Pranab Mukherjee

प्रणब दा ने दिलाई सहिष्णुता, बहुलतावाद और अहिंसा की याद

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बतौर राष्ट्रपति आज देश को आखिरी बार संबोधित किया। विचार, विद्वता और विनम्रता से ओतप्रोत इस संबोधन में उन्होंने कहा कि पिछले पचास वर्षों के सार्वजनिक जीवन के दौरान, भारत का संविधान मेरा पवित्र ग्रंथ रहा है, भारत की संसद मेरा मंदिर रही है और भारत की जनता की सेवा मेरी अभिलाषा रही है। उन्होंने कहा, जैसे-जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती है, उसकी उपदेश देने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है, परंतु मेरे पास देने के लिए कोई उपदेश नहीं है। मैंने देश को जितना दिया, उससे कहीं अधिक पाया है। इसके लिए, मैं भारत के लोगों के प्रति सदैव ऋणी रहूंगा।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने विदाई भाषण में देश की सहिष्णुता, बहुलतावाद और अहिंसा की शक्ति को खास तौर पर रेखांकित किया। उन्होंने कहा, हम एक-दूसरे से तर्क-वितर्क कर सकते हैं, सहमत-असहमत हो सकते हैं, लेकिन विविध विचारों की मौजूदगी को हम नकार नहीं सकते हैं। अनेकता में एकता को देश की पहचान बताते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न विचारों को ग्रहण करके हमारे समाज में बहुलतावाद का निर्माण हुआ है। हमें सहिष्णुता से शक्ति प्राप्त होती है। प्रतिदिन हम आसपास बढ़ती हुई हिंसा को देखते हैं तो दुख होता है। हमें इसकी निंदा करनी चाहिए। हमें अहिंसा की शक्ति को जगाना होगा। महात्मा गांधी भारत को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में देखते थे जहां समावेशी माहौल हो। हमें ऐसा ही राष्ट्र बनाना होगा।

देश के 13वें राष्ट्रपति ने अपने अंतिम संबोधन में जलवायु परिवर्तन पर भी चिन्ता जताई। उन्होंने कहा, पर्यावरण में बदलाव के कारण कृषि पर असर पड़ा है। इसके लिए हमलोगों को मिलकर काम करना होगा। तरक्की हासिल करने के लिए महामहिम मुखर्जी ने शिक्षा और शिक्षण-संस्थानों को विश्वस्तर बनाने की बात कही। बकौल मुखर्जी हमारे विश्वविद्यालय केवल नोट्स बनाने के केन्द्र नहीं बनने चाहिएं, बल्कि यहां रचनात्मकता और शोध को जगह मिलनी चाहिए।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, मैंने पिछले पांच वर्षों में अच्छा माहौल बनाने की कोशिश की। अब मैं विदा हो रहा हूं। कल मैं जब आपसे बात कर रहा होऊंगा तो मैं भारत का राष्ट्रपति नहीं बल्कि एक आम नागरिक रहूंगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र का सबसे बड़ा सम्मान मातृभूमि का नागरिक होने में है। हम सभी भारत मां के बच्चे हैं। हमें जो भी जिम्मेदारी मिले, हम सब उसको पूरी निष्ठा से निभाएं। देश की उन्नति ही हमारा ध्येय होना चाहिए।

गौरतलब है कि 81 वर्षीय प्रणब मुखर्जी अब 340 कमरों वाला राष्ट्रपति भवन छोड़कर 10 राजाजी मार्ग पर रहेंगे। इस दोमंजिला बंगले में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भी अपनी सेवानिवृत्ति के बाद से निधन होने तक रहे थे। देश के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मंगलवार को दोपहर 12 बजे शपथ लेंगे।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप   

 

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