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राष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रोत हैं दिनकर की रचनाएं- डॉ.मधेपुरी

Hindi Diwas Samapan samaroh at Ambika Sabhagar Kaushiki Sammelan Madhepura.

कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन संस्थान के अंबिका सभागार में डॉ.केके मंडल की अध्यक्षता में साप्ताहिक हिन्दी दिवस मनाया गया। जिसमें हिन्दी के विकास के लिए सृजन दर्पण के सचिव विकास कुमार के मार्गदर्शन में नीरज, संध्या, स्नेहा, शिवानी एवं अभिलाषा कुमारी आदि ने हिन्दी नाटक का मंचन किया। मौके पर छात्रों के बीच हिन्दी में भाषण, निबंध, लेखन, चित्रकला एवं प्रोजेक्ट में तुलसी पब्लिक स्कूल के निदेशक सह कौशिकी के उप सचिव श्यामल कुमार सुमित्र के निर्देशन में चारो विधाओं में प्रथम आने वाले चार छात्र- छात्राओं वर्ग दस के पीयूष झा, अमीषा राज ,वर्ग नौ के प्रकृति सुरभि तथा वर्ग छह के विवेक कुमार को अध्यक्ष डाॅ.केके मंडल, मुख्य अतिथि प्रो.सचिंद्र एवं सम्मेलन के सचिव डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी द्वारा पुरस्कृत किया गया।

इस अवसर पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को याद करते हुए बीएनएमयू के मानविकी के डीन प्रो.(डॉ.) विनय कुमार चौधरी का कौशिकी द्वारा सारस्वत सम्मान किया गया। जिन्होंने हिन्दी में डी.लिट् की उपाधि ही नहीं प्राप्त की है बल्कि तीन दर्जन पुस्तकों के रचनाकार भी हैं। डॉ.विनय ने अपने संबोधन में राष्ट्रकवि दिनकर को ओज और उत्साह का कवि कहते हुए विस्तार से उनकी काव्य यात्रा का वर्णन किया। मुख्य अतिथि प्रो.सचिंद्र ने कहा कि दिनकर जी विश्व मानवता के विकास में भारत की अग्रणी भूमिका चाहते थे।

मौके पर सम्मेलन के सचिव डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि यशस्वी राष्ट्रकवि दिनकर की लोकप्रियता का कारण उनकी क्रांतिकारी और राष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रोत उनकी रचनाएं हैं। डॉ.मधेपुरी ने दिनकर के खंडकाव्य ‘रश्मिरथी’ की चंद पंक्तियां सुनाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और खूब तालियां बटोरी। प्रो.मणिभूषण वर्मा ने कहा कि दिनकर के काव्यों में भावों, अनुभूतियों एवं शिल्प की दृष्टि से विविधताएं दृष्टिगोचर होती रही हैं। मौजूद साहित्यकारों डॉ.अरुण कुमार, केबी वीमेंस कॉलेज के संस्थापक सचिव प्रो. प्रभाष चंद्र, डॉ.सीताराम शर्मा, डॉ.आलोक कुमार, कवि द्विजराज ने भी दिनकर के ओज-शौर्य तथा प्रो.(डॉ.) विनय कुमार चौधरी के सारस्वत सम्मान की भरपूर सराहना की।

अंत में अध्यक्षीय संबोधन में टीएमबीयू के पूर्व प्रति कुलपति एवं सम्मेलन की स्थाई अध्यक्ष डॉ.केके मंडल ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रकवि दिनकर हिन्दी साहित्य के इतिहास में छायावादोत्तर काल के सशक्त और लोकप्रिय कवि के रूप में प्रसिद्ध हुए। दिनकर राष्ट्र गौरव का गान करते हुए विदेशी दासता से मुक्त करने का आकुल आह्वान भी करते रहे। दिनकर को ओज, उमंग, अग्नि धर्मा, क्रांति दूत, पौरुष और शौर्य के कवि के रूप में मान्यता मिली।

आरंभ में राष्ट्रकवि दिनकर के तैल चित्र पर सबों ने माल्यार्पण व पुष्पांजलि की एवं उपस्थित अतिथियों ने दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया । अंत में सम्मेलन के उपसचिव डॉ. श्यामल कुमार सुमित्र ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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