्र के 150 गाँव में इन सवालों पर अगले 2 अक्टूबर तक संवाद किया जाय। कार्यक्रम का संचालन राजू खान ने किया और धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कोसी नवनिर्माण मंच के संस्थापक महेंद्र यादव ने सूचना दी कि संध्या 6:00 बजे भूपेन्द्र चौक पर कुसहा त्रासदी में अकारण बह गये किसान-मजदूर व समस्त नर-नारियों को मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि देने हेतु आयोजन किया गया है। जिसमें सबने अपनी उपस्थिति दर्ज की। प्रेरणा के गीत और कृति का पर्यावरण-प्रेम में सबों को कुरेदा।