भाजपा के वरिष्ठ नेता और एनडीए उम्मीदवार वैंकेया नायडू भारत के नए उपराष्ट्रपति होंगे। उपराष्ट्रपति पद के लिए शनिवार को हुए चुनाव में उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते और 18 विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी को 272 वोटों से हराया। उन्हें कुल 516 वोट मिले, जबकि गोपाल कृष्ण गांधी 244 वोट ही हासिल कर पाए। इसके साथ ही देश के तीनों बड़े संवैधानिक पदों – राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री – पर भाजपा काबिज हो गई। महज 37 साल पहले 1980 में अस्तित्व में आने वाली भाजपा के लिए ये सचमुच बड़ी उपलब्धि है।
बता दें कि उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल 785 सांसदों को वोट डालना था, लेकिन अलग-अलग कारणों से 14 सांसदों ने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया और 771 सांसदों ने ही वोट डाला। वोटिंग सुबह 10 बजे शुरू हुई और शाम 5 बजे तक चली। वोटों की गिनती शाम 6 बजे शुरू हुई और 7 बजते-बजते घोषणा हो गई कि देश के दूसरे सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाले 13वें शख्स वैंकेया नायडू हैं।
घोषणा के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत तमाम बड़े नेताओं ने वैंकेया को बधाई दी। पराजित उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी ने भी विजयी उम्मीदवार को शुभकामनाएं दीं और अपने प्रदर्शन पर ‘संतोष’ जताते हुए सभी वोट देने वालों को धन्यवाद दिया। गौरतलब है कि वैंकेया नायडू उपराष्ट्रपति बनने वाले आरएसएस पृष्ठभूमि के दूसरे नेता हैं। इससे पहले भाजपा के भैरों सिंह शेखावत 2002 में इस पद के लिए चुने गए थे।
नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने परिणाम घोषित होने के बाद कहा कि मैं कृतार्थ हूं। मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सभी पार्टी नेताओं का समर्थन देने के लिए आभारी हूं। उन्होंने आगे कहा कि मैं उपराष्ट्रपति संस्था का उपयोग राष्ट्रपति के हाथ मजबूत बनाने के लिए करूंगा और ऊपरी सदन की मर्यादा को कायम रखूंगा। साधारण किसान पृष्ठभूमि से आने वाले वैंकेया नायडू ने यह भी कहा कि मैंने इसकी कल्पना नहीं की थी कि मैं यहां पहुंच सकूंगा।
चलते-चलते बता दें कि 68 वर्षीय वैंकेया के पास संसद में 25 वर्षों का अनुभव है, जबकि उनका पूरा राजनीतिक अनुभव लगभग 45 वर्षों का है। ‘मधेपुरा अबतक’ की ओर से उन्हें हार्दिक मंगलकामनाएं!
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप