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लालू ने दी मोदी को लोकसभा भंग कर चुनाव कराने की चुनौती

इन दिनों चौतरफा आरोपों से घिरे और हाल ही में चारा घोटाले पर आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश से परेशान आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चुनौती दी है कि लोकसभा भंग कर फिर से आम चुनाव कराएं। लालू ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार पिछले तीन साल में सभी मोर्चों पर विफल साबित हुई है। फायदा आमजन को नहीं, सिर्फ भाजपा और आरएसएस को हुआ है। लालू ने रविवार को कहा, ‘मोदी लोकसभा भंग करें और कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ नए सिरे से आम चुनाव कराएं, क्योंकि उनकी सरकार 2014 के आम चुनाव से पहले किए गए वादे पूरे करने में विफल रही है।’

लालू ने यह मांग भी की है कि नरेन्द्र मोदी जनता को अपने उस वादे का जवाब दें, जिसमें उन्होंने हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हर साल दो करोड़ लोगों को नौकरियां देने के उनके वादे का क्या हुआ? भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार बताए कि मई, 2014 से अब तक कितने लोगों को नौकरियां दी गईं?’

पूर्व रेलमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार को इस बारे में भी आधिकारिक आंकड़ा पेश करना चाहिए कि तीन साल में विदेशी बैंकों में जमा कितना काला धन देश में वापस लाया गया। लालू ने कहा, ‘भाजपा के हाथों में देश सुरक्षित नहीं है, क्योंकि यह पार्टी किसी भी कीमत पर सत्ता में बने रहने के लिए समाज को बांटने और विभिन्न समुदायों के बीच नफरत पैदा करने में लगी है। सबका साथ, सबका विकास वाले इस जुमले की हकीकत वही जानता है, जिस पर बीतता है।’ बकौल लालू भाजपा देश के संघीय ढांचे को खत्म करने पर आमादा है। यह पार्टी क्षेत्रीय दलों को खत्म करने की हर कोशिश कर रही है, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।

बहरहाल, इन दिनों लालू के दोनों तेज और बेटी मीसा पर कई आरोप लगे हैं। स्वयं लालू पर रघुनाथ झा व कांति सिंह से ‘गिफ्ट’ लेकर केन्द्र में मंत्री बनाने के आरोप लगे। सुप्रीम कोर्ट ने चारा घोटाले के मामले में दर्ज सभी केस में उन पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया वो अलग। नीतीश उनसे अपने संबंधों पर पुनर्विचार कर सकते हैं, ये चर्चा भी हवा में है। बावजूद इन सबके लालू द्वारा विजयरथ पर सवार प्रधानमंत्री को चुनौती साहस से भी आगे ‘दुस्साहस’ की श्रेणी में रखी जाने लायक बात है। कहना गलत न होगा कि ये चुनौती अपने समर्थकों को ‘हताशा’ से बचाने की कवायद से अधिक कुछ नहीं।

‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप

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