युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं स्वामी विवेकानंद

शनैः शनैः स्वामी विवेकानंद की जयंती समस्त भारत के विभिन्न राजनीतिक दलों ही नहीं बल्कि विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के युवाओं द्वारा भी मनाई जाने लगी है। कोरोना संक्रमण के कारण स्कूली बच्चे घर में ही स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाने को विवश हो गए हैं।

मधेपुरा के समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने अपने निवास ‘वृंदावन’ में चंद बच्चों की मौजूदगी में स्वामी विवेकानंद की जयंती पर बच्चों से यही कहा-

स्वामी विवेकानंद का जीवन आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करता रहेगा। मात्र 30 वर्ष की आयु में उन्होंने अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और उसे सार्वभौमिक पहचान दिलाई। उनका जीवन सदा सकारात्मकता से भरा मिला। डॉ.मधेपुरी ने बच्चों से यह भी कहा कि बकौल स्वामी विवेकानंद विवेक और वैराग्य से मनुष्य के विषय की अभिलाषा जा सकती है परंतु उसकी वासना निर्मूल नहीं होती जबकि एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि यदि व्यक्ति के आगे बहुत ऊंचा लक्ष्य हो और वह अपनी सारी ऊर्जा उसे पाने में लगा दे तो कुछ पल के लिए उसकी वासना भी ठहर जाती है। छोटा लक्ष्य को हमेशा वे अपराध मानते थे। स्वामी विवेकानंद और डॉ.कलाम भारतीय स्वाभिमान के अमर स्वर के रूप में सदा याद किए जाते रहेंगे।

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