समाहरणालय सभाकक्ष में मधेपुरा के डायनेमिक डी.एम. मो.सोहैल की अध्यक्षता में 14 सितंबर को अधिकारियों, साहित्यनुरागियों एवं कर्मचारियों की उपस्थिति में हिन्दी दिवस समारोह का आयोजन जिला प्रशासन द्वारा किया गया, जिसमें प्रेस प्रतिनिधियों की भी सहभागिता रही ।
हिन्दी दिवस समारोह का उद्घाटन करते हुए अध्यक्ष सह जिला पदाधिकारी मो.सोहैल ने कहा कि अब प्रशासनिक अधिसूचनाएं, आदेश-निर्देश, सेवा नियमावली सहित समस्त प्रगति-प्रतिवेदन आदि मुस्तैदी के साथ हिन्दी में लिखी जायेगी । जिलाधिकारी ने हिन्दी के संबर्धन के बाबत विस्तार से उद्गार व्यक्त करते हुए अंत में यही कहा कि सभी न्यायालयों में निष्पादन किये जानेवाले वादों के निर्णय को अच्छी हिन्दी में निर्गत करनेवाले कर्मियों का नाम राजभाषा विभाग की ओर से दिये जाने वाले पुरस्कार हेतु अनुशंसा की जायगी । उन्होंने हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी के उन्नयन हेतु महत्वपूर्ण विचारणीय सतरह बिंदुओं की टंकित प्रतियां भी वितरित कराई ।
इस अवसर पर प्रो.श्यामल किशोर यादव, प्रो.प्रदीप झा, पत्रकार तर्बसु, चंदन कुमार, शंकर कुमार आदि ने भी हिन्दी के महत्व एवं उसकी उपयोगिता पर विचार व्यक्त किये ।
यह भी बता दें कि समाजसेवी साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने अपने संबोधन में तुर्की रिपब्लिक के संस्थापक कमाल अतातुर्क के संकल्प को याद करते हुए समाजवादी चिंतक भूपेन्द्र नारायण मंडल द्वारा कभी भारतीय संसद में हिन्दी के उन्नयन हेतु माननीय अध्यक्ष से कही गई बातों को उद्घृत किया- अध्यक्ष महोदय ! हिन्दी के लिए मैं पागल नहीं हूं, परंतु भारत में अंग्रेजी को बनाये रखने की कोशिश भारतीय गणतंत्र के साथ विश्वासघात है ।
मौके पर डॉ.मधेपुरी ने यह भी कहा कि 70 वर्षों से हिन्दी तेजी से आगे बढ़ने के बजाय कदम ताल करती रही है । यदि कमाल अतातुर्क की तरह होता हमारे संकल्पों में जान तो हम भी जीत लिए होते आसमान……..! अंत में डी.पी.ओ.राखी कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापित कर निदेशानुसार समारोह के समापन की घोषणा की ।