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24 वें कुलपति प्रो.(डॉ.)ज्ञानंजय द्विवेदी ने पदभार ग्रहण कर मनीषी भूपेन्द्र की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया

भारत की पहचान राजा एवं महाराजाओं के कारण नहीं बल्कि गुरुओं के कारण ही इसकी पहचान विश्व भर में है। तभी तो बीएनएमयू के नवनियुक्त 24वें  कुलपति प्रो.(डॉ.)ज्ञानंजय द्विवेदी ने समाजवादियों के प्रेरणा स्रोत भूपेन्द्र नारायण मंडल की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के पश्चात कहा- “मैं शिक्षक था, शिक्षक हूं और शिक्षक ही रहूंगा। मैं इस बीएन मंडल विश्वविद्यालय की सेवा करता रहा हूं और आगे भी इसकी सेवा करता रहूंगा।”

बता दें कि नवनियुक्त कुलपति डॉ.ज्ञानंजय द्विवेदी ने यह भी कहा कि वे राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान के विशेष आभारी हैं जिन्होंने उन्हें कुलपति की जिम्मेदारी देकर उनके ऊपर विश्वविद्यालय को गति प्रदान करने का भरोसा किया है। उन्होंने यह भी कहा कि वे सभी कर्मचारियों, शिक्षकों एवं पदाधिकारियों तथा छात्रों सहित उनके अभिभावकों के सहयोग से ही इतने बड़े दायित्व का निर्वहन करेंगे। वे सबों को साथ लेकर इस विश्वविद्यालय को आगे ले जाने का सतत् प्रयास करते रहेंगे। विश्वविद्यालय के साथ-साथ महाविद्यालय को भी नैक के लिए तैयार करेंगे।

यह भी कि कुलपति डॉ.द्विवेदी की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी- नियमित कक्षा संचालन, स्वच्छ परीक्षा एवं ससमय परिणाम का प्रकाशन। उन्होंने कहा कि विकल्पों पर विचार करते हुए लाॅकडाउन में भी कुछ परीक्षाएं संचालित करने का प्रयास किया जाएगा।

चलते-चलते यह भी कि विश्वविद्यालय के विभिन्न पदों पर कार्यरत रह चुके एवं मनीषी भूपेन्द्र के साथ हमेशा साया की तरह साथ-साथ चलने वाले समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी  ने स्थानीय शिक्षाविदों को विश्वास दिलाया कि 24वें  कुलपति प्रो.(डॉ.)ज्ञानंजय द्विवेदी महामना भूपेन्द्र नारायण मंडल की सहजता के साथ विश्वविद्यालय को गतिशील रखेंगे।

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बीएनएमयू के नार्थ कैंपस में नवनिर्मित महावीर वाटिका का कुलपति ने किया उद्घाटन

भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में बने साइंस ब्लॉक के पीछे… बिहार के 2 विश्वविद्यालयों के प्रति कुलपति एवं बीएनएमयू के कुलपति रह चुके शिक्षाविद् डॉ.महावीर प्रसाद यादव के सुपुत्र सह जंतु विज्ञान स्नातकोत्तर विभागाध्यक्ष डॉ.अरुण कुमार द्वारा अपने पिताश्री के नाम लगभग 20 लाख की लागत से “महावीर वाटिका” का निर्माण कार्य पूरा करवाया गया। चंद रोज कबल कुलपति डॉ.एके राय, प्रति कुलपति डॉ.फारुख अली, प्राचार्य डॉ.एमपी यादव के सहयोगी रहे साहित्यकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, कार्यक्रम संयोजक प्रो.(डॉ.)नरेश कुमार, केटीएमसी के प्राचार्य डॉ.अशोक कुमार यादव, मानविकी संकायाध्यक्ष सह आगत कुलपति डॉ.ज्ञानंजय द्विवेदी एवं अन्य पदाधिकारियों व गणमान्यों द्वारा “महावीर वाटिका” का परिभ्रमण व उद्घाटन किया गया।

VC Dr.A.K.Ray, Pro-VC Dr.Farukh Ali, Shikshavid Dr.Bhupendra Madhepuri and other university officers attending the Mahavir Vatika inauguration programme at North Campus, BNMU.
VC Dr.A.K.Ray, Pro-VC Dr.Farukh Ali, Shikshavid Dr.Bhupendra Madhepuri, Successor VC Dr.Gyananjay Dwivedi, Principal Dr.Ashok Kumar Yadav and other university officers attending the Mahavir Vatika inauguration programme at North Campus, BNMU.

बता दें कि साइंस ब्लॉक के कॉन्फ्रेंस हॉल में महावीर वाटिका की चर्चा के साथ-साथ उद्गार व्यक्त करते हुए सभी संकायाध्यक्षों व विभागाध्यक्षों द्वारा कुलपति एवं प्रति कुलपति के कार्यकाल की सराहना की गई। कुलपति डॉ.एके राय एवं प्रति कुलपति डॉ.फारूख अली ने लगभग 20 लाख की लागत से बनाए महावीर वाटिका के निर्माता डॉ.अरुण कुमार को धन्यवाद दिया तथा अपने कार्यकाल में विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने के प्रयासों की चर्चा के साथ-साथ जाने अनजाने हुई भूल को भूल जाने का अनुरोध भी किया।

इस अवसर पर प्रायः विभागाध्यक्षों के गुरु रह चुके समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.मधेपुरी ने कहा कि कुलपति-प्रतिकुलपति की जोड़ी यूनिडायरेक्शनल रही इसलिए विगत 25 वर्षों में जो किसी ने करने का साहस नहीं किया उसे इन दोनों ने कर दिखाया। डॉ.मधेपुरी ने अपने प्रिय छात्र स्नातकोत्तर जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ.अरुण कुमार एवं रसायन शास्त्र के स्नातकोत्तर विभागाध्यक्ष रह चुके डॉ.नरेश कुमार की सराहना करते हुए कहा कि यह कैंपस आगे से अधिक सुंदर पीछे से ही दिखता है जो इस विश्वविद्यालय को नैक दिलाने में भी सहयोग करेगा। मौके पर डॉ.कैलाश प्रसाद यादव, डॉ.सिद्धेश्वर कश्यप, डीएसडब्ल्यू अशोक कुमार यादव, डॉ.आरकेपी रमन, डॉ,लंबोदर झा, डॉ.एम रहमान, पीआरओ डॉ.सुधांशु शेखर, डॉ.रीता सिंह, डॉ.एमके मनोरंजन, डॉ.कामेश्वर कुमार, डॉ अशोक कुमार, डाॅ.उदय कृष्ण, डॉ.डीएन साह, डॉ.विश्वनाथ विवेका, डॉ.शंकर कुमार मिश्र आदि ने उद्गार व्यक्त किया। डॉ.नरेश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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सिरहुल्ली के साइकिल गर्ल ज्योति पर अब फिल्मकार विनोद कापड़ी बनाएंगे फिल्म

कल तक दरभंगा जिले के  सिंहवाड़ा प्रखंड के सिरहुल्ली गांव की कोई पहचान नहीं थी और आज साइकिल गर्ल ज्योति के कारण देश-दुनिया में इसकी चर्चा हो रही है। कोरोना लॉकडाउन- 4 में अपने बीमार पिता मोहन को साइकिल पर बैठाकर हरियाणा के गुरूग्राम से 7 दिनों में 1200 किलोमीटर दूर अपने पैतृक गांव बिहार के दरभंगा (सिरहुल्ली) पहुंचने वाली 15 वर्षीय ज्योति के साहस को लोग सलाम कर रहे हैं। मदद करने के लिए बड़े-बड़े अफसर झारखंड के डीसीएम विजय कुमार, आईएएस संतोष कुमार राय व सुमित कुमार राय भी आगे आ रहे हैं। इन्होंने ज्योति के पिता से बातें भी की और कहा कि उसकी पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी उठा कर समाज में ऊंचा कद दिलाने हेतु केंद्रीय विद्यालय दिल्ली में दाखिला कराने की पहल भी शुरू कर दी है।

बता दें कि ज्योति की बड़ी बहन को नीतीश सरकार की साइकिल योजना के तहत स्कूल से साइकिल मिली थी। ज्योति ने उसी से साइकिल चलाना सीखा था। गुरूग्राम से चलते वक्त जिस ज्योति के पिता की जेब में मात्र ₹500 थे वही ज्योति सिरहुल्ली पहुंचते ही कुबेर के कोषागार की कुंजी अपने पिताश्री के चरणों पर रख दी।

जानिए की ज्योति के हौसले व जुनून को सलाम करने वाले बॉलीवुड फिल्मकार विनोद कापड़ी ने क्या कहा- “मैं साइकिल गर्ल ज्योति पर एक फिल्म बनाने की तैयारी में हूं जिसके लिए मैंने उसके पिताजी श्री मोहन पासवान से अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर लेकर फिल्म बनाने की सहमति भी ले ली है, जिसमें पिता-पुत्री के संघर्षपूर्ण जीवन को प्रेरक रूप दिया जाएगा।”

चलते-चलते यह भी कि ज्योति की मदद में इवांका ट्रंप…. नवभारत टाइम्स के उठते हाथों को देख भारतरत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम के करीबी रहे समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने भी ज्योति को ऊंचाई पाने हेतु हौसला अफजाइ करने का मन बनाया है। भला क्यों नहीं, डॉ.मधेपुरी तो अंतरराष्ट्रीय खेल में भारत के लिए कांस्य पदक जीतकर बिहार की धरती को गौरवान्वित करने वाली बेटी सोनी राज और 1942 में शहीद हुए भोला ठाकुर की धर्मपत्नी बेचनी देवी जैसों की भी तो मदद करते रहे हैं।

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मनीषी भूपेन्द्र की 46वीं पुण्यतिथि घर-घर में मनी

समाजवादियों के प्रेरणास्रोत मनीषी भूपेन्द्र नारायण मंडल की 46वीं पुण्य तिथि 29 मई को कोरोना के चलते लाॅकडाउन के बावजूद भी दिनभर मधेपुरा के चौक-चौराहे से लेकर विद्यालय, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय द्वारा अत्यंत सादगी के साथ मनाई गई। जहां एक ओर भूपेन्द्र विचार मंच के अध्यक्ष, सचिव व सदस्यों ने स्थानीय भूपेन्द्र चौक स्थित उनकी प्रतिमा पर प्रातः 7:30 बजे ही प्रो.सच्चिदानंद द्वारा प्रथम पुष्पांजलि के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की, वहीं दूसरी ओर साया की तरह निरंतर बैलगाड़ी से रेलगाड़ी तक तथा अछूतों-वंचितों के घर-आंगन से लेकर दिल्ली के संसद भवन तक साथ-साथ चलने वाले उनके प्रिय शिष्य समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी द्वारा इस लाॅकडाउन के चलते अपने ‘वृंदावन’ निवास पर ही अत्यंत विनीत भाव से पुष्पांजलि व श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

इस अवसर पर डाॅ.मधेपुरी ने यही कहा- “उस समाजवादी चिंतक तथा समाजवादियों के प्रेरणास्रोत बाबू भूपेन्द्र नारायण मंडल को मैंने एक खुली किताब की तरह जीवन जीते हुए देखा। उस किताब को पढ़ने से ऐसा ही लगा कि उनके व्यक्तित्व में सागर की गहराई और आकाश की ऊंचाई है। उन्हें बेकसों के संसार को सखा और सहयोगी बनकर सजाते हुए बहुत करीब से देखा मैंने। उनके अंदर मैंने बुद्ध, नानक और कबीर के व्यवहारों से लेकर मार्क्स, गांधी और सोशलिज्म के संस्कारों का सदा एहसास किया। उन्हें अपना सब कुछ गरीबों के बीच लुटाते हुए गरीबों का मसीहा बनते देखा मैंने। तभी तो उस मसीहा द्वारा अंतिम समय में गरीबों के लिए व्यक्त की गई इच्छा को पूरा करने में लगा हुआ हूँँ मैं और आगे भी लगा रहूंगा। यही उस महान आत्मा के लिए मेरी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”

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मधेपुरा जिला में कोरोना के नौ नये के साथ कुल 51 कोरोना पॉजिटिव

मधेपुरा जिले में कोरोना की स्थिति जानने से पूर्व देश व प्रदेश का अपडेट जानिए। अब देश में प्रतिदिन औसतन 6 हजार से अधिक कोरोना संक्रमितों के मामले सामने आ रहे हैं। गत 8 दिनों में 50 हजार नए मरीज कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। अब तक डेढ़ लाख से अधिक है भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या तथा 4000 से अधिक अपनी जान गंवा चुके हैं।

बता दें कि सूबे बिहार में अब हफ्ते में ही मरीज दो गुने होने लगे हैं। मई 19 को बिहार में संक्रमित की संख्या 1519 थी जो 7 दिन के बाद यानी 27 मई को 3000 पार कर गई। यह भी कि राज्य में सबसे ज्यादा यानी 231 संक्रमित मरीज मिले थे 26 मई को। अब तक बिहार में कोरोना से 15 लोगों की मौत हो चुकी है।

यह भी जानिए कि सूबे के स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार को पहले अपडेट में 38 संक्रमितों की पहचान की गई जिसमें मधेपुरा के 9, अररिया के 14, सारण व दरभंगा के 4-4, सहरसा के 3, बेगूसराय के 2 एवं वैशाली व किशनगंज के 1-1 कोरोना संक्रमित मरीज मिले ।

यह भी बता दें कि मधेपुरा में एक साथ 9 लोगों के कोरोना संक्रमित पाये जाने के बाद से आम लोगों में दहशत है। इससे पूर्व शनिवार को एक साथ सबसे अधिक यानी 19 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। आज तक जिले में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 51 पहुंच गई है। इसमें जिसका निगेटिव आता है उन्हें क्वारांटाइन सेंटर में भेज दिया जाता है।

चलते-चलते यह भी कि फिलहाल सरकार ने 31 मई तक लाॅकडाउन की घोषणा की है। इधर प्रतिदिन ट्रेन से प्रवासी मजदूर प्रत्येक जिले में आ रहे हैं। कुल पच्चीस लाख के लगभग मजदूरों को बाहर से आना है जिसमें अब तक मात्र 5 लाख से अधिक आए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सब के सहयोग से ही हम कोरोना से जीतेंगे। आप घर में रहें, सुरक्षित रहें… फिजिकल डिस्टेंस बना कर रहे हैं और निर्देशों का पालन करें।

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टिड्डियों के आतंक से भारत परेशान

भारत में टिड्डियों के आतंक का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। राजस्थानी टिड्डियों की टोली से परेशान हो रहा है भारत के बाकी राज्यों का किसान समुदाय। अब तो टिड्डियों की टीम का खतरा शहरों तक आ पहुंचा है। दिल्ली भी इस खतरे से जूझ रहा है। कई राज्यों ने तो टिड्डियों के दल से निपटने हेतु कमर कस ली है।

बता दें कि कोरोना काल के बीच में ही अचानक टिड्डियों की टोली नई मुसीबत बनकर भारतीय किसानों की नींद उड़ाने में लग गई है। भारत के कई राज्यों में लाखों-करोड़ों की तादाद में आए टिड्डियों ने किसानों की नाक में दम कर दिया है। अब तक टिड्डियों द्वारा देश में 10 करोड़ की फसल बर्बाद की जा चुकी है। लाखों किसान भूखमरी के कगार पर खड़े होकर परिवार के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा ड्रोन की सहायता से छिड़काव किया जा रहा है। कुछ मुख्यमंत्रियों द्वारा इमरजेंसी बैठकें बुलाई जा रही हैं।

चलते-चलते यह भी जानिए कि 27 वर्षों के बाद टिड्डियों का यह आतंक किसी भी रूप में कोरोना के कहर से कम नहीं है। 1 घंटे में टिड्डियों के दल ढाई हजार लोगों का भोजन चट कर जाता है। उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के 1 लाख 25 हज़ार एकड़ जमीन की फसल को बर्बाद कर दिया है। टिड्डियों ने राज्य सरकार के साथ-साथ भारत सरकार की भी नींद हराम कर दी है।

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बिहार की बेटी ज्योति ने राष्ट्रपति ट्रंप की बेटी इवांका को बनाया दीवाना

जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का…. तो फिर देखना फिजूल है बिहार की बेटियों के लिए कद आसमान का। कामयाबी का जुनून यदि अंदर विद्यमान हो तो बाहर मुश्किलों की क्या औकात रह जाती है बिहारी बेटियों के लिए। ऐसी ही बेटियों में एक 15 साल की बिहारी बेटी है ज्योति जिसने कोरोना लाॅक डाउन के दरमियान 7 दिनों में 1200 किलोमीटर का लंबा सफर (हरियाणा के गुरुग्राम से बिहार के सिरहुल्ली दरभंगा तक) अपने मजबूर पिता को साइकिल पर बिठाकर तय किया।

बता दें कि मजदूर पिता मोहन एवं माता फूलो की इस पुत्री ज्योति के ऐसे साहसिक कदम को देखते हुए भारतीय साइकिलिंग फेडरेशन ने ट्रायल के साथ-साथ सम्मानित करने के लिए भी उन्हें दिल्ली बुलाया है। ज्योति के इस साहसिक कदम के लिए नवभारत टाइम्स ने भी उनसे संपर्क किया है। अब तो ज्योति की मदद के लिए कई हाथ उठने लगे हैं।

यह भी जानिए कि विश्व के शक्तिशाली राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप ने बिहार की इस बेटी की जमकर सराहना की। जहां दरभंगा पहुंचने पर ज्योति को ₹20000 देकर पुरस्कृत करते हुए यह भी कहा गया कि उसकी पढ़ाई का खर्चा भी लोग उठाएंगे वहीं लगे हाथ दिल्ली से साइकिल पर रेस लगाने हेतु फोन आया और यह भी कहा गया ज्योति को दिल्ली में ही रखेंगे और वही पढ़ाएंगे लिखाएंगे।

चलते चलते यह भी कि ज्योति साइकिल पर रेस लगाना चाहती है… वह पढ़ना भी चाहती है और ऐसे साहसिक कदम उठाने के लिए चारों ओर लगातार हो रही तारीफ की जानकारी पाकर ज्योति बिहार की बेटियों से यही कहना चाहती है- मैंने सपने में भी कभी नहीं सोची थी कि ऐसा दिन आएगा।

ज्योति के ऐसे साहसिक कदम के बारे में जानकारी मिलते ही समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने यही कहा- ज्योति ने यह साबित कर दिखा दिया है कि कोई जगत-जननी नारी को कमजोर नहीं समझे। नारी तो उत्साह, चेतना और प्रेरणा का संगम है। ज्योति ने आधी आबादी को अच्छी तरह संस्कारित कर दिया है… झकझोर दिया है तथा ऊंची उड़ान के लिए हौसला बुलंद कर दिया है।

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UGC का बड़ा फैसला : एक साथ अब दो-दो डिग्रियां लेने की छूट

जब डब्ल्यूएचओ द्वारा घोषित कर दिया गया कि कोरोना वैश्विक महामारी है तब इस विकट काल में यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन) नई दिल्ली ने संपूर्ण भारत के छात्र-छात्राओं के हित में यह बड़ा फैसला लिया कि अब भारतीय छात्रों को भी एक साथ दो-दो डिग्रियां लेने की छूट दी जाती है।

बता दें कि छात्र चाहे तो एक ही संकाय या फिर अलग-अलग संकाय से एक ही समय दो डिग्रियां ले सकते हैं। यूजीसी द्वारा शर्त यही रखी गई है कि दो में से एक डिग्री रेगुलर मोड में ही लेनी होगी यानि एक विषय में छात्रों द्वारा अपने कक्षा में उपस्थिति की अनिवार्यता पूर्ववत रहेगी, वहीं दूसरे विषय की डिग्री दूरस्थ मोड से या फिर ऑनलाइन के जरिए भी ली जा सकती है।

जानिए कि यूजीसी के इस निर्णय से छात्रों को बहुत फायदा होगा। इस नई व्यवस्था में कम समय में ही जहां विद्यार्थियों को अपनी योग्यता विकसित करने का मौका मिलेगा वहीं उन्हें अपने करियर को संवारने में भी सहूलियत होगी। जानिए कि विदेशों में एक साथ दो-दो डिग्रियां लेने की व्यवस्था तो पहले से ही है, परंतु भारत में इस सुविधा के लिए अरसे से मांग उठ रही थी।

भारतीय छात्रों को यूजीसी द्वारा फायदे पहुंचाने वाले इस निर्णय को संदर्भित करते हुए बीएन मंडल विश्वविद्यालय के भौतिकी के प्रोफेसर व समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि देर से ही सही, परंतु यूजीसी के इस निर्णय का दूरगामी सकारात्मक प्रभाव देखने को अवश्य मिलेगा तथा शैक्षणिक गतिविधियां पहले से ज्यादा बढ़ेगी एवं छात्रों को सर्वाधिक लाभ भी मिलेगा… यूजीसी के इस निर्णय का चिंतनशील शिक्षाविदों द्वारा स्वागत अवश्य किया जाना चाहिए।

UGC

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आप सब लोग बिहार में ही रहिए…

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कल और आज 10-10 जिलों के 20-20 क्वारंटाइन केन्द्रों का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जायजा लिया और वहां रहे प्रवासियों से संवाद किया। इस दौरान उन्होंने सरकार का संकल्प दोहराया कि सभी को बिहार में ही रोजगार दिया जाएगा। सरकार इसके लिए पूरी व्यवस्था कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग बाहर जाकर कार्य कर रहे थे, उन्हें वहां कष्ट झेलना पड़ा। हमारी इच्छा है कि आप सब लोग बिहार में ही रहिए। आप सभी लोग बिहार के विकास में भागीदार बनें। किसी को कष्ट न हो, सभी की सुरक्षा हमारा दायित्व है। हम हमेशा आप की ही चिन्ता करते हैं।

बहरहाल, मुख्यमंत्री ने क्वारंटाइन केन्द्रों में शौचालय, पेयजल, रसोईघर, लोगों के रहने की व्यवस्था एवं केन्द्रों की साफ-सफाई का किया बारीकी से अवलोकन किया। प्रवासियों ने क्वारंटाइन केन्द्रों की व्यवस्था को सराहा और कहा कि अब वे बिहार में रहकर ही काम करना चाहते हैं। सबकी बातों को सुनने के क्रम में मुख्यमंत्री ने कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए, जो इस प्रकार हैं:

क्वारंटाइन केन्द्रों पर आवासित प्रवासियों का पूर्ण सर्वे कराएं। उनके पूर्व के रोजगार की जानकारी लें ताकि उन्हें यहां रोजगार देने में सुविधा हो।
हमारा दायित्व है कि सबको रोजगार मिले। अपना खुद का व्यवसाय करने वाले को सरकार हरसंभव मदद करेगी।
सूक्ष्म एवं लघु उद्योग को बढ़ावा दें। उदाहरण के तौर पर मुजफ्फरपुर क्षेत्र में चमड़ा, जूता उद्योग तथा कपड़ा उद्योग की अपार संभावानाएं हैं।
बाहर से आ रहे प्रवासी जो बिजली के कार्य में दक्ष हैं, उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में बिहार राज्य पावर होल्डिंग कम्पनी लिमिटेड कार्रवाई करे।
क्वारंटाइन केन्द्र में रह रहे जिन प्रवासियों का बिहार में नहीं हो खाता, उनका खाता खुलवाएं। आधार एवं राशन कार्ड नहीं बना हो, तो वो भी अविलंब बनवाएं।

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बिहार में अब 14 स्थानों पर होगी कोरोना की जांच

बिहार में कोरोना जांच का दायरा बढ़ गया है। अब तक सात स्थानों पर कोरोना की जांच की जा रही थी, अब सात नए स्थानों पर भी कोरोना की जांच शुरू कर दी गई है। इस प्रकार बिहार में 14 स्थानों पर जांच प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इससे कोरोना के संक्रमण की जांच में अपेक्षित तेजी आ सकेगी।
गौरतलब है कि बिहार में सात जिलों के स्वास्थ्य संस्थानों में कोरोना की जांच ट्रू नेट मशीन से शुरू की गई है। इनमें पावापुरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (नालंदा), कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल (मधेपुरा), गया मेडिकल कॉलेज अस्पताल (गया), सीवान मेडिकल कॉलेज अस्पताल (सीवान), सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (बेतिया), जिला अस्पताल (मुंगेर) और जिला अस्पताल (मोतिहारी) शामिल हैं। इसके पूर्व आरएमआरआई (पटना), पीएमसीएच (पटना), एम्स (पटना), एसकेएमसीएच (मुजफ्फरपुर), जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल (भागलपुर) और डीएमसीएच (दरभंगा) में कोरोना की जांच की जा रही थी।
बता दें कि पहले राज्य के सात स्वास्थ्य संस्थानों में औसतन 1050 सैम्पलों की जांच की जा रही थी, जबकि यह औसत बढ़कर अब दो हजार सैम्पल रोज हो गई है। ध्यातव्य है कि राज्य सरकार ने कोरोना जांच की क्षमता प्रतिदिन 10 हजार करने का निर्देश दिया है।

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