Devoties celebrating Mahaparv Chhath at Jitwarpur Chauth Pokhar, Samastipur .

छठ महापर्व से विश्व को मिलता है मानवता का संदेश

विगत वर्ष की ही तो बात है- मधेपुरा लोकसभा चुनाव के दरमियान इलेक्शन कमीशन द्वारा पर्वतारोही-पर्यावरणविद-पद्मश्री संतोष यादव को मतदाता जागरूकता के निमित्त आइकॉन बनाया गया था और उसी क्रम में सात्विक जीवन शैली को आत्मसात करने वाली एवं एक ही वर्ष के दरमियान दो बार एवरेस्ट की चोटी पर भारतीय तिरंगा फहराकर विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली संतोष यादव मधेपुरा आई थी |

यह भी बता दें कि हरियाणा की बेटी संतोष यादव बहरहाल समता,समानता और सामाजिकता के प्रतीक छठ जैसे महापर्व को मनाने अपने ससुराल मुंगेर के गुलजार पोखर में आई हैं | इस अवसर पर उन्होंने मीडिया से मुखातिब होकर यही कहा कि बिहार में हर जाति और धर्म के लोग मानवीय संवेदनाओं से भरपूर हैं | पद्मश्री संतोष यादव ने आत्मविश्वास के साथ पुनः कहा कि हिन्दू-मुस्लिम समुदाय की महिलाओं द्वारा बिना किसी भेद-भाव के एक साथ मिल-बैठकर भगवान भास्कर को अर्ध्य अर्पित करने वाली इसी धरती से पूरे विश्व को मानवता का संदेश मिलता रहेगा, क्योंकि मानवता से बड़ा कोई धर्म और जाति भी तो इस भू-मंडल पर नहीं है |

Padma Shree Santosh Yadav moving towards Mongher Ganga Ghat along with other devotee Chhathbraties from her Father-in-law's House at Guljar Pokhar, Mongher .
Padma Shree Santosh Yadav moving towards Mongher Ganga Ghat along with other devotee Chhathbraties from her Father-in-law’s House at Guljar Pokhar, Mongher .

जहां एक ओर सिंहेश्वर प्रखंड के जझहट सबैला के पंचायत समिति के सदस्य मोहम्मद इश्तियाक आलम द्वारा लगभग तीन दर्जन हिन्दू छठ व्रतियों के बीच श्रद्धावनत होकर केला, नारियल, टाब, नींबू और सेब-संतरादि दिये जाने पर आंतरिक खुशी का एहसास किया गया वहीं दूसरी ओर कटिहार के दिग्घी नया टोला में पिछले ढाई दशक से नियम-निष्ठा के साथ रेहाना भी तो करती आ रही है छठ- केवल इसीलिए कि उसकी शादी में अड़चन आ जाने के कारण उसकी मां ने छठ पर्व करने का संकल्प लिया था | शादी हो जाने पर पहले तो उसकी मां और अब रेहाना आम हिन्दू युवतियों की तरह हर विधि-विधान के साथ श्रद्धापूर्वक पानी में खड़ी होकर सूप उठाती है,रिश्तेदार अर्घ्य भी देते हैं और घर में छठ व्रत के गीत गाए जाते हैं | और तो और मधेपुरा नगर परिषद से सटे नयानगर की हसीना और सकीना की मन्नतें पूरी होने पर महापर्व छठ का व्रत आस्था के साथ करने लगी हैं | आस्था के आगे मजहब की सारी दीवारें भी टूटती जा रही हैं |

यह भी जानिए कि वर्मा यानी वर्तमान म्यांमार के लगभग तीन दर्जन शरणार्थी अब यहां की संस्कृति में पूरी तरह ढल चुके हैं और पिछले 40 साल से छठ महापर्व करते आ रहे हैं | अन्य पर्व-त्योहारों की तुलना में छठ महापर्व के प्रति लोगों की आस्था गहरी होती देखी जा रही है |

यही कारण है कि मुंबई जैसे महानगर में वर्षो से रहने वाले गीतकार राजशेखर भले ही होली-दिवाली वहीं मना लेते हैं परन्तु गांव ‘भेलवा’ की मिट्टी व पारंपरिक रिवाजों से लगाव रहने के कारण वे छठ सरीखे महापर्व में घर आना नहीं भूलते | राजशेखर के चुनावी चर्चित गीत-“बिहार में बहार हो नीतीशे कुमार हो………” की तरह ही अनेक छठ गीत-“गोबर से, मिट्टी से……” शारदा सिन्हा के गीतों के संग अब सुनते रहेंगे आप |

छठ इसलिए भी महापर्व है कि गंदगी जैसे महान अभिशाप को मिटाने के लिए न तो एक कदम स्वच्छता की ओर……कहने की जरूरत पड़ती है और न लोहिया स्वच्छता अभियान आयोजित करने की | बिहार की राजधानी पटना तो वर्षों से स्वच्छता का रिकॉर्ड बना रही है | क्या घर, क्या सड़क……. क्या घाट या पोखर चतुर्दिक स्वछता ही स्वच्छता ! इस अवसर पर कुछ श्रद्धालुओं द्वारा भगवान भास्कर की पूजा प्रतिमा स्थापित कर की जाने लगी है | दर्शनार्थियों की भीड़ को भव्य मेला में तब्दील किया जाने लगा है| वही मेला जिससे सामाजिक सौहार्द को बल मिलता है तथा समरसता कायम होती है |

सर्वमान्य मान्यता है कि अंग प्रदेश की धरती होकर बहने वाली चम्पा नदी के तट पर महाभारत काल के महान योद्धा कर्ण ने ही सबसे पहले छठ पर्व की शुरुआत की थी और चम्पानगर (वर्तमान नाथनगर) के ऊँचे टिल्हे से भगवान भास्कर को अर्ध्य देने का श्रीगणेश किया था | और आज यह छठ महापर्व सामाजिक चेतना को सामूहिकता की ओर ले जाने वाला त्योहार बन गया है |

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