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बिहार चुनाव के पहले चरण में 57 प्रतिशत मतदान : कौन खुश, कौन परेशान..?

बिहार में पहले चरण का चुनाव सम्पन्न हुआ। 10 जिलों की 49 सीटों पर कल हुए मतदान में 57 प्रतिशत वोट डाले गए। 2010 की तुलना में ये 6 प्रतिशत ज्यादा है। सबसे ज्यादा मतदान खगड़िया में 61 प्रतिशत और सबसे कम नवादा में 53 प्रतिशत रहा। वोट के मामले में महिलाएं पुरुषों से आगे रहीं। पुरुषों के 54.5 प्रतिशत मतदान के मुकाबले महिलाओं के मतदान का प्रतिशत 59.5 रहा।

सभी 49 सीटों पर महागठबंधन और एनडीए के बीच सीधा मुकाबला है। महागठबंधन की बात करें तो इनमें से जेडीयू 24, राजद 17 और कांग्रेस 8 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। एनडीए की ओर से भाजपा के 27, लोजपा के 13, रालोसपा के 6 और हम के 3 उम्मीदवार मैदान में हैं।

पिछले चुनाव की तुलना में मतदान में हुए 6 प्रतिशत इजाफे को एनडीए ‘परिवर्तन की बयार’ कह रहा है तो महागठबंधन इसे नीतीश का ‘मेहनताना’ बता रहा है। दोनों दावों में कौन सही है, ये तो खैर आने वाला वक्त बताएगा लेकिन वोटों में ऐसा इजाफा भी नहीं हुआ कि उसे ‘एंटी इन्कम्बेंसी’ कह दिया जाय। खास तौर पर तब जबकि मुकाबला सीधा हो और थोड़ा भी ‘त्रिकोण’ बनने की स्थिति में पलड़ा किसी भी तरफ झुक जाने की गुंजाइश बन रही हो। हाँ, अगले चरणों में मतदान प्रतिशत और बढ़ता है तो उसे महागठबंधन के लिए खतरे की घंटी जरूर मान सकते हैं क्योंकि वर्तमान ‘समीकरण’ को देखते हुए ऐसा होना ‘एंटी इन्कम्बेंसी’ या ‘मोदी फैक्टर’ का असर माना जाएगा। कुल मिलाकर कल के आंकड़ों से ना तो एनडीए पूरी तरह ‘आश्वस्त’ हो सकता है, ना ही महागठबंधन के लिए ‘हताश’ हो जाने की स्थिति है।

बहरहाल, कल जिन 10 जिलों में चुनाव हुए, वे हैं समस्तीपुर, बेगुसराय, खगड़िया, भागलपुर, बांका, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, नवादा और जमुई। इन 10 जिलों की 49 सीटों के लिए कुल 583 उम्मीदवार मैदान में थे जिनमें 54 महिला उम्मीदवार भी शामिल हैं। इस चरण में मतदान केन्द्रों की कुल संख्या 13 हजार 212 और मतदाताओं की कुल संख्या एक करोड़ 35 लाख 72 हजार 339 थी।

पहले दौर में जिन उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होना है उनमें समस्तीपुर जिले की सरायरंजन सीट से चुनाव लड़ रहे जेडीयू विधायक दल के नेता और जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी प्रमुख हैं। उनका मुकाबला भाजपा के रंजीत निर्गुणी से है। जहाँ विजय चौधरी की गिनती राज्य के बड़े नेताओं में होती है वहीं निर्गुणी अभी जिला परिषद् के सदस्य हैं केवल। इस दौर के एक अन्य प्रमुख उम्मीदवार हम के प्रदेश अध्यक्ष शकुनी चौधरी हैं जो तारापुर से चुनाव लड़ रहे हैं। शकुनी का मुकाबला जेडीयू के मेवालाल चौधरी से है जो कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वीसी रह चुके हैं।

कहलगांव से कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह और अलौली से लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस भी इसी चरण में चुनाव मैदान में हैं। सदानंद सिंह का मुकाबला लोजपा के नीरज मंडल से है और पारस का मुकाबला राजद के चंदन राम से। ये दोनों अपनी-अपनी पार्टी के कद्दावर नेता हैं और इनकी जीत-हार से क्रमश: कांग्रेस और लोजपा की साख पर असर पड़ना तय है।

पहले दौर के अन्य महत्वपूर्ण उम्मीदवारों में नीतीश सरकार में मंत्री रहीं और इस बार भाजपा से किस्मत आजमा रहीं रेणु कुशवाहा (समस्तीपुर), जेडीयू सरकार के मंत्री दामोदर राउत (झाझा), युवा राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक मेहता (उजियारपुर) और राजद सांसद जय प्रकाश यादव के भाई विजय प्रकाश (जमुई) शामिल हैं।

राज्य के तीन नेताओं की अगली पीढ़ी की किस्मत भी कल इवीएम में बंद हो गई। भागलपुर से सांसद अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत (भाजपा), जेडीयू के पूर्व मंत्री और वर्तमान में हम के नेता नरेन्द्र सिंह के बेटे अजय प्रताप (भाजपा) और कल्याणपुर से लोजपा सांसद रामचन्द्र पासवान के बेटे प्रिंस राज (लोजपा) चुनाव मैदान में हैं। अब इन पिता-पुत्रों की धड़कनें 8 नवंबर तक तेज रहेंगी।

 मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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