Karnataka CM Siddaramaiah

कर्नाटक को अलग झंडा क्यों चाहिए ?

वोट की राजनीति के लिए दलों और नेताओं ने देश को धर्म, सम्प्रदाय, वर्ण, नस्ल, जाति, उपजाति, भाषा, बोली, क्षेत्र जैसी न जाने कितनी ही चीजों में बांट दिया। बंटने और बांटने की ये प्रक्रिया इतिहास के हर दौर में चली है, लेकिन अब इस प्रक्रिया ने वीभत्स रूप ले लिया है। अलगाववादी मानसिकता का इसे चरम ही कहा जाएगा कि अब भारत के किसी राज्य में अलग झंडे की मांग उठी है। हद तो इस बात की है कि यह मांग वहां के मुख्यमंत्री ने उठाई और इसके लिए बकायदा कमिटी बनाकर केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजा। आजादी के बाद से अब तक एक कश्मीर के अलग झंडे की कितनी कीमत हमें चुकानी पड़ी है, यह किसी से छिपा नहीं, ऐसे में कर्नाटक से उठी ये आवाज कितनी खतरनाक हो सकती है, यह बताने की जरूरत नहीं।

बहरहाल, कर्नाटक के अपने अलग झंडे के प्रस्ताव को वहां की मौजूदा कांग्रेस सरकार के मुखिया सिद्धारमैया की अगले साल विधानसभा चुनावों की जमीन तैयार करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि यह प्रस्ताव फिलहाल शुरुआती स्तर पर ही है।

गौरतलब है कि याचिकाकर्ताओं के एक समूह के सवालों के जवाब में राज्य सरकार ने राज्य के लिए “कानूनी तौर पर मान्य झंडे का डियाइन” तैयार करने के लिए अधिकारियों की एक समिति तैयार की थी। दिलचस्प बात यह है कि याचिका 2008-09 के बीच उस वक्त तैयार की गई थी जब कर्नाटक में भाजपा की सरकार थी। उस वक्त भाजपा सरकार ने कर्नाटक हाईकोर्ट को बताया था कि राज्य का अलग झंडा होना देश की एकता और अखंडता के खिलाफ है।

अब जबकि कर्नाटक में 2018 में विधानसभा चुनाव होने हैं, कर्नाटक कांग्रेस की कोशिश है कि झंडे के बहाने ‘कन्नड़ अस्मिता’ को हवा दी जाए। वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस मामले को उस समय तूल दे दिया जब उन्होंने राज्य के अलग झंडे की मांग का विरोध करने वाली भाजपा की आलोचना की और सवाल उठाया कि क्या संविधान में कोई ऐसा प्रावधान है जो राज्य को अलग झंडे को अपनाने से रोकता है? हालांकि बता दें कि कर्नाटक सरकार की इस मांग को केन्द्रीय गृह मंत्रालय ठुकरा चुका है। कांग्रेस हाईकमान भी इससे पल्ला झाड़ चुका है। यहां तक कि कांग्रेस आलाकमान ने बकायदा कर्नाटक कांग्रेस को इसके लिए फटकार भी लगाई है।

इस मामले के चर्चा में आने के बाद स्वाभाविक तौर पर नेताओं और दलों की प्रतिक्रियाओं का दौर भी शुरू हो गया है। अपने नेतृत्व की राय से अलग कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि “राज्य के लिए अलग झंडे का कदम एक अच्छी पहल होगी।” वैसे उन्होंने आगे यह जरूर कहा कि “बशर्ते यह देश में अलगाव का प्रतीक न बने।” बकौल थरूर अगर राज्य का झंडा राज्य से जुड़ाव का प्रतीक है तो देश के सभी राज्यों के पास अपना झंडा होना चाहिए।

उधर शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कर्नाटक सरकार के राज्य के लिए अलग झंडे की मांग की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बर्खास्त कर देना चाहिए क्योंकि यह कदम इतिहास और पार्टी के आदर्शों के उलट है। शिवसेना ने इसे ‘राजद्रोह’ की संज्ञा देते हुए केन्द्र से कर्नाटक सरकार को भंग करने या राज्य को मिलने वाली सभी सहायताओं को तत्काल बंद करने की भी मांग की।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

 

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