समाजवादी चिंतक किशन पटनायक की 92वीं जयंती पर बोले डॉ.मधेपुरी

किशन पटनायक 30 जून 1930 को उड़ीसा के भवानीपाटन में जन्म ग्रहण करने वाले समाजवादी चिंतक, लेखक, मासिक पत्रिका “समाजिक वार्ता” के संपादक रहे। किशन पटनायक तृतीय लोकसभा के सांसद बने। वे प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर संबलपुर चुनाव क्षेत्र से जेल में रहकर ही चुनाव जीत गए थे। तृतीय लोकसभा में किशन पटनायक सबसे कम उम्र के सांसद चुने गए थे। उनकी 92वीं जयंती 30 जून को देश के समाजवादियों ने एक सप्ताह तक मनाने का निर्णय लिया है तथा कई हस्तियों ने किशनजी पर लिखा भी है।

डॉ.राम मनोहर लोहिया, मधु लिमये, भूपेन्द्र नारायण मंडल, बीजू पटनायक, राज नारायण आदि जैसे समाजवादी सोच के धनी चिंतकों के सानिध्य में रहने वाले किशन पटनायक स्वंय भी एक अत्यंत विलक्षण समाजवादी चिंतक रहे हैं। उन्होंने समाजवादी जन परिषद नामक संगठन की स्थापना की तथा दो ऐसी पुस्तकें 1. किसान आंदोलन : दशा और दिशा, 2. भारतीय राजनीति पर एक दृष्टि, लिखी जिसने उन्हें समाज में सर्वाधिक समादृत किया।

वैसे चिंतक किशन पटनायक जी से मधेपुरा के समाजसेवी-शिक्षाविद डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी की मुलाकात 70 के दशक में दिल्ली के तीन मूर्ति भवन के सामने तत्कालीन राज्यसभा सांसद भूपेन्द्र नारायण मंडल के आवास 98, साउथ एवेन्यू में तब हुई और होती रही जब डॉ.मधेपुरी की नियुक्ति सर्वप्रथम कमीशन से सहरसा कॉलेज सहरसा के भौतिकी के व्याख्याता के पद पर हुई थी।

डॉ.मधेपुरी बताते हैं कि दल के गठन के बाद इसके दूरगामी परिणामों पर किशन जी द्वारा लिखित एक विस्तृत लेख से मेरे जैसे ढेर सारे समाजवादी सोच के लोग प्रभावित हुए जिनमें बहुतों का परिचय भी किशन जी से नहीं था। डॉ.लोहिया के बाद समाजवादी आंदोलन के सिद्धांतों के अनुरूप कोई नेता रहा तो वह किशन पटनायक हैं जिन्होंने सत्ता के लिए किसी से समझौता नहीं किया। किशन जी अपने जीते जी देश में सैकड़ों समर्पित एवं संघर्षशील कार्यकर्ता छोड़कर 27 सितंबर 2004 को भुवनेश्वर में अंतिम सांस ली।

आज किशन पटनायक जी की स्मृति को डॉ.मधेपुरी ने नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया है।

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