छठ गीतों की अमर आवाज बनी रहेगी शारदा सिन्हा

स्वर शोभिता महाविद्यालय, मधेपुरा के परिसर में स्मृतिशेष लोक गायिका डॉ.शारदा सिन्हा के निमित्त आयोजित श्रद्धांजलि सभा में समाज सेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि बिहार कोकिला पद्मभूषण डॉ. शारदा सिन्हा को छठ गीत के लिए ही प्रसिद्धि प्राप्त हुई। उन्हीं की मधुर जानी-पहचानी आवाज के चलते लोकल से ग्लोबल हो गया छठ। तभी तो छठ मैया ने छठ के ही दिन अपनी बेटी को अपने आंचल में समेट लिया। डॉ.मधेपुरी ने यह भी कहा कि छठ गीतों की अमर आवाज बनी रहेगी डॉ.शारदा सिन्हा। उन्होंने मैथिली, भोजपुरी, हिंदी, मगही, वज्जिका, अंगिका आदि कई भाषाओं में छठ, शादी, फिल्मों एवं संगीत समारोहों में भी अपनी मधुर आवाज दी।

इस अवसर पर स्वर शोभिता महाविद्यालय की निदेशिका डॉ.हेमा कश्यप ने अध्यक्षता करते हुए पुष्पांजलि एवं श्रद्धांजलि अर्पित की। डॉ.कश्यप ने कहा कि बिहार कोकिला शारदा सिन्हा सदा-सदा के लिए छठ संगीत का पर्याय बनी रहेगी। प्रो.अरुण कुमार बच्चन ने कहा कि उनकी आवाज के बिना छठ महापर्व अधूरा रहता है। प्रो.रीता कुमारी ने कहा कि कोसी की बेटी शारदा सिन्हा का गांव ‘हुलास’ छठ के दिन रहेगा सबसे अधिक उदास। मौके पर संगीत शिक्षिकाएं शशि प्रभा जायसवाल, रेखा यादव, पुष्प लता, चिरामणि यादव, रोशन कुमार, सुरेश कुमार शशि, हर्षवर्धन सिंह राठौड़, रंगकर्मी विकास कुमार सहित स्वर शोभिता के छात्रों ने भी शोकोदगार व्यक्त करते हुए यही कहा कि संगीत जगत में अभूतपूर्व योगदान के लिए इन्हें पद्मश्री व पद्मभूषण जैसे पद्म सम्मानों से सम्मानित किया गया। अंत में डॉ.शारदा सिन्हा की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया

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