चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह को समर्पित मधेपुरा का प्रथम आईएसओ प्रमाणित किरण पब्लिक स्कूल ने अपना ‘ग्यारहवाँ स्थापना दिवस समारोह’ मनाने के लिए स्थानीय शहीद चुल्हाय मार्ग स्थित बी.पी.मंडल नगर भवन का चयन तो किया जरूर, लेकिन मात्र छात्रों एवं अभिभावकों को एंट्री देने के बावजूद भी जगह छोटी पड़ गई | फलस्वरूप, टाउन हॉल के बाहर बैठने की व्यवस्था के साथ दो पर्दों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों को प्रोजेक्टर के माध्यम से देर रात तक दिखाया जाता रहा और कार्यक्रम के अंत तक लोग टस-से-मस नहीं हुए |
जहाँ एक ओर स्कूली बच्चों द्वारा प्रस्तुत किये जा रहे तरह-तरह के मनमोहक कार्यक्रमों पर तालियां बजती रहीं वहीं दूसरी ओर स्कूल के प्राचार्य किशोर कुमार ठाकुर की नपी-तुली गायकी “किशोर दा” की यादें तरोताजा करती रहीं | बीच-बीच में मो.रफी की याद ताजा करने के लिए रोशन कुमार और शिक्षा में गिरावट को दर्शाने वाले ‘नाटक’ के निर्देशक के रूप में अमित कुमार अंशु की उपस्थिति देखी जाती रही |
कार्यक्रम का उद्घाटन डीईओ शिवशंकर राय एवं मुख्य अतिथि के रुप में शिक्षाविद डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी द्वारा संयुक्तरुप से, प्रबंध निदेशिका किरण प्रकाश, निदेशक अमन प्रकाश एवं प्राचार्य किशोर कुमार ठाकुर आदि की उपस्थिति में दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया | लगे हाथ प्रबंध निदेशिका श्रीमती किरण प्रकाश द्वारा स्कूल के संस्थापक जय प्रकाश बाबू का स्मरण करते हुए एवं उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने का संकल्प लेते हुए उद्घाटनकर्ता और मुख्य अतिथि को मोमेंटो एवं पुष्प-गुच्छ सहित सुमधुर गीत से स्वागत किया गया | साथ ही निदेशक अमन प्रकाश द्वारा वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया |
बता दें कि उद्घाटनकर्ता डीईओ श्री एस.एस.राय ने अपने व्यस्त कार्यक्रमों में से कुछ समय निकालकर अपने संक्षिप्त संबोधन में शिक्षक समाज से यही कहा कि आज गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में कमी होती जा रही है जिसे रोकने हेतु सजग रहने की जरूरत है |
मुख्य अतिथि डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने “चंपारण सत्याग्रह शताब्दी को समर्पित केपीएस का ग्यारहवा दिवस” पर छात्र-छात्राओं एवं अभिभावकों की महती भीड़ को संबोधित करते हुए यही कहा कि बिहार ने ही मोहनदास………. को महात्मा बना दिया | महात्मा गांधी के जीवन में आये तीन बंदर, तीन औरत और तीन ‘झ’ (झंडा-झाड़ू-झोला) के अंदर की कहानियों के बारे में विस्तार से बताते हुए यही कहा-
“गांधी कुछ-न-कुछ हमेशा सीखते रहना चाहते थे | उनके अनुसार, सीखने की यात्रा अनंत होने के कारण ताजिंदगी चलती ही रहती है और मंजिल हमें तब मिलती है जब हम ‘अहंकार शून्य’ हो जाते हैं…….!”
बता दें कि ऋषियों की तरह जीवन जीने वाले रवीन्द्रनाथ टैगोर ने गीतांजलि के प्रथम गीत की पहली पंक्ति में ही लिखा है-
हे देव बहा दो अहंकार, मेरे ही आंसू जल में
समाजसेवी डॉ.मधेपुरी ने बच्चों से कहा कि तुम भी गाँधी बन सकते हो | गाँधी देशरत्न राजेंद्र प्रसाद जैसे प्रतिभावान नहीं थे | 50 छात्रों वाले वर्ग में 40वाँ स्थान प्राप्त करते थे | हाँ, वे संकल्प के धनी ही नहीं बल्कि महाधनी कुबेर थे | उन्होंने आजीवन ‘सत्य अहिंसा’ के व्रती होने का संकल्प लिया और पालन किया जिसके चलते उन्होंने ब्रिटिश शासन की जड़ें हिला दी………| डॉ.मधेपुरी ने बच्चों से कहा कि तुम डॉ.कलाम की तरह बड़े-बड़े सपने देखो और गांधी के ‘करो या मरो’ की तरह उसे पूरा करो |
अंत में समापन करते हुए डॉ.मधेपुरी ने दर्शकों का ध्यान आकृष्ट करते हुए मधेपुरा के पूर्व डीएम गोपाल मीणा (भा.प्र.से.) से हाल में मोबाइल पर हुई (मौन) बातचीत की चर्चा करते हुए यही कहा-
“शक्तिशाली बम या लंबी रेंजवाले मिसाइल के बिना ही किसी भी देश को धूल में मिलाया जा सकता है बशर्ते कि वहां की शिक्षा में लगातार गिरावट और परीक्षा में खुलेआम चीटिंग की मिलावट होती रहे |”
अंत में प्राचार्य किशोर कुमार ठाकुर ने स्कूल के टीचर सीएस पाण्डेय, विनोद कुमार, पवन कुमार, सुधीर कुमार, श्रीमती धर्मावती पाण्डेय, गोपाल कृष्णा, डॉ.सीमा श्रीवास्तव, संतोष कुमार आदि सहित मीडिया के संजय परमार, सुकेश राणा व अन्य उपस्थित सभी जनों को समारोह की संपूर्ण सफलता के लिए साधुवाद देते हुए कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की |