रमजान के महीने में रोजा रखना प्रत्येक मुसलमान का फर्ज करार दिया गया है , चाहे गर्मी, जाड़ा या बरसात का मौसम ही क्यों ना हो ! क्या गरीब, क्या अमीर बल्कि बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी ईद के चांद को देखने की आस में रमजान के पाक महीने को 10-10 दिनों के तीन आसरो में अपने-अपने ध्यान को बांट लेते हैं । पहले 10 दिनों तक रहमत व बरकत के लिए, दूसरे 10 दिनों तक मगफिरत के लिए और आखरी 10 दिनों तक जहन्नुम से छुटकारा पाने के लिए समर्पित रहते हैं ।
यह भी जानिये कि रोजा एक ऐसी इबादत है कि अल्लाह खुुुद उसके बदले रोजेदारों को बहुत कुछ देता है । रमजान के महीने में पाक दिल से मांगी गई दुआएं भी अल्लाह द्वारा कबूल की जाती है ।
दूसरे जुमे की नमाज में इस शुक्रवार को मधेपुरा सहित जिले के सिंहेश्वर, मुरलीगंज, कुमारखंड, बिहारीगंज …… आदि अन्य सभी मस्जिदों में काफी भीड़ उमड़ी । दोपहर के वक्त धूप इतनी कड़ी थी कि थोड़ी देर बाहर खड़ा रहना भी मुश्किल हो रहा था फिर भी बच्चे नमाजियों का जज्बा कम होते नहीं दिखा । कड़ी धूप में रोजेदार पसीने से तरबतर होने के बावजूद भी अपने रब की रजा के लिए इबादत करते रहे और अकीदत के साथ जुमे की नमाज भी अदा करते रहे ।
यह भी जानिये कि मस्जिदों में खुतबा पढ़ा रहे इमाम ने रमजान की फजीलत के बारे में भी बताया तथा रमजान के रोजे और इबादतों के शबाब का भी जिक्र किया । अपनी तकरीर में इमाम द्वारा यह भी बताया गया की रमजान मेंं रोजा , नमाज और कुरआन शरीफ की तिलावत से जो उदासीन रहता है वह खुदा की रहमतों से मरहूम रह जाता है । अंत में इमाम द्वारा हर किसी के लिए दुआ मांगी जाती है कि अल्लाहताला इस पाक रमजान के महीने में ज्यादा से ज्यादा नेकियाँ कमाने की तौफीक अता फरमाएं ।
