इस वर्ष बीपी मंडल राजकीय जयंती कोविड-19 के निर्देशों के तहत मनेगी

सामाजिक न्याय के पुरोधा, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं मंडल कमीशन के अध्यक्ष बीपी मंडल की 102वीं जन्म जयंती राजकीय समारोह के रूप में 25 अगस्त को मनाए जाने हेतु आज 19 अगस्त को झल्लू बाबू सभागार में  आयोजित बैठक की अध्यक्षता श्री उपेन्द्र कुमार, अपर समाहर्ता ने की। जिसमें शहर के गणमान्यों डॉ.अरुण कुमार मंडल, डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, मो.शौकत अली, डॉ.सुरेश कुमार भूषण, अरुण कुमार  (जिला सचिव कबड्डी), जयकृष्ण प्रसाद यादव (स्काउट एंड गाइड), प्रो.मनोज कुमार मंडल सहित नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी पवन कुमार एवं सभी विभागों के प्रतिनिधिगण व किशोर कुमार, शशी प्रभा आदि सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बैठक में मौजूद थे।

सर्वप्रथम अपर समाहर्ता श्री उपेन्द्र कुमार ने बैठक में उपस्थित पदाधिकारियों एवं गणमान्य सदस्यों का स्वागत किया और कहा कि इस बार के राजकीय समारोह को कोविड-19 के निर्देशों का पालन करते हुए मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पूर्व में आयोजित किए गए- मैराथन दौड़, प्रभात फेरी, बच्चों के बीच आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता व भाषण आदि जिसमें भीड़ लगने की संभावना हो उसको आयोजित नहीं किया जाएगा। एडीएम ने कहा कि मुरहो समाधि स्थल पर मंडल साहब के चित्र पर पुष्पांजलि और सर्व धर्म प्रार्थना होगी।

Samajsevi Dr.Bhupendra Madhepuri along with Dr.A.K.Mandal, Dr.Suresh Bhushan, Md.Shaukat Ali and Arun Kumar attending meeting at Jhallu Babu Sabhagar, Madhepura.
Samajsevi Dr.Bhupendra Madhepuri along with Dr.A.K.Mandal, Dr.Suresh Bhushan, Md.Shaukat Ali and Arun Kumar attending meeting at Jhallu Babu Sabhagar, Madhepura.

समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा कि कोरोना ने संसार के सामने संकट खड़ा कर दिया है। इस संकट की घड़ी में मात्र दो पंक्तियां उन्होंने कही-

कहते हैं सब शास्त्र कमाओ रोटी जान बचाकर।

पर संकट में प्राण बचाओ सारी शक्ति लगाकर।।

यह भी बता दें कि डॉ.मधेपुरी  को बीपी मंडल की एक पृष्ठ वाली जीवनी तैयार करने हेतु प्राधिकृत किया गया जिसकी 2000 प्रतियां नजारत द्वारा छपाई कर वितरित की जायेगी। साफ-सफाई, बिजली, चापाकल एवं सड़क मरम्मत का कार्य संबंधित विभागों को  सौंपा गया।

सम्बंधित खबरें


90 वर्षीय मशहूर शास्त्रीय गायक पंडित जसराज ने अमेरिका में ली अंतिम साँस

भारतीय शास्त्रीय संगीत के सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पद्म विभूषण पंडित जसराज का अमेरिका के न्यू जर्सी वाले निजी आवास पर सोमवार (17 अगस्त) को प्रातः 5:15 पर दिल का दौरा पड़ने के कारण निधन हो गया। यह जानकारी उनकी सुपुत्री दुर्गा जसराज ने सर्वप्रथम दुनिया को यही कहते हुए दी-

हम सपरिवार प्रार्थना करते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण स्वर्ग के द्वार पर पिताश्री का स्वागत करें जहां वे अपना पसंदीदा भजन ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ उन्हें समर्पित करें।

बता दें कि 28 जनवरी 1930 को हरियाणा (हिसार) में जन्मे तथा 2020 के 28 जनवरी को अपना 90वां जन्मदिन मनाने वाले पंडित जसराज ने अपनी आखिरी प्रस्तुति 9 अप्रैल को हनुमान जयंती के अवसर पर फेसबुक लाइव के जरिए वाराणसी के संकट मोचन हनुमान मंदिर के लिए दी थी। उन्होंने न केवल भारत में बल्कि कनाडा और अमेरिका में भी शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ अर्ध-शास्त्रीय स्वरों के माध्यम से कुछ नामी शिष्यों को भी तैयार किया। कोरोना लॉकडाउन के चलते वे फिलहाल अमेरिका में ही अपनी पुत्री दुर्गा जसराज के पास रह रहे थे।

यह भी जानिए कि उनके समस्त प्रदर्शनों को एल्बम और फिल्म साउंडट्रैक के रूप में उनके शिष्यों ने तैयार किया है, साथ ही अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ ने तो विश्व प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकार पंडित जसराज के सम्मान में खोजे गए एक नए ग्रह का नाम ही “पंडित जसराज” नाम दे डाला है।

ऐसे विश्व विख्यात भारतीय संगीतकार के निधन का समाचार सुनते ही मधेपुरा जिले के संगीत गुरुओं एवं उनके शिष्यों के बीच शोक की लहर दौड़ गई। जिले के संगीत व कला प्रेमियों के लिए विभिन्न राजकीय आयोजनों को सफलतापूर्वक संपन्न कराने हेतु जिला प्रशासन द्वारा लगातार संयोजक/अध्यक्ष चयनित किए जाने वाले समाजसेवी-साहित्यकार व संगीत्यानुरागी डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी  द्वारा इस कोरोना काल में वैसे विश्वविख्यात पंडित जसराज को श्रद्धांजलि देने हेतु शोक सभा आयोजित करने के एवज में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत तबला वादक प्रो.योगेंद्र नारायण यादव, प्रो.रीता कुमारी, प्रो.अरुण कुमार बच्चन, प्रो.संजय परमार, शशि प्रभा, रेखा यादव, पुष्पलता, सुनीत साना, चिरामणी यादव, लाला भूपेन्द्र, डॉ.रवि रंजन सहित शिवाली सरीखे नन्हे-मुन्ने कलाकारों को भी शोकोदगार व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया गया।

सम्बंधित खबरें


कोरोना से हुई मौतें 51 हजार के पार, लोकसभा-राज्यसभा एक साथ पहली बार

भारत में अब तक कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 26 लाख से ज्यादा हो चुकी है। फिलहाल कोरोना से हुई मौतें 51 हजार पार कर चुकी है। भारत में कोविड-19 का कहर बढ़ता ही चला जा रहा है। जबकि सारा संसार इसके उपचार हेतु वैक्सीन बनाने में लगा हुआ है। बता दें कि कोरोना वायरस के वैश्विक आंकड़ों पर काम करने वाले वेबसाइट वर्ल्डोमीटर्स के अनुसार अब तक भारत में कुल 19 लाख से ज्यादे लोग स्वस्थ हो चुके हैं।

यह भी जानिए कि कोरोना को लेकर भारतीय संसद के मानसून सत्र के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के तहत एक अनोखी व्यवस्था की जा रही है। ऐसा है कि लोकसभा प्रातः 10:00 से 2:00 बजे दिन तक चलेगा तथा राज्यसभा की कार्यवाही 4:00 बजे संध्या से 8:00 बजे रात्रि तक चलेगी। इन दोनों सदनों के मॉनसून सत्र की कार्यवाही के लिए अपने-अपने कार्यकाल में एक-दूसरे के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। भारतीय संसद के इतिहास में 1952 के बाद कोरोना के कारण पहली बार ऐसा होगा कि कार्यवाही के दौरान लोकसभा और राज्यसभा का हाॅल एक साथ जुड़ जाएंगी। दो गज की दूरी पर बैठने के कारण दोनों को जोड़कर जगह बढ़ाई गई है। इस दौरान कई अलग-अलग जगहों पर बैठे मंत्री व सांसद बड़े-बड़े टीवी स्क्रीन एवं वीडियो कांफ्रेंसिंग से एक-दूसरे से जुड़े रहेंगे। प्रथम 4 घंटे (10:00 बजे से 2:00 बजे दिन) लोकसभा फिर 2 घंटे ब्रेक के बाद राज्यसभा की 4 घंटे ( 4:00 बजे से 8:00 बजे रात तक) की कार्यवाही शुरू होगी।

 

सम्बंधित खबरें


कोरोना के चलते 74वाँ स्वतंत्रता दिवस फीका रहा- बच्चे बिन सड़कें सूनी-सूनी और वातावरण भी उदास रहा

वैश्विक महामारी कोरोना के चलते 74वाँ स्वतंत्रता दिवस सुबह से शाम तक फीका रहा। सड़कों पर तिरंगे परिधानों में ना तो बच्चे-बच्चियां कहीं दिखीं और ना ही विगत वर्षो की भांति देशभक्ति वाले गीतों की गूंज ही सुनाई दी। बच्चों के बिना सड़कें सूनी और वातावरण दिन भर उदास रहा।

गांधी मैदान में जहां 74वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में राष्ट्रीय ध्वजारोहण के बाद सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सेवा हमारा धर्म है और हमारा संकल्प है- बिहार को राष्ट्रीय मानचित्र पर एक खुशहाल राज्य का स्थान दिलाने का…. वहीं मधेपुरा जिले के प्रमुख जिलाधिकारी नवदीप शुक्ला ने बी एन मंडल स्टेडियम में तिरंगा फहराने के बाद जल-जीवन-हरियाली से लेकर गली-नाली योजना तक एवं जन नायक कर्पूरी मेडिकल से लेकर बीपी मंडल इंजीनियरिंग  कॉलेज तक की विस्तृत चर्चाएं की और  यह भी कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को यह ख्याल रखना जरूरी है कि उनकी स्वतंत्रता से दूसरों को तकलीफ नहीं पहुंचे।

जहां एक ओर भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति प्रो.(डॉ.)ज्ञानांजय द्विवेदी ने ध्वजारोहण के बाद अपने विस्तृत संबोधन में आजादी को ‘स्वराज’ कहा जो प्रत्येक सचेतन भारतीय को जिम्मेदारियों का अहसास कराता है वहीं समाजवादी चिंतक भूपेन्द्र नारायण मंडल के नाम भूपेन्द्र चौक पर समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने राष्ट्रीय ध्वजारोहण के पश्चात सेनानियों का स्मरण करते हुए अपनी ‘आजादी’ कविता के अंश प्रस्तुत करने से पूर्व स्वतंत्रता सेनानियों के साथ-साथ शहीद चुल्हाय एवं शहीद बाजा साह सरीखे देश की आजादी के लिए प्राण न्योछावर करने वालों को भी याद किया और यही सुनाया-

अपने मजहब भूल गए सब

तब मजहब था रे आजादी

मृत्यु वरण करने तक सारे

संकल्पित थे वे फौलादी

चलते-चलते यह भी बता दें कि प्रखंड से लेकर जिले तक के सभी विद्यालयों-महाविद्यालयों में बिना बच्चे-बच्चियों के झंडोत्तोलन हुआ। कोरोना के चलते बाजार में खरीद-बिक्री भी इस बार बहुत फीकी रही।

सम्बंधित खबरें


भारत के भविष्य (बच्चे) के बिना 74वाँ स्वतंत्रता दिवस जैसी सादगी पहली बार देखने को मिली- डॉ.मधेपुरी

वैश्विक महामारी कोरोना ने भारतीय स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय उत्सव को भी फीका कर दिया। पहली बार ऐसा दिन देखने को मिला जब भिन्न-भिन्न मनमोहक तिरंगे परिधानों में सज-धज कर विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों के बच्चे-बच्चियों द्वारा “पूज्य बापू अमर रहे” के साथ-साथ अन्य सेनानियों व शहीदों के जयकारे सुनने के लिए कान तरसते रह गए। बच्चों के बिना सड़क सुनी और वातावरण उदास रहा।

ये बातें राष्ट्रीय तिरंगे के ध्वजारोहण करने के बाद समाजवादी चिंतक भूपेन्द्र नारायण मंडल के नाम वाले भूपेन्द्र चौक पर उनके परम शिष्य प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कही। डॉ.मधेपुरी ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण संवेदनशील जिलाधिकारी नवदीप शुक्ला द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार सभी संस्थानों में राष्ट्रीय ध्वजारोहण को सादे समारोह के रूप में मनाए जाने का निर्देश दिया गया है। बच्चों की भागीदारी पर तो रोक लगा ही दी गई, विभिन्न स्थलों पर बुजुर्ग व विशिष्ठ लोगों को भी नहीं बुलाया जा रहा है।

Samajsevi-Sahityakar Dr.Bhupendra Narayan Yadav Madhepuri hoisted national flag Tiranga at Bhupendra Chowk, Madhepura.
Samajsevi-Sahityakar Dr.Bhupendra Narayan Yadav Madhepuri hoisted national flag at Bhupendra Chowk, Madhepura.

यह भी जानिए कि भूपेन्द्र चौक पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए डॉ.आलोक कुमार, डॉ.विनय कुमार चौधरी, सतीश चंद्रा, आनंद कुमार, मनोज कुमार, ललन कुमार, संजय मुखिया, महेंद्र साह ने ही बच्चों के एवज में “जन गण मन…..” गया तथा सेनानियों व शहीदों के साथ-साथ भूपेन्द्र नारायण मंडल के भी जयकारे लगाए। डाॅ.मधेपुरी ने अपनी “आजादी” शीर्षक कविता की चंद पंक्तियां सुनाते हुए अंत में यही कही-

आओ सब मिलकर बंधु करें, आजादी का शत् अभिनंदन।

इसके ललाट पर करें नित्य, अपने अनंत श्रम का चंदन ।।

सम्बंधित खबरें


अब सभी शिक्षक होंगे एक समान, ‘नियोजित’ शब्द हटायेगी नीतीश सरकार

सूबे  बिहार की नीतीश सरकार आगामी 5 सितंबर (शिक्षक दिवस) तक राज्य के लगभग 4 लाख प्रारंभिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्कूल के शिक्षकों को सेवा शर्त का तोहफा देने जा रही है जिससे वे शिक्षकगण राज्य भर में कहीं भी ऐच्छिक स्थानांतरण करवा सकेंगे। इसके अतिरिक्त इन शिक्षकों को ईपीएफ के साथ-साथ प्रोन्नति का भी लाभ पहली बार देने जा रही है।

बता दें कि शिक्षा विभाग इन शिक्षकों के लिए लगभग सारी तैयारी पूरी कर ली है। ऐसा माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 74वां स्वतंत्रता दिवस यानि कल 15 अगस्त को ‘नियोजित शिक्षक’ में से ‘नियोजित’ शब्द हटाने का एलान भी कर सकते हैं। इसके साथ ही संविदा शिक्षकों की कई लंबित मांगें भी पूरी होने वाली है।

चलते-चलते यह भी बता दें कि इन नियोजित एवं नियमित शिक्षकों को समान काम, समान वेतन एवं समान सुविधाएं देने के लिए समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी हमेशा आवाज उठाते रहे हैं। संभव है कि चंद घंटों के इंतजार के बाद ही सीएम नीतीश कुमार कुछ बड़ी घोषणाएं नियोजित शिक्षकों के लिए करे ! साथ ही अनुकंपा के इंतजार में बैठे आश्रितों को डिग्री के आधार पर योग्यता अनुरूप शिक्षक, क्लर्क अथवा चतुर्थवर्गीय कर्मचारी में बहाली की सहमति व स्वीकृति घोषित करे !!

 

सम्बंधित खबरें


डॉ.महावीर की 24वीं पुण्य तिथि पर सर्वप्रथम माल्यार्पण व पुष्पांजलि किया उद्घाटनकर्ता कुलपति डॉ.द्विवेदी व मुख्य अतिथि डॉ.मधेपुरी ने

भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति के पद पर पदासीन रहते हुए डॉ.महावीर प्रसाद यादव ने 13 अगस्त 1997 के दिन दुनिया को अलविदा कहा था। उनकी प्रतिमा पर सर्वप्रथम माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कुलपति प्रो.(डॉ.)ज्ञानांजय द्विवेदी एवं मुख्य अतिथि प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी सहित बीएन मुस्टा के महासचिव व सीनेेेटर प्रो.(डॉ.)नरेश कुमार, FA एससी दास, स्नातकोत्तर जंतु विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.)अरुण कुमार, कुलसचिव डॉ.कपिलदेव प्रसाद, विकास पदाधिकारी डाॅ.ललन अद्री, नवीन कुमार, पीआरओ सुधांशु शेखर, एनएसएस पदाधिकारी डॉ.अभय कुमार, डीन आरकेपी रमण, डॉ.शंकर कुमार मिश्रा आदि अन्य विश्वविद्यालय कर्मियों ने।

फिलहाल कोरोना के कहर के कारण सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करते हुए कम से कम समय में विश्वविद्यालय के एक शैक्षिक हाल में अतिथियों का स्वागत किया गया। डाॅ.महावीर बाबू के प्रति सबों ने दो-दो मिनट में अपने उद्गार व्यक्त किए। वित्त परामर्शी एससी दास, डीन आरके रमण एवं  कुलसचिव डॉ.कपिलदेव प्रसाद ने अपने संस्मरण सुनाए।

From LtoR VC Dr.Gyananjay Dwivedi, Samajsevi Dr.Bhupendra Madhepuri & Registrar Dr.Kapildev Prasad at BNMU.
(From L to R) VC Dr.Gyananjay Dwivedi, Samajsevi Dr.Bhupendra Madhepuri & Registrar Dr.Kapildev Prasad at BNMU.

इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने डॉ.महावीर बाबू के साथ बिताए 25 वर्षों को समेटते हुए बस यही कहा-

अच्छी पुस्तकें गुरुओं के गुरु हुआ करती हैं। गुरु के दर्शन से भाव बदल जाते हैं, स्वभाव बदल जाते हैं और खुद के अंदर खुदा के दर्शन होने लगते हैं तथा हर किसी के अंतर्मन में प्रकाश का प्रादुर्भाव होने लगता है।

इसके अलावा डॉ.मधेपुरी ने वर्षवार महावीर बाबू के विधायक, शिक्षा मंत्री, प्रति कुलपति, सांसद और अंतिम बीएनएमयू के कुलपति बनने सहित शेक्सपियर, डेल कार्नेगी, टालस्टाय आदि को कोट करते हुए उन्हें टीपी कॉलेज का विश्वकर्मा कहकर  श्रोताओं की तालियां भी बटोरी।

संक्षिप्त उद्घाटन भाषण के क्रम में कुलपति प्रो.(डॉ.)ज्ञानांजय द्विवेदी ने दिवंगत कुलपति डॉ.महावीर प्रसाद यादव को निष्काम कर्मयोगी बताते हुए उपस्थित विश्वविद्यालय के शिक्षकों व कर्मचारियों से यही कहा कि उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम सब अपने-अपने हिस्से का आवंटित काम तो मनोयोग से पूरा करते रहें। डॉ.द्विवेदी ने मंच संचालक प्रो.(डॉ.)नरेश कुमार से कहा कि तीन व्यक्तियों की एक कमिटी बना लें जो विश्वविद्यालय से जुड़े महापुरुषों के बाबत ऐसी दुर्लभ जानकारियां प्राप्त करने हेतु डॉ.मधेपुरी जैसे विद्वान को आमंत्रित कर विभिन्न अवसरों पर कार्यक्रम आयोजित करती रहे।

अंत में विश्वविद्यालय की गतिविधियों में सर्वाधिक समय देने वाले प्रो.(डॉ.)नरेश कुमार ने डॉ.ललन सहनी सहित कुछ अन्य कर्मियों से उद्गार व्यक्त करने हेतु समय नहीं दे पाने के लिए क्षमा मांगते हुए सबों को धन्यवाद ज्ञापित किया और कार्यक्रम समापन की घोषणा भी की।

सम्बंधित खबरें


सुपुर्द-ए-खाक हुए मशहूर शायर राहत इंदौरी

रविवार 9 अगस्त की रात में राहत इंदौरी को खांसी, बुखार और घबराहट होने पर उन्हें कोविड हॉस्पिटल अरविंदो में भर्ती किया गया, जहां देर रात कोरोना की पुष्टि हुई और यह भी कि शुगर बढ़ी हुई थी। मंगलवार सुबह तक सेहत में सुधार होने लगा, परंतु अचानक उन्हें दोपहर में हार्ट अटैक आया। सीपीआर देने के बावजूद भी 2 घंटे बाद उन्हें दूसरा अटैक आया और राहत इंदौरी को बचाया नहीं जा सका। 70 साल की उम्र में मंगलवार 11 अगस्त की शाम लगभग 5:00 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। लगे हाथ उन्हें 10:30 बजे रात को इंदौर में ही सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया।

बता दें कि साइन बोर्ड पेंटर से करियर की शुरुआत करने वाले राहत इंदौरी उर्दू के प्रोफेसर भी रहे। उनकी शायरी के बढ़ते प्रभाव ने उन्हें बॉलीवुड तक खींच लाया। उन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्मी गाने लिखे। फिल्म इश्क, तमन्ना, जुर्म, मुन्ना भाई एमबीबीएस, खुद्दार जैसी फिल्मों के लिए अनेक सुपरहिट गाने लिखे जिन्हें लोग हमेशा गुनगुनाते चलते हैं। उन्हें उनकी ये पंक्तियां हमेशा जिंदा रखेंगी-

मैं जब मर जाऊं, मेरी अलग पहचान लिख देना

लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना

चलते-चलते यह भी बता दें कि ऐसे मशहूर शायर राहत इंदौरी के अचानक दुनिया को अलविदा कहने के बाद कवि, साहित्यकार व शायरों का शोकाकुल होना स्वाभाविक है। कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ ने इस भयावह कोरोना काल में अपने सचिव डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी से अनुरोध किया कि अपने स्तर से ऐसे मशहूर शायर को श्रद्धांजलि दी जाए। सम्मेलन के सचिव डॉ.मधेपुरी ने अपनी चंद पंक्तियां श्रद्धांजलि स्वरूप ऐसे मशहूर शायर राहत इंदौरी को समर्पित की-

कहाँ जन्मे सुनो हम नहीं जानते,

कब मरेंगे कहाँ हम नहीं जानते

काम करना है रुकना नहीं है यहाँ,

कब छुटेगा जहाँ हम नहीं जानते

 

सम्बंधित खबरें


सीएम नीतीश ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की, पीएम को बाढ़ प्रबंधन की जानकारियां दी

प्रधानमंत्री मोदी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सीएम नीतीश ने बाढ़ समीक्षा बैठक में भाग लिया। जिसमें 6 राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा बाढ़ की स्थिति से पीएम को अवगत कराया गया। बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा प्रधानमंत्री से कांफ्रेंसिंग के जरिए पूर्व से लेकर अद्यतन बाढ़ की स्थिति की विस्तृत चर्चा की गई। सीएम ने कहा कि उत्तर बिहार बाढ़ से पूरी तरह प्रभावित है और सितंबर तक बाढ़ के उतार-चढ़ाव की आशंका बनी रहती है।

बकौल मुख्यमंत्री राज्य के 16 जिलों के 125 प्रखंडों के 2232 पंचायतों के 74 लाख 20 हजार से ज्यादा लोग बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। उनकी सहायता और बचाव के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। बाढ़ क्षेत्र में एनडीआरएफ की 23 एसडीआरएफ की 17 टीमें  अहर्निश काम पर लगी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने स्वयं राहत शिविरों की व्यवस्था का जायजा लिया है। वहां लोगों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और मास्क, सेनीटाइजर के साथ-साथ  कोरोना संक्रमण की जांच भी कराई जा रही है। कुल 1267 सामुदायिक रसोई केंद्रों पर प्रतिदिन लगभग 10 लाख बाढ़ प्रभावित लोग भोजन करते हैं। सीएम ने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का एरियल सर्वे उन्होंने स्वयं किया है तथा आलाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए हैं। सभी संबंधित विभाग पूरी तरह से अलर्ट है क्योंकि भविष्य में भी बाढ़ की आशंका बनी हुई है। अब देखना यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के बाढ़ पीड़ितों को क्या-क्या तथा किस रूप में सहायता-सहयोग मुहैया कराते हैं।

 

सम्बंधित खबरें


वृक्षारोपण ही पृथ्वी को अब हर विनाश से बचाएगा- डॉ.मधेपुरी

कोरोना लॉकडाउन के बावजूद सभी संस्थानों एवं जिले के कोने -कोने में ‘पृथ्वी दिवस’ पर पौधरोपण का आयोजन किया जा रहा है। लोग पौधरोपण में सवेरे से इस कदर व्यस्त हैं कि कोरोना को भी भूल गए हैं। जल-जीवन-हरियाली की महत्ता को जानने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा को अमलीजामा पहनाने हेतु एक करोड़ वृक्षारोपण करने की ओर युवाओं ने कदम बढ़ा दिया है। क्योंकि युवाओं को पता है कि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से धरती पर बारिश का अभाव, गर्मी का बढ़ता प्रभाव तथा औषधीय वनस्पतियों का मिलना दुर्लभ हो गया है। इसके अलावे निराश्रित वन प्राणी जैसे अजगर, चीते, हिरन आदि के गांव में घुसने की घटनाएं आम हो गई है।

बकौल समाजसेवी- साहित्यकार प्रो.(डॉ.) भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी….  वृक्ष हमारे शिक्षक हैं, सहयोगी हैं और हमारे सच्चे साथी भी हैं। वृक्ष हमेशा पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाता है तथा जल-प्रदूषण को भी नियंत्रित करता है। यूएसए के स्कूलों में वृक्षों की संख्या कम रहने के कारण वहां के बच्चों को स्किन-कैंसर अधिक होने लगा है।

Samajsevi-Sahityakar Dr.Bhupendra Madhepuri watering sapling on the occasion of World Earth Day at his residence Vrindavan, Madhepura.

डॉ. भूपेन्द्र मधेपुरी ने यह भी कहा कि ये पेड़-पौधे ही हैं जो हमें जीवनदायी ऑक्सीजन सदा प्रदान करते हैं और धरती को भी जीने योग्य बनाते हैं। गांधीयन मिसाइल मैन भारतरत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम उड़ीसा के जंगल में रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन हेतु जमीन सर्च करने के दौरान एक पेड़ को बचाने के लिए अपने जूनियर वैज्ञानिकों के साथ बिल्कुल खाली जगह खोजने में घंटों पसीने बहाते रहे थे। डॉ.कलाम जानते थे कि ये पेड़-पौधे हमें जीवनदायी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं तथा पशु-पक्षी को आवासीय सुविधाएं भी देते हैं और साथ-साथ सभी प्रकार के हानिकारक गैसों यथा अमोनिया, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि को अपने  पत्तों द्वारा अवशोषित भी करते हैं।

बता दें कि डॉ.मधेपुरी ने यह भी कहा कि वायु-प्रदूषण एवं जल-प्रदूषण मानव जीवन को विनाश की ओर ले जाता है। इस विनाश से मानव को बचाने का एक ही उपाय है ‘वृक्षारोपण’।  एक स्वस्थ वृक्ष अपनी पूरी जिंदगी में 17 लाख रुपए कीमत का ऑक्सीजन हमें देता है। नीम, पीपल और तुलसी सर्वाधिक आक्सीजन हमें देता ही है फिर भी फलदार वृक्ष लगाना भी हर दृष्टिकोण से लाभदायक ही है।

ये सारी बातें डॉ.मधेपुरी ने अपने वृंदावन में आज “पृथ्वी-दिवस” को सेलिब्रेट करते हुए कही तथा एक ‘आम्रपाली’ का पौधारोपण भी परिजनों की उपस्थिति में किया। उन्होंने अंत में यह भी कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए चारों ओर पौधरोपण, संकल्प तथा जागरूकता फैलाने वाली विचार गोष्ठियों का सप्ताहिक आयोजन सभी संस्थानों द्वारा निरंतर चलाते रहना चाहिए।

सम्बंधित खबरें