डॉ.रवि के ईद के दिन पटना के पालिका हॉस्पिटल में हुए निधन पर बोले डॉ.मधेपुरी- लगभग 50 वर्षों तक अपनी साहित्यिक, सामाजिक एवं राजनीतिक साधना से कोसी, मिथिलांचल एवं सीमांचल को समृद्ध व गौरवान्वित करने वाले हर दिल अजीज प्रो.(डॉ.) रमेन्द्र कुमार यादव रवि के निधन से विभिन्न क्षेत्रों में एक शून्यता सी आ गई है। विधायक के रुप में प्रदेश की एवं लोकसभा व राज्यसभा सांसद के रूप में देश की सेवा करते हुए डॉ.रवि ने कितने भूलुंठित पत्थरों को तराश कर राजनीतिक पहचान दिलाई। वे राजद पार्लियामेंट्री बोर्ड के चेयरमैन भी रहे थे और जदयू के राष्ट्रीय महासचिव भी।
शिक्षा जगत में डॉ.रवि की पहचान भी सर्वश्रेष्ठ रही है। वे हिन्दी के मूर्धन्य विद्वान और बेजोड़ वक्ता थे। उन्होंने दर्जनों पुस्तकों की रचनाएं की- परिवाद, आपातकाल क्यों ?, बढ़ने दो देश को, बातें तेरी कलम मेरी, जब सब कुछ नंगा हो रहा हो आदि उनकी समादृत रचनाएं रही हैं। डॉ.रवि टीपी कॉलेज में हिन्दी के प्राध्यापक और लंबे अर्से तक वहीं कमिशंड प्राचार्य भी रहे। भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति भी रहे डॉ.रवि। प्राचार्य एवं कुलपति रहते हुए उन्होंने बहुतों के घरों में उजाला ला दिया। राजनीतिक कार्यकर्ताओं के भी वे पसंदीदा रहे।
आज उस महामना डॉ.रवि को कोरोना रूपी काल ने अपने गाल में लिया तो सही, परंतु 13 मई को वे और उनकी धर्मपत्नी प्रो.(डॉ.)मीरा दोनों कोरोना नेगेटिव होकर निकल गए। मधेपुरा के डीएम श्याम बिहारी मीणा ने बेहतर इलाज हेतु समुचित सुविधाओं के साथ पटना भेजने में भरपूर मदद की। कर्पूरी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भर्ती होने से पूर्व डॉ.रवि का इलाज चिकित्सक व सर्जन डॉ.बरुण कुमार और उनके छोटे पुत्र प्रदेश जदयू मीडिया सेल के अध्यक्ष डॉ.अमरदीप स्थानीय सांसद डॉ.रवि मार्ग स्थित उनके निवास पर करते रहे थे। पटना के पालिका हॉस्पिटल में 14 अप्रैल (ईद के पवित्र दिन) को फोन पर कुछ इष्ट मित्रों से मिल बातें की डॉ.रवि ने, परंतु उसी दिन 1:15 बजे अंतिम सांस ले ली। समाचार सुनकर लोग आंसू बहाते रहे।
लॉकडाउन के चलते विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय बंद हैं, फिरभी छात्र, शिक्षक, अधिकारी-पदाधिकारी एवं प्राचार्य व कुलपति सहित आम लोग भी उनके निधन का समाचार सुनकर शोकाकुल व मर्माहत हो गये। सभी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं से लेकर विधायक प्रोफेसर चंद्रशेखर एवं सांसद दिनेश चंद्र यादव आदि उनकी आत्मा की शांति हेतु ईश्वर से प्रार्थनाएं करने लगे। पूर्व एमएलसी विजय कुमार वर्मा, पूर्व विधायक परमेश्वरी प्रसाद निराला, उनके शिष्य रहे कुलपति डॉ.आरकेपी रमण और उनके पीए शंभू नारायण यादव की आंखें नम ही नहीं बल्कि समाचार सुनकर आंसू बंद होने का नाम ही नहीं लेता।
डॉ.रवि कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन के संरक्षक थे। इनके बड़े भाई तुल्य साहित्यकार हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ अध्यक्ष थे जो चंद रोज कबल कोरोना के शिकार हुए। कौशिकी के सचिव एवं डॉ.रवि के समधी प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने शोक प्रकट करते हुए कहा कि डॉ.रवि एवं शलभ जी के चले जाने से ऐसा लगता है कि कौशिकी का प्रांगण सूना होने लगा है और साहित्यिक कुसुम मुरझाने लगे हैं। साहित्यकार कवि व समीक्षक डॉ.विनय कुमार चौधरी, डॉ.शांति यादव, डॉ.काश्यप, डॉ.अरविंद श्रीवास्तव, डॉ.विश्वनाथ विवेका, डॉ.अमोल राय, प्रो. मणिभूषण वर्मा, प्रो.सचिंद्र, डॉ.अरुण कुमार, प्रो.श्यामल किशोर यादव, डॉ.आलोक कुमार, सियाराम यादव मयंक, द्विजराज, संतोष सिन्हा, किशोर, श्यामल कुमार सुमित्र आदि ने संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि साहित्यकार ही नहीं बल्कि राजनीतिक क्षेत्र के रवि सदा के लिए हमसे दूर चले गए। सबों ने उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थनाएं की।