विगत पन्द्रह वर्षों से निरन्तर यानी अबाध गति से अनुशासनप्रिय एवं निष्ठावान शिक्षक-पिता एवं प्रधानाचार्य ‘शिवकुमार’ की दो बेटियाँ प्रो.रीता एवं अध्यापिका रीना, उनकी स्मृति को तरोताजा बनाये रखने के लिए शहर के बुद्धिजीविओं एवं उनके योग्य शिष्यों को 16 फरवरी को सदैव आमंत्रित करती रही हैं | गुरु के तैल चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि के साथ-साथ ‘गुरु का प्रसाद’ पाने का अवसर भी प्रदान करती रही है |
गुरु की महिमा जितनी है उससे कहीं आगे हैं ये दोनों गुरु बहना ! गुरु ने बेटे-बेटी में अंतर नहीं माना तो ये दोनों बेटियाँ भी बहुत बेटों से आगे बढ़-चढ़कर अपने पिताश्री को उनके किये गये विशिष्ट कर्मों में जिन्दा रखने का जी भर कर प्रयास करती रही हैं | गुरु शिवकुमार की अनेक कहानियाँ प्रसिद्धि प्राप्त कर चुकी हैं जिनमें उनके कठोर अनुसाशन, समय निष्ठ्ता और कर्तव्यबोध की झलक मिलती हैं | इनकी ही तरह निष्ठावान शिक्षक को ये बेटियाँ प्रतिवर्ष सम्मानित भी करती हैं | बच्चों में क्विज़ कॉम्पीटिशन, पेंटिंग, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता आयोजित कर पुरस्कार के माध्यम से प्रोत्साहित भी करती है |
गुरु स्मृति में आयोजित इस संध्या भजन में श्रधांजलि/पुष्पांजलि करने वालों में प्रमुखता से उपस्थित डॉ.विनय कुमार चौधरी, डॉ.आलोक कुमार, बी.एन.एम.यू.– पी.जी. भौतिकी के डॉ.अशोक कुमार, डॉ.नरेश कुमार, साहित्यकार दशरथ प्र. सिंह, प्रो.चन्द्रशेखर, प्रो.राजकुमार आदि ने कहा– माँ की छांव और पिता का स्वाभिमान होती हैं बेटियाँ ! शुभकामनाएँ और दुआएँ होती हैं बेटियाँ |