15 अक्टूबर 2016 को महान वैज्ञानिक भारतरत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 86वीं जयंती समारोह बिल्कुल सादगी के साथ डॉ. भूपेन्द्र मधेपुरी के निवास ‘वृंदावन’ में स्थानीय तुलसी पब्लिक स्कूल के छात्रों, शिक्षकों एवं स्कूल के निदेशक श्यामल कुमार सुमित्र व प्राचार्य डॉ. हरिनंदन प्रसाद यादव एवं रंगकर्मी विकास-वरुण-विभीषण आदि की उपस्थिति में मनाई गई तथा बच्चे-बच्चियों, शिक्षकों एवं अखबारनवीसों के बीच मिठाईयां बांटी गईं। इस समारोह में रेणु-रोजी-शिवानी, प्रियंका-मनीषा-गजाला सहित अपर्णा-निगम-संध्या, स्वर्णा-कल्पना-अदिति परमार की उपस्थिति अंत तक बनी रही।
इस अवसर पर सभी गणमान्यों द्वारा डॉ. कलाम को श्रद्धांजलि दी गई तथा पुष्पांजलि अर्पित की गई। डॉ. मधेपुरी ने अवरुद्ध कंठ से उन शब्दों को रखा जो अविस्मरणीय मुलाकात के क्षणों में महामहिम राष्ट्रपति के रूप में डॉ. कलाम ने अपने सहयोगी-शिष्य डॉ. अरुण कुमार तिवारी की उपस्थिति में कहा था – “ये आँखें दुनिया को दुबारा नहीं देख पाएंगीं, अस्तु तुम्हारे अंदर जो बेहतरीन है वह दुनिया को देकर जाना, बच्चों को देकर जाना..!”
हाल ही में शिष्य अरुण कुमार तिवारी द्वारा लिखी गई जीवनी ‘डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम – एक जीवन’ की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए उपस्थित छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों से डॉ. मधेपुरी ने कहा – “डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आज भी जीवित हैं और आगे भी बच्चों की कल्पनाओं में, युवाओं एवं वयस्कों के विचारों में, वैज्ञानिकों के आविष्कारों में… महान राष्ट्र-निर्माण के सपनों में सदैव जीवित रहेंगे।”
अंत में डॉ. मधेपुरी ने कहा – “विश्व की प्रगति, समृद्धि और शान्ति का सपना देखने वाला विश्वगुरु डॉ. कलाम कभी भी विश्व-क्षितिज से विलीन नहीं होगा और आने वाली कई पीढ़ियों के लिए एक शाश्वत उपहार बना रहेगा।”
उन्मादी भीड़ न तो किसी की बात सुनती है और न ही किसी की बात मानने को तैयार होती है- चाहे वो मंत्री, सांसद, विधायक, कमिश्नर, कलक्टर, डी.आई.जी., एस.पी., एस.डी.एम., डी.एस.पी., दरोगा और कोई भी क्यों ना हो !
यह भी बता दें कि बिहारीगंज में हालात भले ही बिगड़ गये हों, लेकिन प्रशासन और पुलिस यदि संयम नहीं बरती होती तो वहां की स्थिति और भी बदतर हो गयी होती | मंगलवार और बुधवार को स्वयं डी.एम. मो.सोहैल अकेले मोर्चा संभालते नजर आये | जब दूसरे पक्ष के उन्मादी लोग उग्र होकर ललकारते हुए चले आ रहे थे तो डी.एम. के समझाने के बावजूद भी भीड़ नहीं रुकी और न मानी तो डीएम अचानक बीच सड़क पर ही लेट गये और जोर-जोर से कहने लगे कि अगर हंगामा ही करना है तो मेरी लाश पर से पहले गुजरना होगा |
फिर तो बिहारीगंज की स्थिति को संभालने तथा शांति बहाली की अपील करने निकल पड़े- आपदा प्रबंधन मंत्री प्रो.चंन्द्रशेखर, सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, विधायक निरंजन मेहता, पूर्व मंत्री सह विधायक नरेंद्र नारायण यादव, किशोर कुमार मुन्ना आदि पर ही उपद्रवियों की उन्मादी भीड़ ने पथराव कर दिया | कुछ को चोटें भी लगीं | इस बीच एसपी विकास कुमार ने बिहारीगंज के थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया | भीड़ को तितर-बितर करने के लिए कई राउंड अश्रु-गैस के गोले दागे गये और लाठियां भी भांजी गईं | स्थिति तनावपूर्ण देखते हुए डीएम मो.सोहैल और एस.पी. विकास कुमार ने खुद मोर्चा संभाला | लगभग 40 उपद्रवियों को हिरासत में लिया गया | मंगलवार से ही डीएम और एसपी बिहारीगंज में दोनों पक्षों के उपद्रवियों से जूझ रहे हैं | ना रात में उन्हें नीन्द आती है और ना ही दिन में चैन से कभी बैठ पाते हैं | दोनों वहीं कैंप कर रहे हैं |
उपद्रवियों को फिर भी नजर नहीं आती कि बगल के चौसा में एक ही मैदान में दुर्गा माता की प्रतिमा और मुहर्रम का ताजिया शांति-सद्भाव और भाईचारे का नमूना पेश कर रहा है तो कटिहार के डहेरिया में दोनों पक्षों की एकजुटता का उदाहरण पेश करते लोग थकते नहीं | बगल के समस्तीपुर जिले में खुदनेश्वर शिव मंदिर में शिवलिंग के बगल में मुस्लिम महिला खुदनी के मजार पर साथ-साथ लोग पुष्पांजलि करते हैं, पूजा करते हैं | और तो और दुनिया की सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में “नोट” पर भगवान शिव के पुत्र गणेशजी की तस्वीर छपी होती है और वहां के लोग ‘राम-कथा’ का मंचन-प्रदर्शन संसार भर में भाईचारे को जिन्दा रखने के लिए करते हैं |
काश ! दोनों पक्ष के उपद्रवियों द्वारा अपने अन्दर के उन्मादी रावण को जलाया जाता और मुहर्रम में सच के लिए दी गई कुर्वानियों को याद किया जाता तो जनता के विकास के कार्यों को बाधित कर डी.एम. मो.सोहैल, एसपी विकास कुमार एवं जन प्रतिनिधियों को इस कदर मुख्यालय छोड़कर बिहारीगंज में धरना नहीं देना पड़ता |
जहां एक ओर इंडिया में बापू की तस्वीर नोटों पर छपती रही है और उनका भजन ‘ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम…… यानी गंगा-जमुनी संस्कृति सदा से चलती रही है, वहीं दूसरी ओर दुनिया की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में धर्म इस्लाम का और संस्कृति रामायण की भली-भांति फलती-फूलती रही है तथा वहां के सभी लोग रामायण के दीवाने दिखते रहे हैं |
तभी तो इंडोनेशिया के ‘नोट’ के एक तरफ (रामायण के राम ने जिस देवाधिदेव महादेव की पूजा-अर्चना बारंबार की है, उन्हीं के पुत्र) ‘गणेश जी’ की तस्वीर छपती है तो दूसरे हिस्से पर वहां के बच्चों से भरी कक्षा की तस्वीर-इसीलिए छपी होती है कि इंडोनेशिया की बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा भगवान गणेश को कला, शास्त्र एवं बुद्धिजीवी का भगवान माना जाता है | और तो और, इंडोनेशिया की आजादी के जश्न के दिन प्रत्येक साल बड़ी तादाद में राजधानी जकार्ता की सड़कों पर हनुमान जी का वेश धारण कर वहां के युवावर्ग सरकारी परेड में शामिल होते रहे हैं |
यहाँ यह भी जान लें कि इंडोनेशिया को रामायण के मंचन के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर की ख्याति प्राप्त है | काश ! धरती पर बढ़ रही धार्मिक असहिष्णुता के इस दौर में यदि इंडोनेशिया अपनी सांस्कृतिक विरासत “रामकथा” का मंचन-प्रदर्शन दुनिया के अन्य देशों में भी कर देता और भाईचारे का पाठ पढ़ा देता तो दुनिया अमन-शांति के लिए कभी नहीं तरसती और ना कभी दुर्गापूजा-मुहर्रम आदि के अवसर पर प्रत्येक थाने में शांतिदूतों व गण्यमान्यों की मीटिंग ही बुलानी पड़ती और ना ही कभी किसी सन्मार्गी कवि को यह लिखना पड़ता –
होली ईद मनाओ मिलकर, कभी रंग को भंग करो मत |
भारत की सुंदरतम छवि को, मधेपुरी बदरंग करो मत ||
यह भी जानिये कि जहां मुहर्रम इस्लाम धर्म में विश्वास करनेवाले लोगों का एक प्रमुख त्योहार है- जो सच के लिए जान देने की जिंदा मिसाल है- वहीं दुर्गापूजा न्याय पाने के लिए बुराइयों पर अच्छाइयों की जीत का प्रतीक पर्व माना जाता है | सत्य, न्याय, राष्ट्रीय एकता एवं भाईचारे के निमित्त ही सभी त्यौहार मनाये जाते हैं- जैसा कि कटिहार जिले के ‘डहेरिया’’ में मुस्लिम समुदाय के लोग दुर्गा माता के दरबार को सजाते हैं, पूजा-प्रबंधन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं | हिन्दू-मुस्लिम दोनों समुदाय अपनी अटूट एकता के लिए मिलकर सौहार्द के गीत गाते हैं | तभी तो मुस्लिम समुदाय से दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष बनाये जाते हैं कटिहार नगर निगम के उपमहापौर मो.मंजूर खां, तो सबकी पसंद से महासचिव बनते हैं- संजय महतो | दोनों मिलकर ईश्वर-अल्लाह एक है, सबका मालिक एक है- इस मंत्र को जन-जन तक पहुंचाने में लीन रहते हैं, तल्लीन रहते हैं |
यह भी बता दे कि समस्तीपुर जिले में एक मुस्लिम महिला खुदनी बीबी के नाम पर ब्रिटिश काल में ही खुदनेश्वर शिवमंदिर स्थापित हुआ था जिसका शिवलिंग खुदनी द्वारा गाय चराने के दरमियान खुदवाया गया था और खुदनी महान शिव-भक्त भी बन गई थी | उसकी मृत्यु के बाद शिवलिंग के एक गज दक्षिण तरफ उसे दफनाया भी गया जिसे सभी शिवभक्त आदर से पूजते हैं, सभी श्रद्धा से सिर झुकाते हैं | कालांतर में नरहन स्टेट द्वारा मंदिर निर्माण कराया गया और हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक के रूप में विकसित पर्यटक केंद्र बनाने के लिए बिहार धार्मिक न्यास परिषद् के अध्यक्ष किशोर कुणाल ने 2008 में खुद्नेश्वर शिव मंदिर को बेहतर आर्थिक सहयोग भी किया था |
हाल ही में अमेरिका के मैसाचुएट्स प्रांत के फोस्टन शहर निवासी 17 वर्षीय मुस्लिम बालिका ‘हन्नान’ स्थानीय सहेली के साथ भागलपुर के मनोहरपुर गांव आकर दुर्गामाता के दर्शन करने जाती है | हन्नान “अंतरराष्ट्रीय संबंधों का अध्ययन” विषय पर शोध करती है और कई जगहों पर घूमने के बाद मीडिया से कहती है- यहां सभी समुदायों में बेहद अपनापन है | पारिवारिक मूल्यों को तवज्जो दी जाती है | भीड़ के बावजूद पूजा के दौरान अनुशासन है | महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है, जैसा कहीं भी देखने को नहीं मिलता | और ‘हन्नान’ अब अपनी सहेली एशना सिन्हा के साथ ‘काली पूजा व छठ’ तक रहने का मन बना लेती है |
लखनऊ के ऐशबाग की रामलीला… तकरीबन 500 साल का इतिहास समेटे यह रामलीला मुगलकाल में अकबर के समय शुरू हुई और नवाबी दौर में खूब फली-फूली। इस रामलीला को इस बात का गौरव हासिल है कि इसकी शुरुआत स्वयं गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। ऐशबाग की ये रामलीला इतिहास के अनगिनत पन्नों की गवाह रही है और इस साल इसमें एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। जी हाँ, इस बार दशहरे के दिन यहाँ स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मौजूद रहेंगे और रावण-वध देखेंगे।
यूं तो दशहरे के दिन हर साल देश के प्रधानमंत्री दिल्ली की रामलीला में शिरकत करते रहे हैं, लेकिन ये पहला मौका होगा कि कोई प्रधानमंत्री इस दिन दिल्ली में ना होकर लखनऊ में हों। अब देखने वाले इसमें प्रधानमंत्री मोदी की सियासत देखेंगे कि चुनावी साल में वे यहाँ की रामलीला में शिरकत कर रहे हैं और आलोचना करने वाले आलोचना भी करेंगे लेकिन इस सिक्के का दूसरा पहलू भी है और वो ये कि पिछले 70 सालों से लखनऊ की ऐशबाग रामलीला समिति देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को बिना भूले न्योता भेजती रही है और पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने इस रामलीला का निमंत्रण स्वीकार किया है।
बहरहाल, ऐशबाग की रामलीला देश की सबसे पुरानी रामलीला मानी जाती है। करीब 500 साल पहले यहीं से रामलीला की शुरुआत हुई थी जब गोस्वामी तुलसीदास ने एक साथ चित्रकूट, वाराणसी और लखनऊ में इसकी नींव रखी। कहते हैं कि चौमासा में जब अयोध्या से साधु-संत निकलते थे तो चार महीनों के लिए इसी ऐशबाग में उनका डेरा डलता था और दशहरे के वक्त वे इस मैदान में रामकथा का मंचन करते थे। तुलसीदास की प्रेरणा से रामलीला का जो सिलसिला शुरू हुआ उसे असल पहचान दी अवध के नवाब असफउद्दौला ने। असफउद्दौला सच्चे अर्थों में यहाँ की गंगा-जमुनी तहजीब के जनक थे। उन्होंने ना केवल यहाँ ईदगाह और रामलीला के लिए एक साथ बराबर-बराबर साढ़े छह एकड़ जमीन दी बल्कि खुद भी रामलीला में बतौर पात्र शिरकत करते रहे।
तुलसीदास से लेकर 1857 की क्रांति तक यहाँ रामलीला का अनवरत मंचन होता रहा। क्रांति के दौरान यानि 1857 से 1859 तक ये रामलीला बंद रही। लेकिन 1860 में ऐशबाग रामलीला समिति का गठन हुआ और तब से लेकर आज तक रामलीला का मंचन अबाध रूप से होता चला आ रहा है। जानना दिलचस्प होगा कि आज़ादी से पूर्व इस रामलीला को अंग्रेज अफसरों से सहायता मिलती थी और अब उस काम को नगर निगम कर रहा है।
बदलते समय के साथ रामलीला का स्वरूप भी बदला है। पहले यहाँ रामलीला मैदान के बीचोंबीच बने तालाबनुमा मैदान में रामलीला होती थी और चारों ओर ऊँचाई पर बैठे लोग इसे देखते थे। लेकिन पिछले कुछ दशकों से रामलीला मंच पर होने लगी। मैदानी रामलीला की जगह अब यहाँ आधुनिक तकनीकों से लैस रामलीला होती है। बड़े एलईडी स्क्रीन, लेजर लाइट्स और नामचीन कलाकार रामलीला मंच की शोभा बढ़ाते हैं। चलते-चलते बस इतना ही कि ऐशबाग की यह रामलीला ना केवल ऐतिहासिकता में बल्कि भव्यता में भी अपनी कोई सानी नहीं रखती, यह कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए।
सितम्बर माह के 29 तारीख की ही तो बात है- मधेपुरा के डायनेमिक डीएम मो.सोहैल (आई.ए.एस.) ने मधेपुरा को औद्योगिक हब बनाने के लिए फ्रांस की कंपनी आल्सटॉम और जर्मनी की कंपनी नार ब्रेस्म सहित दर्जनों ख्यातिप्राप्त कंपनियों के प्रतिनिधियों को बुलाकर यहां के भू-स्वामियों से रू-ब-रू कराया, जिसका उद्घाटन करते हुए कोसी के आयुक्त माननीय कुंवर जंग बहादुर सिंह ने कहा था कि ऐसे आयोजन सूबे के अन्य जिलों में भी आयोजित किया जाना चाहिए |
और सप्ताह गुजरते ही ऑन लाइन रिपोर्टिंग में मधेपुरा जिला फिर राज्य में नंबर-वन पर आ गया | राज्य सरकार के पोर्टल पर इंदिरा आवास एवं मनरेगा योजना में मोबाइल आधारित फील्ड रिपोर्टिंग में इस जिले के काम की सराहना की गयी |
यह भी बता दें कि बिहार के टॉप 5 जिलों में मधेपुरा के नंबर-वन पर रहने का कारण यहां के डी.एम. मो.सोहैल की टीम का बेहतर मॉनिटरिंग सिस्टम है | डायनेमिक डी.एम. मो.सोहैल एवं डीडीसी मिथिलेश कुमार खुद इन योजनाओं पर नजर रखते हैं | हालांकि इन योजनाद्वय का ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत होने के कारण डीडीसी की सतर्कता एवं निगरानी के साथ-साथ डी.एम. के व्हाट्सएप से जुड़े रहने तथा औचक निरीक्षण से लेकर रिपोर्ट प्राप्ति के लिए नई-नई तकनीक का इस्तेमाल करते रहने का फल है- मधेपुरा का नंबर-वन पर जाना |
यह भी जान लें कि सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के वेबसाइट के अनुसार राज्य में पांचवें स्थान प्राप्त ‘सारन’ जिले द्वारा 2093 रिपोर्ट दर्ज कराया गया वहीं चौथा स्थान प्राप्त ‘गया’ जिला द्वारा 2839 रिपोर्ट | और जहां तीसरे पायदान पर पहुंचे कटिहार जिले का रिपोर्ट 3216 दर्ज किया गया वही दूसरा स्थान प्राप्त करने वाला ‘भोजपुर’ जिला 3413 पर ही ठहर गया |
बता दें कि मधेपुरा जिला मात्र दो-चार की बढत लेकर नंबर-वन पर नहीं पहुंचा है, बल्कि प्रथम स्थान पाने वाला ‘मधेपुरा’ जिला 3 महीने में 6560 रिपोर्ट वेबसाइट पर भेजकर ही तो नंबर-वन पर गया है | तभी तो पूरे राज्य में प्रथम स्थान पाने वाले मधेपुरा के जिला प्रशासन को परियोजना प्रबंधक, बिहार श्री अनुपम सिंह ने संदेश भेजकर बधाई दी है | मधेपुरा आज पुनः गौरवान्वित हुआ है |.
अहले सुबह से देर शाम तक मधेपुरा के विभिन्न संस्थानों में सत्य-अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता बापू और जय जवान, जय किसान के उद्घोषक लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमाओं व तस्वीरों पर माल्यार्पण-पुष्पांजलि करने के साथ-साथ आजादी के लिए उनकी कुर्बानियों को याद किया जाता रहा |
एक ओर जहां समाहरणालय परिसर में मधेपुरा के डायनेमिक डीएम मो.सोहैल द्वारा हाल ही में स्थापित राष्ट्रपिता बापू की भव्य आदमकद प्रतिमा पर एस.पी. विकास कुमार, डीडीसी मिथिलेश कुमार, डीपीआरओ कयूम अंसारी, नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी मनोज कुमार पवन आदि की उपस्थिति में माल्यार्पण करते हुए यह कहा गया कि पूज्य बापू ने तो समस्त देशवासियों को सामाजिक समरसता का पाठ पढ़ाया और आगे जाकर शास्त्री जी ने देश को ‘जय जवान जय किसान’ का संदेश दिया |
वहीं दूसरी ओर केशव कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रो.नन्द किशोर व प्रो.रीता कुमारी द्वारा आयोजित पतंजलि के कार्यक्रमों में सम्मिलित राष्ट्रपिता एवं राष्ट्रनेता द्वय के श्रद्धांजलि समारोह का उद्घाटन करते हुए साहित्यकार व समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने स्काउट एंड गाइड के आयुक्त जय कृष्ण यादव सहित शिक्षकों एवं छात्रों की उपस्थिति में यही कहा-
गोखले तिलक गांधी सुभाष, नेहरु शास्त्री जयप्रकाश |
सभी दीवाने आजादी के, कर दिया एक क्षिति महाकाश ||
आओ सब मिलकर करें बंधु, आजादी का शत अभिनंदन |
इसके ललाट पर करें नित्य, अपने अन्त श्रम का चंदन ||
और तो और सर्वाधिक पुराने अंगीभूत टी.पी.कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ.एच.एल.एस जौहरी से लेकर सर्वाधिक समुन्नत मधेपुरा कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ.अशोक कुमार सहित सभी सरकारी एवं प्राइवेट स्कूल्स के प्रधान अपने-अपने शिक्षकों-छात्रों के बीच राष्ट्रपिता को पुष्पांजलि-श्रद्धांजलि देते रहे- हर तरफ ईश्वर-अल्लाह तेरे नाम…….. और वैष्णव जन तो तेने कहिए…….. का धुन बजता रहा |
उत्सवी माहौल के बीच कई संस्थानों द्वारा गांधी जयंती के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया | जिला परिषद के डाक बंगला परिसर में बापू एवं शास्त्री जी की प्रतिमा व तस्वीर पर पुष्पांजलि किया- डीएम मो.सोहैल, डीडीसी मिथिलेश कुमार, डॉ.मधेपुरी, शौकत अली एवं जिला परिषद अध्यक्ष मंजू देवी, श्वेत कमल व अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने |
शाम में बी.पी.मंडल नगर भवन में नवाचार रंग मंडल के बैनर तले मो.शहंशाह एवं सुनीत साना आदि ने गांधी जयंती के अवसर पर हॉली क्रास, तुलसी पब्लिक, यू.के.इंटरनेशनल, मधेपुरा पब्लिक स्कूल, माया विद्या निकेतन व अन्य स्कूली बच्चों को स्थल चित्रकारी, निबंध प्रतियोगिता एवं जी.के. में प्रथम-द्वितीय- व तृतीय स्थान प्राप्त करने के उपलक्ष्य में रंगमंडल के संरक्षक डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी, जिला परिषद अध्यक्षा मंजू देवी, योजना समिति के सदस्य श्वेत कमल उर्फ़ बौआ जी, मुख्य अतिथि राजशेखर, विशिष्ट अतिथि निखिल मंडल, वेदव्यास कॉलेज के संस्थापक डॉ.रामचन्द्र मंडल, वार्ड पार्षद ध्यानी यादव, शंभू शरण भारतीय, स्वदेश कुमार, डॉ.अरुण कुमार, डॉ.जवाहर पासवान, चंद्रशेखर आजाद, राकेश सिंह, वंदना कुमारी आदि अन्य गणमान्यों द्वारा दर्जनों पुरस्कार दिये गये |
सर्वप्रथम रंगमंडल के संरक्षक डॉ.मधेपुरी ने ग्रामीण परिवेश से मुंबई में अपनी पहचान बनाने वाले इस कार्यक्रम के मुख्यअतिथि, तनु वेड्स मनु फिल्म के गीतकार, राजशेखर से कहा कि मधेपुरा में प्रतिभा की कमी नहीं है, केवल उसे निखारने की जरूरत है | अब मधेपुरा की नजर ‘राजशेखर’ पर है……| जिला अध्यक्षा मंजू देवी, श्वेत कमल, निखिल आदि ने राजशेखर को ऊंचाई प्राप्त करने और मधेपुरा का परचम सारे देश और देश से बाहर फहराते रहने की कामना की और सबों को स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत की शुभकामनाएं दी |
डायनेमिक डी.एम. मो.सोहैल के कार्यकाल में इतिहास रचने के लिए तैयार है मधेपुरा जिला | जहां एक ओर फ्रांस की कंपनी आल्सटॉम और जर्मनी की कंपनी नार ब्रेस्म सहित 23 बड़ी-बड़ी कंपनियों के रिप्रजेंटेटिवों ने मधेपुरा में निवेश का मन बना लिया है वहीं दूसरी ओर मुरहो के भू-स्वामी डॉ.अरुण कुमार मंडल, प्रो.प्रभाष चंद्र यादव, टेंगराहा के दिगंबर प्रसाद – प्रो.श्यामल किशोर और दंडारी के सुदिष्ट नारायण यादव-योगेंद्र कुमार सहित दर्जनों भू-स्वामियों व समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने बिहार सरकार की नई योजना “आओ बिहार” को बढ़ावा देने हेतु घंटों इंतजार करते देखे गये |
यहां यह भी बता दें कि निरंतर प्रयास करते-करते आख़िर 29 सितंबर को झल्लूबाबू सभागार में डीएम मो.सोहैल ने इंवेस्टर्स एवं भू-स्वामियों को एक दूसरे के करीब ला ही दिया, परिचय करा ही दिया तथा दो सत्रों में बैठक आयोजित कर एक-दूसरों से आमने-सामने बातें करा ही दी |
सर्वप्रथम 12:00 बजे से उद्घाटन सत्र में प्रशासनिक पदाधिकारियों के साथ इंवेस्टर्स की बैठक हुई जिसका उद्घाटन कोसी प्रमंडल के आयुक्त कुंवर जंग बहादुर सिंह द्वारा किया गया | अपने संबोधन में आयुक्त श्री सिंह ने कहा कि मधेपुरा में उद्योग लगाने की सभी संभावनाएं हैं और मधेपुरा औद्योगिक हब बन सकता है | उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे आयोजन न केवल मधेपुरा में बल्कि पूरे प्रमंडल व सूबे के अन्य जिलों में भी आयोजित किया जाना चाहिए | इंवेस्टर्स को पूरी सुरक्षा देनी चाहिए |
प्रथम सत्र की समाप्ति के बाद इंवेस्टर्स के जिज्ञासानुरूप निर्माणाधीन विद्युत रेल इंजन फैक्ट्री के डिप्टी चीफ इंजीनियर श्री कृष्ण कुमार भार्गव ने उन्हें फैक्ट्री-परिभ्रमण कराया जिस कारण दूसरे सत्र के शुभारंभ के लिए भू-स्वामियों को इंतजार करना पड़ा |
यह भी जानें कि दूसरे सत्र में इनवेस्टर्स, भू-स्वामियों एवं जिला प्रशासनिक पदाधिकारियों के बीच जमकर चर्चाएं हुई, विचारों का आदान-प्रदान हुआ | लगभग सौ एकड़ जमीनों के लोकेशंस की चर्चा हुई | फोर लेन, एन.एच. एवम् एस.एच आदि सड़कों की दूरियों का जायजा लिया जाता रहा | सुरक्षा के लिए एसपी विकास कुमार एवं एसडीएम संजय कुमार निराला ने इंवेस्टर्स को आश्वस्त किया | डी.एम. सह जिला रजिस्ट्रार मो.सोहैल एवं जिला सब रजिस्ट्रार मो.जावेद अंसारी द्वारा फ्री रजिस्ट्रेशन हेतु भरोसा जताया गया | डी.डी.सी. मिथिलेश कुमार, एनडीसी मुकेश कुमार एवं उद्योग विभाग के निदेशक व कर्मियों द्वारा सिंगल विंडो सिस्टम का आश्वासन दिया गया |
जहाँ डी.एम. मो.सोहैल ने इंवेस्टर्स को सुलभ आवागमन, भरपूर बिजली, प्रचूर जल संसाधन तथा कच्चे माल व स्किल्ड लेबर की उपलब्धता के लिए आश्वस्त किया वहीं एसपी विकास कुमार ने अन्य जगहों से काफी कम अपराध होने का विश्वास दिलाया |
इस “आओ बिहार—-सजाओ बिहार” के लिए जिलाधिकारी को समाजसेवी डॉ.मधेपुरी का सहयोग मिलता रहा है | इच्छुक भू-धारी चाहें तो अभी भी जिलाधिकारी के यहां संबंधित जमीन के ब्यौरे के साथ सूचीबद्ध करा सकते हैं | याद रहे भू-धारी को अपनी जमीन का विक्रय मूल्य अपने स्वविवेक से तय करना है | विशेष जानकारी के लिए अनुमंडल पदाधिकारी या जिला उद्योग विभाग से संपर्क किया जा सकता है |
जिला इप्टा द्वारा शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 109वीं जयन्ती इप्टा मधेपुरा के संरक्षक व समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी की अध्यक्षता में मनाई गई | सुभाष कंप्यूटर कोचिंग एवं अरविन्द रिजल्ट मेकर के छात्र-छात्राओं की अच्छी खासी उपस्थिति में डॉ.मधेपुरी ने शहीदे आजम भगत सिंह के साथ-साथ आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले खुदीराम बोस, राम प्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव व राजगुरू सहित अशफाक उल्ला खां आदि की चर्चा करते हुए कहा कि ये लोग ना सिर्फ निडर व निर्भीक क्रांतिकारी थे बल्कि ये सभी अच्छे विचारक, समाज सुधारक व शायर-कवि भी थे | ये सभी अहर्निश यही गुनगुनाते रहते कि “देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है” या फिर यही कि ‘मेरा रंग दे बसंती चोला……!’ डॉ.मधेपुरी ने यह भी कहा कि ये सभी क्रांतिकारी लगभग 19 से 30 वर्षों के अंदर ही अपनी-अपनी शहादत दे दी और अंग्रेजी शासन की जड़ें हिला दी | 23 मार्च 1931 को हंसते हुए भगत सिंह – सुखदेव – राजगुरु ने फांसी के फंदे को चुम लिया और भारत के क्रांतिकारी युवजनों से कहा- “अब तुम्हारे हवाले वतन……..|”
यह भी बता दें कि इप्टा के लिए समर्पित कामरेड रमण जी, सुभाष चंद्रा एवं तुर्वसु उर्फ बंटी आदि ने भी विस्तार से उन क्रांतिदूतों के विचारों एवं जीवन शैली की चर्चाएं की और अपने-अपने संबोधन के जरिये युवा छात्र-छात्राओं से यही कहा कि भगत सिंह एवं साथी क्रांतिकारियों के सपनों का भारत बनाने के लिए सबों को अपने-अपने हिस्से की लड़ाई लड़नी होगी एवं निरंतर संघर्ष करना होगा | आरंभ में भगत सिंह की तस्वीर पर पुष्पांजलि एवं अंत में दुष्यंत के गीतों के साथ समारोह का समापन किया गया |
बी.एन.मंडल स्टेडियम में कबड्डी प्रेमियों की बेशुमार भीड़ द्वारा जहां एक ओर बालक-बालिकाओं के सेमी-फाइनल एवं फाइनल मैच देखने के लिए बारिश की बूंदो की परवाह नहीं की गई वहीं दूसरी ओर फाइनल मैच में मधेपुरा-पूर्णिया (बालक) टीम और मधेपुरा-खगड़िया (बालिका) टीम के खिलाडियों ने अपनी-अपनी जीत दर्ज कराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी | इस महोत्सव में एक-एक अंक के उतार-चढ़ाव का दर्शकों ने खूब लुत्फ लिया | इसी बीच कई बार खेल में रोमांचक स्थितियां भी आती रही लेकिन क्लाइमेक्स तो तब आया जब दर्शक दीर्घा में बालिका खिलाड़ियों की बैठी हुई माताओं ने जोरदार आवाज लगायी- जीतो बेटी !जीत लो….!!
यहाँ यह भी जान लें कि डायनेमिक डी.एम. मो.सोहैल एवं जाँबाज एसपी विकास कुमार की पूरी टीम की चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था, ‘आवाज’ के संरक्षकों डॉ.डी.के.सिंह, पूर्व प्रमुख उपेंद्र प्रसाद यादव, श्री चंद्रशेखर, डॉ.बी.एन. भारती, जयकांत यादव, डी.पी.एस.के किशोर कुमार व समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी की हौसला अफजाई तथा खेलों के प्राण संत कुमार, अरुण कुमार, जय कृष्ण प्रसाद के सतत उत्साहवर्धन के बावजूद भले ही मधेपुरा की दोनों टीमें मैदान में मात खा गई लेकिन खेल के श्रेष्ठ प्रदर्शन से जिले के सभी खेल-प्रेमियों के दिलों को जीत लिया | जीत के जुनून में चोट के बावजूद खेल के जज़्बे में कमी नहीं देखी गई | आयोजन किसी मायने में राष्ट्रीय स्तर से कम नहीं था, जिसे ऐतिहासिक स्वरुप प्रदान किया- डी.डी.सी. मिथिलेश कुमार, एस.डी.एम. संजय कुमार निराला और एन.डी.सी.मुकेश कुमार सहित ए.एस.पी.राजेश कुमार, थाना अध्यक्ष मनीष कुमार आदि ने |
बता दें कि तीन दिवसीय राज्य स्तरीय कबड्डी के महाकुंभ का समापन शनिवार को देर शाम होली क्रॉस स्कूल की श्रीमीराज की सुरीली आवाज, मनमोहक रंग-बिरंगी आतिशवाजियों के नजारे व आकाश में गूंजती पटाखों की आवाज और रिम-झिम बारिश की बूंदों की मधुर संगीतमयी आवाज के साथ हुआ तो सही लेकिन डॉ.मधेपुरी ने आयोजन के अध्यक्ष डी.एम. मो.सोहैल तथा ‘आवाज’ के संरक्षक वरीय चिकित्सक डॉ.दिलीप कुमार सिंह से यही कहा- “खिलाड़ियों के विदा होने पर मधेपुरा सूनापन और हरदिल खालीपन महसूस करेगा | खासकर बालिका खिलाड़ियों की विदाई बेटी की विदाई की तरह हृदय को झकझोर देगा……. और हां ! महाभारत काल से खेले जाने वाला यह खेल कबड्डी (चक्रव्यूह) अब इतनी ऊंचाई को पा लिया है कि अब इसे जल्द ही ओलंपिक में शामिल कर लिया जाना चाहिए |”
अंत में मुस्तैदी से काम करने वाले सभी कर्मचारियों, प्रशासनिक अधिकारियों सहित लाईट, माईक एवं टेंट वाले से लेकर आतिशबाजी करने वालों को इस त्रिदिवसीय राज्य स्तरीय कबड्डी महोत्सव के अध्यक्ष सह जिला पदाधिकारी मो.सोहैल ने ह्रदय से साधुवाद ज्ञापित किया और मंच संचालनकर्ता अरुण कुमार, किशोर कुमार एवं जय कृष्ण यादव को हृदय से धन्यवाद देते हुए खुशी जाहिर किया कि मधेपुरा अपनी शालीनता एवं स्वस्थ परंपरा को इसी तरह कायम रखेगा और निरंतर हर क्षेत्र में आगे बढ़ेगा |
पिछड़ा वर्ग राष्ट्रीय आयोग ने सोशल रिफॉर्मर के रूप में ‘भारतरत्न’ जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान हेतु जिन दो नामों की अनुशंसा दो दिन कबल की है- वे दो नाम हैं- समाज सुधारक ज्योतिबा फूले एवं सामाजिक न्याय के पुरोधा बी.पी.मंडल |
यह भी बता दें कि वही समाज सुधारक बी.पी.मंडल जिन्होंने समस्त भारतीय समाज के सभी धर्मों (हिन्दू-मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई, जैन-पारसी, बौद्ध आदि) एवं उन धर्मों के हजारों जातियों-उपजातियों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र….. सिया-सुन्नी आदि) के बीच जा-जाकर वैसे लोगों की सूची बनाई जो विकास की दौर में सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़ रहे थे |
तभी तो वे कश्मीर से कन्याकुमारी और राजस्थान से बंगाल की खाड़ी तक घड़ी की सूई की तरह अहर्निश चलते रहे तथा वैसे समस्त भारतवासियों को विकास की रोशनी पहुंचाने में लगे रहे जिन्हें समुचित रोशनी नहीं मिल पा रही थी | मंडल कमीशन के उसी रिपोर्ट को उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम नीलम संजीब रेड्डी के निदेशानुसार गृहमंत्री माननीय ज्ञानी जैल सिंह को हस्तगत करा दिया |
अस्तु समाज के सभी अंगो पर सम्यक दृष्टि रखनेवाले सामाजिक न्याय के रक्षक रहवर व रखवाला श्री मंडल को भी ‘भारतरत्न’ सरीखे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया जाना चाहिए जिसकी मांग बी.पी.मंडल राजकीय समारोहों के अवसर पर समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी व अन्य बुद्धिजीवियों के द्वारा भी की जाती रही है |