Dr.KK Mandal, Dr.Bhupendra Madhepuri paying homage to Bhupendra Narayan Mandal at Bhupendra Chowk on the occasion of 48th death anniversary.

समाजवादी चिंतक भूपेन्द्र नारायण मंडल की 48वीं पुण्यतिथि मधेपुरा में मनाई गई

मधेपुरा के भूपेन्द्र चौक पर समाजवादी चिंतक भूपेन्द्र नारायण मंडल की 48वीं पुण्यतिथि गणमान्यों एवं शिक्षाविदों के द्वारा मनाई गई। यह कार्यक्रम आज 29 मई को प्रातः 8:00 बजे मनीषी भूपेन्द्र की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ शुरू किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन भूपेन्द्र विचार मंच के बैनर तले संपन्न हुआ।

Dr.KK.Mandal along with Dr.Bhupendra Narayan Yadav Madhepuri, Dr.Ashok Kumar, Senator Heera Singh, Prof.Dr.Sachhidanand, Prof.Shachindra, Dr.Alok Kumar, Harshvardhan Singh Rathor, Rahul Yadav and others at Bhupendra Chowk on the occasion of 48th death anniversary of Samajwadi Chintak Bhupendra Narayan Mandal.
Dr.KK.Mandal along with Dr.Bhupendra Narayan Yadav Madhepuri, Dr.Ashok Kumar, Senator Heera Singh, Prof.Dr.Sachhidanand, Prof.Shachindra, Dr.Alok Kumar, Harshvardhan Singh Rathor, Rahul Yadav and others at Bhupendra Chowk on the occasion of 48th death anniversary of Samajwadi Chintak Bhupendra Narayan Mandal.

बता दें कि सर्वप्रथम उनकी प्रतिमा पर पूर्व प्रति कुलपति डॉ.केके मंडल सहित डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, पूर्व प्राचार्य प्रो.सच्चिदानंद, इंजीनियर महेंद्र मंडल, पूर्व सीनेटर हीरा सिंह आदि ने प्रथम माल्यार्पण किया। बारी-बारी से उनकी प्रतिमा पर जदयू के प्रदेश प्रवक्ता निखिल मंडल, अशोक चौधरी, प्रो.शचीन्द्र, डॉ.आलोक कुमार, प्राचार्य डॉ.अशोक कुमार (पार्वती कॉलेज), जंतु विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ.अरुण कुमार, नरेश पासवान, रंगकर्मी विकास कुमार, विनीता भारती, पंकज कुमार, सीताराम पंडित, डॉ.विनय कुमार चौधरी, डॉ.नीरज कुमार, हर्षवर्धन सिंह राठौर, राहुल यादव, रमण कुमार, भारत भूषण, सतीश कुमार, आनंद कुमार आदि ने पुष्पांजलि की।

इस अवसर पर डॉ.केके मंडल ने कहा कि उनका समाजवाद जन-जन के बीच अलख जगाने मे लगा था। उन्होंने यह भी कहा कि भूपेन्द्र बाबू का समाजवाद बैलगाड़ी से चलता रहा। वे सबों के प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। डॉ.मधेपुरी ने कहा कि  उनका व्यक्तित्व पहाड़ की ऊंचाई से भी अधिक ऊंचा था एवं उनकी समाजवादी सोच सागर की गहराई से भी अधिक गहरी थी। उनके अंदर बुद्ध, नानक और कबीर के व्यवहारों से लेकर मार्क्स, गांधी और सोशलिज्म के संस्कारों को हमेशा देखा जा सकता है। वे बेकसों के संसार को सजाते रहने वाले समाजवादियों के प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। इस अवसर पर अन्य लोगों ने भी विचार व्यक्त किए। अंत में डॉ.आलोक कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

 

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