राज्य में कुछ विशेष छूटों के साथ लॉकडाउन- 4 की संभावना

जब देश और प्रदेश कोरोना की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित होने लगा तब नीतीश सरकार ने 5 मई 2021 से बिहार में प्रथम चरण का लॉकडाउन 15 मई तक लगाने की स्वीकृति दी। स्थिति में सुधार लाने हेतु बाद में इसे 25 मई तक बढ़ाकर लॉकडाउन- 2 नाम दिया गया। हालात की समीक्षा करते हुए सरकार ने 1 सप्ताह यानि 1 जून 2021 तक और बढ़ाने का फैसला लेते हुए इसे लॉकडाउन-3 नाम रख दिया। फिलहाल कल तक (1 जून तक) बिहार में लाॅकडाउन- 3 प्रभावी रहेगा।

बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर में सरकार एवं प्रशासन की सख्ती तथा भरपूर जन सहयोग के फलस्वरूप कोरोना संक्रमण में सुधार को देखते हुए नीतीश सरकार कुछ नई छूट के साथ बिहार में लाॅकडाउन की समय सीमा को एक सप्ताह के लिए बढ़ा सकती है।

चलते-चलते यह भी जानिए कि एक-दो दिनों में यानि आज से कल तक में आपदा प्रबंधन समूह की बैठक आयोजित की जाएगी जिसमें अंतिम निर्णय लिया जाएगा कि लॉकडॉन- 3 की मियाद 1 जून 2021 मंगलवार को समाप्त हो रही है या उसे कितने दिनों के लिए लाॅकडाउन- 4 का नाम देकर बढ़ाया जाएगा।

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बोले सीएम नीतीश- यास चक्रवात के कारण सूबे में बिजली-पानी की सुविधाएं जल्द हो बहाल

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चक्रवाती तूफान यास के बाद जिले में पानी-बिजली आवागमन एवं अन्य आवश्यक सुविधाएं बहाल रखने के लिए हर तरह के जरूरी कदम उठाने हेतु संबंधित विभागों के पदाधिकारियों एवं जिला प्रशासन को निर्देश दिया है। उन्होंने लोगों से भी कहा कि भले ही सूबे में चक्रवाती तूफान का असर कम हो रहा है, लेकिन अभी सभी को सजग रहना आवश्यक है।

बता दें कि तूफान ने सूबे में बिजली-पानी की किल्लत और जलजमाव सहित कई प्रकार की परेशानियां खड़ी कर दी है। राज्य भर में 500 से अधिक बिजली के खंभे ध्वस्त हो गए। पेड़ों के बिजली तारों पर गिरने के कारण विद्युत आपूर्ति पर व्यापक असर पड़ा। ग्रामीण इलाकों में बिजली आपूर्ति अभी भी प्रभावित है शहरी क्षेत्रों में जल जमाव के कारण लोगों को आने-जाने में परेशानियां हो रही है।

चलते-चलते यह भी जानिए कि प्रशासन की ओर से बंद बिजली आपूर्ति, बंद आवागमन को चालू करने की कवायद द्रुत गति से आरंभ कर दी गई है। बंद पीपा पुल को भी चालू करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। शीघ्र ही शहरी जनजीवन सामान्य हो जाएगी। जन सहयोग के चलते कोरोना संक्रमण में भी तेजी से कमी आ रही है। जन सहयोग के लिए मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को साधुवाद दिया है।

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47वीं पुण्यतिथि पर बोले डाॅ.मधेपुरी- मनीषी भूपेन्द्र ताजिंदगी सब कुछ लुटाकर मसीहा बन गए

कोरोना की दूसरी लहर के बीच आज 29 मई को सहजता की प्रतिमुर्ति समाजवादी चिंतक भूपेन्द्र नारायण मंडल की 47वीं पुण्यतिथि पर उनके अत्यंत करीबी रहे समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.) भूपेन्द्र मधेपुरी ने अपने निवास ‘वृंदावन’ में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बच्चों व बड़ों से ये बातें कहीं-

“भूपेन्द्र बाबू आज भी समाजवादियों के प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। वे ब्रिटिश हुकूमत की विकट परिस्थितियों में आए और बिना रुके, बिना झुके, बेकसों के संसार को जीवन भर सजाते रहे। वे उच्च कोटि के स्वतंत्रता सेनानी और इस माटी के सपूत बने रहे। आजादी मिलने के बाद ताजिंदगी वंचितों व अछूतों के दूत बने रहे।”

डॉ.मधेपुरी ने उनके पढ़ने के व्यसन को संदर्भित करते हुए बच्चों से कहा कि एक अच्छे अध्येता होने के कारण उनमें किसी भी गंभीर विषय के ज्ञान की गहराई में उतरने की अद्भुत क्षमता मैंने तब देखी जब संसद के अंदर ‘हिन्दी और अंग्रेजी’ को लेकर हो रही चर्चा के बीच उन्होंने बस यही कहा-

“अध्यक्ष महोदय ! मैं हिन्दी के लिए पागल नहीं हूं, परंतु भारत में अंग्रेजी को बनाए रखने की कोशिश भारतीय जन क्रांति के साथ विश्वासघात है।”

डॉ.मधेपुरी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मौजूद बच्चे अक्षय, आदित्य, आद्या, अक्षत सहित कुछ लोगों से ऑनलाइन यह भी कहा कि भूपेन्द्र बाबू के ज्ञान की गहराई और व्यक्तित्व की ऊंचाई को मापना बहुतों के बस की बात नहीं। डॉ.लोहिया भी उन्हें बहुत सम्मान देते थे। जब डॉ.लोहिया ने बिहार में संविद सरकार संभालने हेतु उनसे अनुरोध किया था तो भूपेन्द्र बाबू ने विनम्रता पूर्वक उनसे यही कहा कि बिहार में यह जिम्मेदारी अपनी पार्टी के समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को मिलनी चाहिए। भूपेन्द्र बाबू के त्याग की अनेक कहानियां हैं। मधेपुरा के बीपी मंडल नगर भवन में कभी बिहार विधानसभा के स्पीकर एवं हरियाणा के राज्यपाल रहे धनिक लाल मंडल ने मंच से कहा था कि मैं आज जो कुछ भी हूं वह केवल भूपेन्द्र बाबू के ही चलते हूँ।

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प्रत्येक स्कूल के एक फोकल शिक्षक को सुरक्षित शनिवार के तहत कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु प्रशिक्षण दी जाएगी- सीएम

सूबे के सरकारी, प्राइवेट, मदरसा, संस्कृत, कस्तूरबा सहित सभी प्रकार के छोटे-बड़े विद्यालयों में बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाव की जानकारी देने का निश्चय बिहार सरकार ने किया है। जब स्कूल खुलेगा तब कोरोना महामारी को लेकर बच्चों को जागरूक किया जाएगा। मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित होने वाली “सुरक्षित शनिवार” के तहत इस महामारी से बचाव की जानकारी दी जाएगी।

बता दें कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के सहयोग से इसे अंजाम दिया जाएगा। सूबे के सभी स्कूलों में “सीएम सुरक्षा कार्यक्रम” के फोकल शिक्षक को प्रशिक्षित करने का कार्यक्रम आरंभ हो गया है।

जानें कि सुरक्षित शनिवार को पूर्व से ही बच्चों को विभिन्न आपदा की जानकारी दी जा रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने तो ‘आपदा सुरक्षा सप्ताह’ चलाने का निर्देश भी दिया था। पूर्व में बच्चों को भूकंप, अगलगी, लू, ठनका-वज्रपात सहित विभिन्न प्रकार की बीमारियों एवं महामारियों की जानकारी दी जाती थी। अब कोरोना संक्रमण तथा इसके विभिन्न रूपों की जानकारी एवं बचाव हेतु प्रत्येक स्कूल से एक-एक फोकल शिक्षक को इस प्रशिक्षण में शामिल किया जा रहा है।

चलते-चलते यह भी कि 31 मई से 20 जुलाई तक 12 जिलों के 13 हजार शिक्षकों का एक चरण में प्रशिक्षण होगा। पहले यह ट्रेनिंग तीन दिनों की होती थी, परंतु अब 13 सत्रों की होगी। इस ट्रेनिंग में अन्य आपदाओं के साथ-साथ कोरोना संक्रमण के रोकथाम पर विशेष रूप से प्रशिक्षण दी जाएगी।

 

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चक्रवाती तूफान ‘यास’ को लेकर बिहारी अधिकारियों व अभियंताओं को 24 घंटे अलर्ट रहने की दी गई हिदायत

बंगाल की खाड़ी से उठा चक्रवाती तूफान ‘यास’ बुधवार को सबेरे उड़ीसा के बालासोर में तट से टकराया। इस दौरान हवा की रफ्तार 130-140 किलोमीटर प्रति घंटे रही। उड़ीसा के बाद तूफान पश्चिम बंगाल होते हुए झारखंड की ओर बढ़ा।

मौसम विभाग के अनुसार बुधवार को आधी रात के बाद बिहार राज्य के बांका, जमुई, कटिहार, लखीसराय, भागलपुर होते हुए बिहार के 26 जिलों में भारी बारिश के अंदेशा की सूचना जारी की गई। हालांकि, इस चक्रवाती तूफान का प्रभाव बुधवार को दिनभर बिहार के सभी हिस्सों में दिखाई दिया और इस तूफान का प्रभाव 27 से 30 मई तक रहने की बात कही गई है।

बताया गया कि भागलपुर सहित बिहार के सभी हिस्सों में तूफान का प्रभाव 4 दिनों तक रहेगा। इस दौरान सूबे के अधिकांश हिस्सों में 60 से 255 एमएम बारिश होने के आसार बताए गए हैं। साथ ही 40 से 55 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवा चलने की बात भी कही गई है।

जानिए कि 7 जिलों में येलो अलर्ट और अन्य शेष सभी जिलों में रेड अलर्ट जारी किया गया है। सारण, शिवहर, पूर्वी चंपारण, कटिहार, किशनगंज, रोहतास व भोजपुर जैसे 7 जिलों में यह येलो और शेष सभी जिलों में रेड अलर्ट हैं। यहां तक कि आपदा राहत पहुंचाने वाले एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी अलर्ट मोड में हैं। आपातकालीन कंट्रोल रूम सहित विभाग का कंट्रोल रूम 24 घंटे काम कर रहे हैं। सभी नदियों एवं बराजों पर निगरानी बढ़ा दी गई है

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चक्रवाती तूफान ‘यास’ से निबटने के लिए बिहार के सभी डीएम रहें अलर्ट- सीएम नीतीश कुमार

भारत के मौसम विज्ञान विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले 24 घंटे में खतरनाक ‘यास’ सुपर साइक्लोन में बदल जाएगा। आज शाम तक यास का असर शुरू हो जाएगा। बिहार प्रदेश का आसमान अशांत हो जाएगा। बादल फटने से लेकर ठनका गिरने और आंधी व अन्य आसमानी विपदाओं के आने की आशंका है।

बता दें कि बिहार के 14 जिलों को ‘यास’ तूफान के मद्देनजर विशेष रूप से संवेदनशील माना गया है जहां सीएम नीतीश कुमार ने हाई अलर्ट घोषित करते हुए बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की टीम रवाना कर दी है। सीएम ने कहा कि 27 से 30 मई तक आकाशीय आपदाओं से निबटने के लिए सभी डीएम को अलर्ट किया गया है।

उपमुख्यमंत्री सह आपदा मंत्री रेणु देवी ने कहा कि विभाग ने एनडीआरएफ के 350 जवान और विशेषज्ञ रिजर्व में भी रखे गए हैं। आवश्यक टीमों की तैनाती जिलों में कर दी गई है। एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ की टीम में शामिल सभी जवानों को कोविड नियमों का पालन करते हुए राहत बचाव कार्य पूरा करने का प्रशिक्षण दिया गया है। एक टीम में 45 प्रशिक्षित लोग होते हैं। राज्य में एनडीआरएफ की 18 टीमें हैं।

चलते-चलते यह भी कि सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि पश्चिम बंगाल से ट्रेन या बस से आने वाले सभी यात्रियों की कोविड जांच अवश्य कराएं क्योंकि पश्चिम बंगाल में कोरोना पॉजिटिविटी रेट ज्यादा है। जबकि हमारे यहां कोरोना संक्रमण की दर में गिरावट आ रही है। अपने ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए हर जरूरी कदम उठाएं।

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सरस्वती के वरद् पुत्र डॉ.रवि के साथ उनकी धर्मपत्नी विदुषी डॉ.मीरा भी चल बसी

14 मई को ईद के दिन सरस्वती के वरद् पुत्र डॉ.रवि ने पटना के पालिका हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली और आज 25 मई मंगलवार को हनुमान के दिन पटना के पारस में उनकी धर्मपत्नी विदुषी डॉ.मीरा ने दिन के 9:10 बजे अंतिम सांस ली। उस समय उनके दो पुत्र डॉ.चंद्रदीप और डॉ.अमरदीप वहां मौजूद थे। डॉ.रवि हिन्दी के और डॉ.मीरा मैथिली के प्रोसेसर थे। संयोग देखिए, डॉ.रवि ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय में और डॉ.मीरा पार्वती विज्ञान महाविद्यालय में कार्यरत थे। आजकल के बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि ठाकुर प्रसाद की धर्मपत्नी है पार्वती देवी।

होनी को तो कोई टाल नहीं सकता। मजदूर दिवस (1 मई) के दिन इन दोनों के समधी डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी से हो रही बातचीत के दरमियान डॉ.रवि एवं डॉ.मीरा द्वारा यही कहा गया कि हम दोनों तो घर से निकलते ही नहीं तो कोरोना क्या बिगाड़ लेगा ?

हाँ, ये सच है कि वे स्थानीय चतरा कोठी से नहीं निकलते थे, परंतु राजनेता, प्राचार्य व कुलपति रहने के कारण उपकृत हुए लोगों का आना-जाना तो लगा ही रहता था। पता नहीं कब, कैसे और किसके साथ कोरोना ने उन्हें चुपके-चुपके अपनी गिरफ्त में ले लिया और आहिस्ता-आहिस्ता उनकी धर्मपत्नी डॉ.मीरा भी कोरोना संक्रमित हो गई। सर्दी-खांसी-बुखार तक तो खुद डॉक्टर बने रहे, जब सांस लेने में कठिनाई हुई तब फोन से जानकारी मिलते ही पटना में रह रहे कनिष्ठ पुत्र प्रदेश मीडिया सेल के अध्यक्ष डॉ.अमरदीप अपने चिकित्सक साढुभाई डॉ.बरूण कुमार के साथ डीएम श्याम बिहारी मीणा से सहयोग प्राप्त कर ऑक्सीजन प्राप्त किया और इलाज आरंभ हुआ।

सीएम हाउस से भी डीएम के माध्यम से डॉ.रवि सहित डॉ.मीरा की स्थिति का जायजा बराबर लिया जाता रहा। बाद में जेएनकेटी मेडिकल कॉलेज में भर्ती, फिर स्थिति बिगड़ते देख डीएम मीणा ने बेहतर इलाज हेतु अलग-अलग एंबुलेंस में विशेषज्ञों के साथ 13 मई को पटना रवाना कर दिया। मई 14 को दिन के 1:30 बजे डॉ.रवि ने पालिका में और डॉ.मीरा ने 25 मई को सवेरे 9:10 बजे पारस में अंतिम सांस ली।

इधर डॉ.रवि के पुत्र द्वय डॉ.चंद्रदीप व डॉ.अमरदीप ने वैदिक रीति से अपने पिताश्री डॉ.रवि का श्राद्ध कर्म 25 मई को सबेरे समाप्त किया कि ताजिंदगी पति के कार्यों में सहयोग करने वाली धर्मपरायण पत्नी डॉ.मीरा ने 15 मई से ही आंखें बंद कर पति के कार्यों में निरंतर सहयोग करते हुए 25 मई को अंतिम सांस ली। इन घटनाओं को सुन साहित्यकार समधी डॉ.मधेपुरी ने अवरुद्ध कंठ से अपनी चार पंक्तियां श्रद्धांजलि स्वरुप दोहराते हुए कहा-  दुनिया रंगमंच है अपनी / सभी भूमिका निभा रहे हैं / कोई आकर हंसा गए जी / कोई जाकर रुला रहे हैं।

डॉ.रवि ने जनहित में ताजिंदगी ऐसी भूमिका निभाई थी कि जाने के बाद एक सप्ताह तक अखबारों एवं सोशल मीडिया पर छाए रहे। लोग उनके किए गए कर्मों को याद करते रहे तथा नम आंखों से श्रद्धांजलि देते रहे। आज परम विदुषी एवं धर्म परायण अर्धांगिनी डॉ.मीरा भी चली गई। जिनने आते-जाते डॉ.मीरा से सम्मान एवं वात्सल्य प्यार पाया था, वे सभी आज उदास हैं, शोकाकुल हैं। जो पल-पल उनके स्वास्थ्य सुधार की जानकारी पाने को व्याकुल रहते थे और उनके समधीश्री डॉ.मधेपुरी से जानकारी मांगते रहते थे, वे हैं-

पूर्व विधान पार्षद विजय कुमार वर्मा, पूर्व विधायक परमेश्वरी प्रसाद निराला, एमएलसी डॉ.संजीव कुमार सिंह, रमण कुमार सिंह समाजसेवी, प्रो.(डॉ.)अरुण कुमार,  प्राचार्य डॉ.शिव नारायण यादव, प्राचार्य डॉ सुरेश प्रसाद यादव, डॉ.शांति यादव, डॉ.अरविंद श्रीवास्तव, जदयू जिला अध्यक्ष गुड्डी देवी, सहरसा आरएम कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ.विनय कुमार चौधरी, प्रो.मणिभूषण वर्मा, साहित्यकार डॉ.विनय कुमार बेसुध सहित कुलपति के निजी सचिव शंभू नारायण यादव व प्रो.मनोज भटनागर आदि ढेर सारे लोग। सभी शोकाकुल हैं। इस आदर्श दंपत्ति के अचानक चले जाने से आम लोगों के साथ-साथ बिहार का जदयू परिवार भी मर्माहत है।

डॉ.मीरा लगभग 10 वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हुई थी और तब से पारिवारिक जीवन जी रही थी। वह एक धर्मपरायण महिला के रूप में दिनभर पूजा-पाठ में लगी रहती। 74 वर्षीय डॉ.मीरा अपने पीछे तीन पुत्रों डॉ.रतनदीप, डॉ.चंद्रदीप, डाॅ.अमरदीप एवं एक पुत्री मधुनंदा सहित ढेर सारे नाती-पोते से भरा पूरा परिवार छोड़ कर गई हैं। उनका अंतिम संस्कार पटना के उसी गुलबी घाट पर हुआ जहां उनके पति डॉ.रवि को उनके पुत्र डॉ.चंद्रदीप ने मुखाग्नि दी थी और आज वहीं पर 25 मई को दिन के 3:00 बजे उनके कनिष्ठ पुत्र डॉ.अमरदीप ने मां डॉ.मीरा को मुखाग्नि दी। उनकी अंत्येष्टि में एचआईजी बहादुरपुर एवं प्रदेश मीडिया सेल के चाहने वाले अच्छे-खासे लोग मौजूद दिखे।

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कोरोना की तीसरी लहर बेहद खतरनाक होगी क्या?

वैज्ञानिकों ने भारत में कोरोना की तीसरी लहर के आने की घोषणा कर दी है। साथ ही यह भी की इस तीसरी लहर में बच्चे ज्यादातर प्रभावित होंगे। कई राज्यों ने तो बच्चों की सुरक्षा में तैयारियां भी आरंभ कर दी है और अस्पताल बनाने से लेकर ऑक्सीजन सिलेंडर, वेंटीलेटर और दवाइयों व टीके सब पर काम शुरू कर दी गई है।

घबराहट पर तब ब्रेक लगता हुआ महसूसा गया जब सरकार के स्वास्थ्य सलाहकार बोलते दिखे कि घबराएं नहीं…. आगे कोरोना की तीसरी लहर पूरे देश में नहीं आएगी और बच्चों पर ज्यादा असर होने की आशंका भी नहीं है।

परंतु, यह भी जानिए कि दूसरी लहर तो प्रतिदिन हजारों की जिंदगियां निकल रही है। देश की स्वास्थ्य प्रणाली चरमरा गई है। बड़े-बड़े अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर सहित जीवन रक्षक दवाओं की भारी किल्लत अभी भी जारी है। फिर भी प्राय: सभी राज्यों की सरकारें संक्रमण के कहर से बच्चों को बचाने के लिए तैयारियों में जुट गई हैं।

बकौल समाजसेवी-शिक्षाविद  प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, यदि भारत की 132 करोड़ आबादी यह ठान ले- दो गज दूरी, मास्क है जरूरी और दिन भर में 10 बार साबुन से हाथ धोते रहें तो हम किसी भी लहर से मुकाबला कर सकते हैं और कोरोना  मुक्त भारत बना सकते हैं।

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कोरोना काल में ही मधेपुरा के टीपी कॉलेज में बनेगा सेहत सेंटर

कोरोना काल में लोगों ने देश की स्वास्थ्य सेवाओं की चरमराई हुई स्थिति देखी। फलस्वरूप सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे अव्यवस्थित स्वास्थ्य केंद्रों पर से नजर हटाकर अब जगह-जगह सेहत सेंटर बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है।

उसी क्रम में भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के टीपी कॉलेज में जल्द ही एक “सुव्यवस्थित सेहत सेंटर” कार्य करने लगेगा। बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा महाविद्यालय को प्रारंभिक अनुदान स्वरूप एक लाख की  राशि भेजी गई है जिसकी पुष्टि प्रधानाचार्य डॉ.केपी यादव ने भी की।

बकौल प्रधानाचार्य डॉ.यादव, सेहत सेंटर निर्माण हेतु एक लाख की राशि प्राप्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय के नवनिर्मित भवन के ग्राउंड फ्लोर पर सेहत सेंटर हेतु कार्यालय को सुव्यवस्थित किया जाएगा तथा महाविद्यालय के रतन द्वार एवं महावीर द्वार पर सेहत सेंटर का बोर्ड भी लगाया जाएगा।

चलते-चलते यह भी जानिए कि इस राशि की उपयोगिता का प्रमाण पत्र समर्पित करने के बाद शीघ्रातिशीघ्र ही अगले कार्यों के लिए भी राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा राशि उपलब्ध कराई जाएगी। समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा कि इस सेहत सेंटर के बनने से महाविद्यालय को नैक से मान्यता मिलने में सुविधा होगी तथा प्रधानाचार्य डॉ.केपी यादव जो उनके शिष्य हैं, को यश प्राप्त होगा।

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कोरोना की तीसरी लहर को लेकर बिहार सरकार द्वारा बनाई जा रही कार्य योजना

बिहार की नीतीश सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस द्वारा सभी जिले के जिलाधिकारियों को बताया कि ग्रामीण इलाकों में जिन 1454 अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों (एपीएचसी) को मार्च महीने में बंद किया गया था और वहां के चिकित्सकों को कोविड केयर सेंटर (सीसीसी) एवं डेडीकेटेड कोविड हेल्थ केयर सेंटर (डीसीएचसी) में तैनात किया था, अब पुनः तीसरी लहर को लेकर यह निर्देश दिया जाता है कि इन अस्पतालों के सभी डॉक्टरों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को पुनः उसी एपीएचसी में तैनात किया जाए।

अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांव में 15000 स्वास्थ्य कार्यकर्ता तैनात किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार गांव में कोरोना मरीजों की पहचान तथा होम आइसोलेशन में इलाजरत कोरोना रोगियों के सहयोग के लिए प्रशिक्षित ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सेवा ली जाए।

चलते-चलते यह भी कि राज्य में जिन 15000 ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से प्रशिक्षित होकर उत्तीर्णता प्राप्त की है, उन्हें ही नियुक्त किया जाए और कार्य समाप्ति के बाद प्रत्येक का मानदेय सीधे उनके बैंक खाते में डाल दिया जाए।

 

 

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